मंत्रीमंडल विस्तार से संतुलन बनाने में कामयाब रहे सीएम
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आखिरकार बहुप्रतीक्षित मंत्रिमंडल विस्तार कर ही दिया। महत्वपूर्ण बात यह रही कि इस विस्तार के जरिये हरीश रावत को कई तरह के संतुलन साधने में कामयाबी मिली है।
देहरादून, [विकास धूलिया]: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आखिरकार बहुप्रतीक्षित मंत्रिमंडल विस्तार कर ही दिया। सत्ता के गलियारों में जिस तरह की चर्चाएं थीं, गढ़वाल मंडल के दो पूर्व मंत्रियों को ही कैबिनेट में जगह मिली। महत्वपूर्ण बात यह रही कि इस विस्तार के जरिये हरीश रावत को कई तरह के संतुलन साधने में कामयाबी मिली है।
एक तो पिछले दिनों हुई बगावत के बाद गढ़वाल मंडल में कमजोर नजर आ रही पार्टी को मजबूती मिलेगी और दूसरे क्षेत्रीय असंतुलन भी काफी हद तक दूर होगा। यही नहीं, मुश्किल समय में साथ देने वाले वरिष्ठ विधायकों को मंत्री बना रावत ने उनका अहसान भी चुकता कर दिया।
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क्षेत्रीय संतुलन साधने के लिए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने विस्तार में दोनों मंत्री गढ़वाल मंडल से ही बनाए हैं। हालांकि गढ़वाल मंडल से अब मंत्रियों की कुल संख्या आठ हो गई है, लेकिन मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष का पद कुमाऊं मंडल के हिस्से है।
इसके अलावा पिछले दिनों हुए राज्यसभा चुनाव में अल्मोड़ा के पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा को कांग्रेस ने राज्यसभा भेजा है। इस लिहाज से पिछले कुछ समय से ऐसा संदेश जा रहा था कि सत्ता का केंद्र कुमाऊं मंडल बनता जा रहा है। आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मुख्यमंत्री ने असंतुलन के आरोपों को दरकिनार करने के लिए यह कदम उठाया।
पिछले दिनों कांग्रेस में हुई बगावत में पार्टी के दस विधायक भाजपा में शामिल हो गए। इनमें से छह विधायक गढ़वाल से थे, जबकि चार कुमाऊं से। इनमें से पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा व पूर्व कैबिनेट मंत्री अमृता रावत मूल रूप से गढ़वाल के हैं लेकिन विधायक वे कुमाऊं मंडल से थे। साफ है कि पार्टी की बगावत के बाद गढ़वाल मंडल में कांग्रेस कमजोर नजर आ रही है।
एक बड़ी वजह यह भी रही कि मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मंत्रिमंडल के दोनों खाली स्थान गढ़वाल के विधायकों को ही दिए। विधानसभा सीटों के लिहाज से सबसे बड़े जिले हरिद्वार से कोई मंत्री नहीं है, लिहाजा मुख्यमंत्री को कहना पड़ा कि हरिद्वार का प्रतिनिधित्व वह स्वयं कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पिछली लोकसभा में रावत हरिद्वार से ही सांसद थे।
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नवप्रभात और राजेंद्र भंडारी को मंत्री बनाकर हरीश रावत ने एक तरह से उन्हें बुरे वक्त में साथ खड़े रहने के लिए भी पुरस्कृत कर दिया। भंडारी पूर्व मंत्री व अब भाजपा नेता सतपाल महाराज के निकट माने जाते रहे हैं लेकिन इसके बावजूद उन्होंने हरीश रावत का साथ नहीं छोड़ा। नवप्रभात ने पार्टी में बगावत के बाद और राष्ट्रपति शासन के दौरान जिस तरह हरीश रावत के कंधे से कंधा मिलाए रखा, वह किसी से छिपा हीं है।
देहरादून से सबसे ज्यादा मंत्री
12 सदस्यीय मंत्रिमंडल में सबसे ज्यादा तीन मंत्री देहरादून जिले से हैं, जबकि टिहरी गढ़वाल और नैनीताल से दो-दो मंत्री हैं। उत्तरकाशी, चमोली, पौड़ी गढ़वाल, पिथौरागढ़ और ऊधमसिंह नगर जिले के हिस्से एक-एक मंत्री हैं। जिन जिलों का प्रतिनिधित्व कैबिनेट में नहीं है उनमें रुद्रप्रयाग, हरिद्वार, बागेश्वर, अल्मोड़ा और चंपावत शामिल हैं।
आवास, गारद, एस्कार्ट नहीं लेंगे नवप्रभात
रावत कैबिनेट के नवनियुक्त मंत्री नवप्रभात ने सरकारी आवास, पुलिस गारद और एस्कार्ट लेने से इन्कार कर दिया है। देर शाम 'जागरण' से बातचीत में उन्होंने कहा कि वह देहरादून के अपनी निजी आवास में ही रहेंगे लिहाजा पुलिस गारद की भी जरूरत नहीं। साथ ही एस्कार्ट लेने भी भी उन्होंने मना कर दिया है।
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