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स्टिंग प्रकरण: सीबीआइ ने बढ़ाईं हरीश रावत की मुश्किलें

देहरादून में मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग प्रकरण की सीबीआइ जांच वापस लेने के राज्य सरकार के फैसले को सीबीआइ के मानने से इंकार करने से एक बार फिर हरीश रावत की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं।

By Thakur singh negi Edited By: Updated: Thu, 19 May 2016 10:40 AM (IST)
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देहरादून। मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग प्रकरण की सीबीआइ जांच वापस लेने के राज्य सरकार के फैसले को सीबीआइ के मानने से इंकार करने से एक बार फिर हरीश रावत की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। साफ है कि अगले कुछ दिनों में हरीश रावत पर सीबीआइ अपना शिकंजा कस सकती है।
बीती 18 मार्च को कांग्रेस सरकार में बगावत के बाद 26 मार्च को मुख्यमंत्री हरीश रावत के कथित स्टिंग की सीडी सामने आने के बाद सूबे की सियासत में भूचाल आ गया था। स्टिंग ने भाजपा को कांग्रेस और हरीश रावत दोनों पर ही प्रहार करने के लिए हथियार थमा दिया।
स्टिंग की सीबीआइ जांच शुरू होने के बाद से प्रदेश में कांग्रेस सरकार खासतौर पर मुख्यमंत्री हरीश रावत की परेशानी बढ़ना तय माना जा रहा है। यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर फ्लोर टेस्ट में बहुमत हासिल कर बहाल हुई हरीश रावत मंत्रिमंडल ने सीबीआइ जांच की अधिसूचना निरस्त कर जांच राज्य स्तर पर ही जांच कराने का निर्णय लिया था।
सीबीआइ ने राज्य मंत्रिमंडल के फैसले को ही मानने से इन्कार कर दिया है। सीबीआइ के इस फैसले की जानकारी मिलने से सरकार और संगठन दोनों में बेचैनी बढ़ गई है। सीबीआइ के इस रुख के बाद उसका शिकंजा मुख्यमंत्री हरीश रावत पर कसने के संकेत हैं। भाजपा इसका सियासी लाभ लेने की कोशिश करेगी।

स्टिंग में सामने आया है यह वीडियो
वीडियो में मुख्यमंत्री हरीश रावत एक व्यक्ति से विधायकों का समर्थन हासिल करने के लिए धन के लेन-देन की बात कर रहे हैं। विधायकों को 15-15 करोड़ देने की पेशकश की जा रही है। वीडियो में हरीश रावत सामने बैठे व्यक्ति को कह रहे हैं कि वह पांच का इंतजाम खुद कर देंगे। साथ ही वह सामने बैठे व्यक्ति को कहते हैं कि अगर वह 10 का इंतजाम अपनी तरफ से कर देता है तो वह 29 तारीख को एक-दो के टॉप अप के साथ लौटा देंगे। वीडियो में एक मंत्री को विभाग और खुद कमाने देने की छूट का जिक्र भी है।

सीएम हरीश रावत के स्टिंग से यूं आया सियासी भूचाल
-23 मार्च को मुख्यमंत्री के स्टिंग ऑपरेशन का दावा।
-26 मार्च को बागियों ने नई दिल्ली में दिखाई स्टिंग की सीडी।
-अप्रैल के पहले हफ्ते में पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत की स्टिंग प्रकरण की सीबीआइ जांच की मांग पर राजभवन ने की सिफारिश।
-29 अप्रैल को सीबीआइ की ओर से स्टिंग करने वाले को नई दिल्ली मुख्यालय में तलब करने से चला सीबीआइ जांच जारी होने का पता।

हरीश रावत उवाच
26 मार्च: स्टिंग के नाम पर दिखाई गई सीडी झूठ। सीडी पर चल रही कमेंट्री सही है तो यह साबित होता है कि बागी पैसों के लिए भाजपा में गए और अब पैसों के लिए बातचीत करना चाहते हैं।
29 अप्रैल: हम हर जांच को तैयार। भाजपा की कथित सीबीआइ जांच और उसके दुष्प्रचार की कार्यवाही राज्य में किसी भी तरह सत्ता कब्जाने की मुहिम का हिस्सा।
30 अप्रैल: पुराने मामलों की भी सीबीआइ जांच होनी चाहिए। जो कार्य धनबल व बाहुबल पर नहीं, सीबीआई के बल पर करना चाहती है केंद्र।
01 मई: पत्रकार से जॉलीग्रांट में मुलाकात हुई थी। हालांकि जो स्टिंग में दिखाया गया वह फरेब है। सीडी में कभी नहीं कहा कि विधायक चाहिए, कभी पैसे की बात नहीं की।
02 मई: यह केंद्र के अहम की लड़ाई है। केंद्र का अहम जीता तो वे जेल जाने को भी तैयार हैं।
05 मई: स्टिंग मामले में अपराध बनता है तो सजा मिलनी चाहिए। इसके लिए केंद्र हथकड़ी लगाना चाहता है तो मैं प्रस्तुत हूं। बुलाने के लिए जिस तरीके का चयन किया गया उससे सीबीआइ की निष्पक्षता पर अंगुली उठती है।
11 मई: सीबीआइ को जांच में पूरा सहयोग किया जाएगा। सीनियर सिटीजन के लिए कुछ प्रावधान हैं। इसके तहत स्थानीय कार्यालय में भी पूछताछ हो सकती है। सीबीआइ शायद जल्दी में है। पहले फ्लोर टेस्ट से पहले बुलाया, अब फिर बुला रही है।
17 मई: कैबिनेट ने जो भी निर्णय लिया है, वह संविधान के अंतर्गत लिया है। नियम यह बताता है कि राज्य सरकार जो अधिसूचना जारी करती है वह वापस भी ले सकती है। सीबीआइ को सहयोग करेंगे तो जो पैरामीटर बनाए गए हैं उस दायरे में काम करेंगे।

पढ़ें:- सीबीआइ ने खारिज किया रावत कैबिनेट का फैसला

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