चिता को मुखाग्नि देकर बेटी ने की मां की अंतिम इच्छा पूरी
आखरी सांस लेने के दौरान यह महिला बेटी से रुढ़ीवादी परंपरा को तोड़ने का संकल्प करा गई। बेटी ने भी मां की अंतिम इच्छा पूरी की।
ऋषिकेश, [जेएनएन]: जब तक जिंदा रही, तब तक आवारा कुत्तों को शरण देती रही। आखरी सांस लेने के दौरान यह महिला बेटी से रुढ़ीवादी परंपरा को तोड़ने का संकल्प करा गई। बेटी ने भी मां की अंतिम इच्छा पूरी की और उसकी चिता को मुखाग्नि देकर बेटे के समान धर्म निभाया। आइए जानते हैं पूरा मामला।
तीर्थनगरी से सटे वीरपुर खुर्द में रहने वाली अनीता शर्मा भैरवी (42 वर्ष) क्षेत्र में ऐसा नाम था जो परिचय का मोहताज नहीं था। अनीता शर्मा भैरव देवता की उपासना करती थी।
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वह सड़क पर घूमने वाले बीमार कुत्तों को वह अपने घर ले आती थी। इन जीवो को वह भगवान भैरव का रूप मानती थी। अनीता शर्मा के घर में कई बीमार स्वान अक्सर देखे जा सकते थे। वह अपने हाथों से उनका उपचार करती।
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इनके परिवार से जुड़े पूर्व सभासद रवि जैन ने बताया कि अनीता शर्मा पिछले कई माह से कैंसर से जूझ रही थी। कल शाम उन्होंने अंतिम सांस ली। उन्होंने बताया कि इस महिला का पति कई साल से परिवार से अलग रह रहा था। इस पर बीमारी के दौरान अनीता शर्मा ने पुत्री जाह्नवी के समक्ष इच्छा जताई थी कि जब उनकी मौत हो तो वह चिता को मुखाग्नि दे।
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इस पर 13 वर्षीय बेटी जाह्नवी ने मां की अंतिम इच्छा पूरी करते हुए आज गंगा तट स्थित श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किया। बेटी ने पुत्र धर्म के साथ मां से किया वादा निभाया और मां की चिता को मुखाग्नि दी। हालांकि महिला का पति भी अंतिम संस्कार के दौरान श्मशान घाट पहुंच गया था, लेकिन चिता में मुखाग्नि बेटी ने ही दी।
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