उत्तराखंड के संविदा आउटसोर्स कर्मियों की होगी पैरवी
आउटसोर्स कर्मियों को संविदा में लेने पर हाईकोर्ट से लगी रोक पर मुख्य सचिव एस रामास्वामी ने अधिकारियों संग बैठक कर इस मामले में शासन का पक्ष प्रभावी तरीके से रखने को कहा है।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: संविदा कर्मियों के विनियमितीकरण और आउटसोर्स कर्मियों को संविदा में लेने पर हाईकोर्ट से लगी रोक पर मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अधिकारियों को उचित कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। इस क्रम में मुख्य सचिव एस रामास्वामी ने अधिकारियों संग बैठक कर इस मामले में शासन का पक्ष प्रभावी तरीके से रखने को कहा है।
प्रदेश सरकार ने बीते वर्ष विभिन्न विभागों में 31 दिसंबर, 2016 तक पांच वर्ष की निरंतर सेवा करने वाले दैनिक वेतन, कार्य प्रभारित और संविदा कर्मियों को विनियमित करने का निर्णय लिया था।
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इसी प्रकार 14 दिसंबर, 2016 तक सात साल में आउटसोर्सिंग के रूप में कार्य करने वाले कर्मचारियों को संविदा पर रखने का निर्णय लिया गया। सरकार की ओर से लिए गए इन निर्णयों को कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस संबंध में दायर अपील पर अंतरिम आदेश देते हुए हाईकोर्ट ने शासन को इन पर रोक लगाने के निर्देश दिए।हाईकोर्ट के निर्णय के क्रम में शासन ने सभी विभागों को पत्र लिखकर संविदा कर्मियों के विनियमितीकरण पर फिलहाल कोई कार्यवाही न करने को कहा था।
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मामला सार्वजनिक होने पर सरकार से लेकर शासन तक सक्रिय नजर आया। निगम कर्मचारी महासंघ के महासचिव रवि पचौरी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने इस संबंध में मुख्यमंत्री हरीश रावत से बात की। मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को इस संबंध में उचित कार्यवाही के निर्देश देने के साथ ही जल्द ही इसकी समीक्षा की बात कही।
वहीं मुख्य सचिव की अध्यक्षता में शासन में एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई। बैठक में सचिव कार्मिक व सचिव न्याय मौजूद थे। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि शासन इन दोनों मसलों पर प्रभावी तरीके से अपना पक्ष प्रस्तुत करेगा।
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तो क्या चुनाव के मद्देनजर देर से लिया गया था फैसला
हाईकोर्ट ने संविदा कर्मियों और आउटसोर्सिंग कर्मियों के संबंध में 24 जनवरी को ही रोक लगा दी थी। शासन ने संविदा कर्मियों के नियमितीकरण पर 14 फरवरी को रोक लगाने का निर्णय दिया है जबकि आउटसोर्सिंग वाले मसले पर अभी तक आदेश जारी नहीं किए गए हैं।
शासन के इस कदम को राजनीति से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। जानकारों की मानें तो प्रदेश में तकरीबन दस हजार से अधिक संविदा कर्मी और बीस हजार से अधिक आउटसोर्स कर्मचारी हैं। मतदान से पहले यदि इस पर कोई आदेश जारी होता तो इस पर राजनीतिक नफा नुकसान हो सकता था। यह आशंका भी जताई जा रही है कि संभवत: शासन ने दबाव में आकर यह निर्णय पहले जारी नहीं किया। हालांकि, अधिकारी ऐसे किसी दबाव से इन्कार कर रहे हैं।
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