उत्तराखंडः हरीश रावत और यशपाल आर्य के बीच भरोसे का संकट
मुख्यमंत्री हरीश रावत और उनके मंत्रिमंडल में वरिष्ठ सहयोगी यशपाल आर्य के बीच अविश्वास की खाई पटने का नाम नहीं ले रही है।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: मुख्यमंत्री हरीश रावत और उनके मंत्रिमंडल में वरिष्ठ सहयोगी यशपाल आर्य के बीच अविश्वास की खाई पटने का नाम नहीं ले रही है। मंत्रियों को हाल ही में अतिरिक्त महकमों के बटवारे में यह स्थिति और साफ हो गई है।
वरिष्ठ काबीना मंत्री यशपाल आर्य आपदा प्रबंधन के रूप में अतिरिक्त महकमा मिलने के बाद मुख्यमंत्री से इस जिम्मेदारी को लेने से इन्कार कर चुके हैं। महकमों के बटवारे की टाइमिंग को सही नहीं मान रहे आर्य ने किसी भी तरह की नाराजगी से इन्कार किया, लेकिन साथ में मुख्यमंत्री का भरोसा नहीं जीत पाने पर दु:ख जरूर जताया।
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मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बीती 30 जुलाई को दो नए मंत्रियों के साथ मंत्रिमंडल में अपने तीन पुराने सहयोगियों को भी अतिरिक्त महकमे थमाए। काबीना मंत्री यशपाल आर्य को उन्होंने आपदा प्रबंधन महकमे का अतिरिक्त भार सौंपा।
एक पखवाड़ा गुजरने को है, लेकिन आर्य ने नए महकमे का कार्यभार ग्रहण नहीं किया। महकमों के वितरण में वरिष्ठता और अनुभव को तरजीह नहीं दिए जाने को उनकी नाराजगी से जोड़कर देखा गया। हालांकि, काबीना मंत्री यशपाल आर्य ने महकमों को लेकर किसी भी तरह की नाराजगी से साफ इन्कार किया है।
'दैनिक जागरण' से बातचीत में उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री के साथ बातचीत के दौरान नई जिम्मेदारी लेने से मना कर चुके हैं। चुनाव में अब गिने-चुने महीने बचे हैं, ऐसे में नए महकमे में जन आकांक्षाओं को पूरा करना मुमकिन नहीं होगा।
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उन्होंने महकमों के बटवारे की टाइमिंग को सही नहीं माना। गौरतलब है कि आपदा प्रबंधन महकमे के मंत्री के तौर पर आर्य पिछले अनुभव से संतुष्ट नहीं हैं। विजय बहुगुणा मंत्रिमंडल में रहते हुए उनके पास यह जिम्मेदारी थी, लेकिन मंत्रालय होने के बावजूद वित्तीय अधिकार नहीं रहने और आपदा के दौरान जनता को तुरंत राहत मुहैया कराने में असमर्थता के चलते आर्य उस वक्त भी रोष जाहिर करने से नहीं चूके थे।
माना जा रहा है कि आपदा प्रबंधन को लेकर आर्य के इन्कार के पीछे एक वजह यह भी हो सकती है। विवादों से बचकर चलने वाले आर्य इन्कार को नाराजगी का रूप दिए जाने से भी खफा हैं।
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