उत्तराखंड में सियासी एजेंडा लुढ़का तो उछला बजट खर्च
बजट आकार कम होने के बावजूद उत्तराखंड राज्य के सरकारी महकमों को अच्छा-खासा बजट मिला तो खर्च की हालत भी बेहतर हुए हैं।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: चार महीने लेखानुदान के बूते खिंचे राज्य के खर्च के नतीजे खासे चौंकाने वाले हैं। इस अवधि में राज्य सरकार का सियासी एजेंडा भले ही परवान नहीं चढ़ पाया, लेकिन शासन से महकमों को बजट की मंजूरी और फिर खर्च की स्थिति पहले की तुलना में अपेक्षाकृत संतोषजनक कही जा सकती है। बजट आकार कम होने के बावजूद महकमों को अच्छा-खासा बजट मिला तो खर्च की हालत भी बेहतर हुई है।
अलबत्ता, सरकार के लिए ये कुछ चिंताजनक हो सकता है कि मुख्यमंत्री घोषणा और नागरिक उड्डयन जैसे महकमे प्लान के बजट का एक धेला भी खर्च नहीं कर पाए तो आवास के लिए इस मद में बजट की व्यवस्था नहीं हो सकी। सरकार की खास प्राथमिकता वाले महकमों में शामिल वन, परिवहन और खनन प्लान मद में 10 फीसद बजट खर्च नहीं कर पाए हैं।
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गुजरे वित्तीय वर्ष के आखिरी दिनों और नए वित्तीय वर्ष के पहले डेढ़ महीने समेत कुल 55 दिन तक राज्य ने सियासी संकट झेला। राष्ट्रपति शासन के दौरान पारित लेखानुदान के सहारे अप्रैल से लेकर जुलाई तक चार माह तक राज्य की आर्थिकी सरकी। लेखानुदान में नई मदों की व्यवस्था नहीं होने की वजह से सरकार अपनी गुलाबी योजनाओं और घोषणाओं को आगे बढ़ाने को छटपटाती रही।
नई मांगों पर लगी इस लगाम का नतीजा ये हुआ कि बजट खर्च को लेकर न मंत्रियों ने रुचि दिखाई और न ही बजट खर्च की समीक्षा को लेकर उत्साह दिखाई दिया। सरकार के इस ठंडे रुख की वजह से बजट खर्च की रफ्तार सुस्त पड़ने का अंदेशा जताया जा रहा था।
लेकिन, बजट खर्च को लेकर सरकारी खजाने के आंकड़े तस्वीर का दूसरा रुख ही बयां कर रहे हैं। इन चार महीनों में प्लान और नॉन प्लान बजट का आकार कम भले ही रहा, लेकिन खर्च की स्थिति बेहतर है। आश्चर्यजनक ढंग से प्लान मद में कुल बजट प्रावधान का 80 फीसद से ज्यादा और नॉन प्लान मद में 96 फीसद से महकमों को आवंटित हुआ। महकमों ने प्लान मद में कुल आवंटित बजट में से 69 फीसद से ज्यादा और बजट प्रावधान में से करीब 56 फीसद धनराशि खर्च की।
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नॉन प्लान मद में बजट प्रावधान में से 69 फीसद और आवंटित बजट में से करीब 72 फीसद खर्च किया गया। आपदा प्रबंधन, उच्च शिक्षा, लोक निर्माण विभाग, स्वास्थ्य महकमे, कृषि और सिंचाई महकमों के प्लान मद में आवंटित बजट में से 55 फीसद से 83 फीसद तक धनराशि खर्च हुई। समेकित बाल विकास महकमे ने आवंटित बजट का 46 फीसद खर्च किया।
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