प्राथमिक-माध्यमिक शिक्षा का एकीकरण नहीं, उप्र को जल्द कार्यमुक्त होंगे विकल्पधारी शिक्षक
प्रदेश में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के एकीकरण को सरकार ने यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि इस प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जा रहा है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 17 Aug 2017 09:03 PM (IST)
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: प्रदेश में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के एकीकरण को सरकार ने यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि इस प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जा रहा है। अलबत्ता, कम छात्रसंख्या वाले प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को नजदीकी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में विलीन करने की कार्यवाही चल रही है। उधर, उत्तराखंड में कार्यरत उत्तरप्रदेश विकल्पधारी शिक्षकों को कार्यमुक्त करने का रास्ता तकरीबन साफ हो गया है।
मुख्यमंत्री के निर्देशों पर अमल करते हुए शासन ने इस संबंध में कसरत शुरू कर दी है। राष्ट्रीय पुरस्कार और शैलेश मटियानी राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को एक वेतनवृद्धि के बराबर वैयक्तिक वेतन लाभ देने की मांग का परीक्षण होगा। प्राथमिक से लेकर माध्यमिक स्तर तक शिक्षकों के तमाम संगठनों के साथ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की बैठक का कार्यवृत्त हफ्तेभर बाद बुधवार को जारी किया गया। मुख्यमंत्री से विभिन्न मांगों पर कार्रवाई का भरोसा मिलने के बाद संगठन इसकी बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे थे। अपर सचिव एवं शिक्षा महानिदेशक कैप्टन आलोक शेखर तिवारी की ओर से जारी कार्यवृत्त में शिक्षकों को राजकीय कर्मचारियों की तर्ज पर एश्योर्ड कैरियर प्र्रोग्रेेशन (एसीपी) के तहत प्रोन्नत वेतन का लाभ देने की मांग का भी परीक्षण करने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिए हैं।
अब सालभर पारस्परिक तबादले नहीं राज्य में शिक्षकों के पारस्परिक तबादले अब सालभर नहीं होंगे। इन्हें स्थानांतरण के लिए तय समयसारिणी के तहत ही किया जाएगा। प्राथमिक व उच्च प्राथमिक शिक्षक संघ की स्थानांतरण एक्ट लागू करने की मांग पर फिलहाल विधानसभा का पेच है। इस प्रकरण पर प्रवर समिति की रिपोर्ट को विधानसभा में पेश किया जा चुका है। प्रारंभिक शिक्षकों के संवर्ग परिवर्तन के लिए वर्तमान में प्रचलित स्थानांतरण नियमावली-2013 में संशोधन होगा। यह प्रस्ताव शासन में विचाराधीन है।
पुरानी पेंशन से इन्कारशिक्षक संगठनों की एक अक्टूबर, 2005 के बाद नियुक्त शिक्षकों को पुरानी पेंशन व्यवस्था का लाभ देने की मांग राज्य सरकार ने खारिज कर दी है। केंद्र सरकार की ओर से नई पेंशन योजना लागू किए जाने के बाद राज्य सरकार अपने स्तर पर इसमें बदलाव में खुद को सक्षम नहीं पा रही है। प्राथमिक व उच्च प्राथमिक शिक्षक संघों की छठे वेतनमान में 17140 रुपये और प्राथमिक के सहायक अध्यापक को एंट्री स्केल 16290 रुपये तय करने पर वित्त का अड़ंगा लगा हुआ है। प्रारंभिक शिक्षकों को एलटी में पदोन्नत करने के स्थान पर समायोजन शब्द जोड़ा जाएगा। इसके लिए स्नातक वेतनक्रम नियमावली में संशोधन होगा। उच्चीकृत प्राथमिक विद्यालयों के पृथक संचालन में किसी संवर्ग की हानि नहीं होने दी जाएगी। शिक्षक संगठनों की इस मांग पर मुख्यमंत्री ने प्रस्ताव तलब किया है। बायोमेट्रिक मामले का परीक्षणप्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में बायोमेट्रिक उपस्थिति व्यवस्था, यातायात साधनों की समुचित उपलब्धता से आठ किमी निवास की बाध्यता समाप्त किए जाने की व्यवस्था का भी परीक्षण किया जाएगा। प्रारंभिक शिक्षकों को पदोन्नति के तीन अवसर प्रदान करने के लिए राज्य में चयनित 95 आदर्श राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक को उच्चीकृत 5400 ग्रेड वेतन देने की मांग पर भी मुख्यमंत्री ने पत्रावली मांगी है। एलटी का चयन वेतनमान 5400 ग्रेड वेतन को सातवें वेतनमान में निर्धारित प्रधानाध्यापक पद के स्तर के अनुरूप रखने की मांग पर मुख्यमंत्री ने वेतन विसंगति दूर करने की हिदायत दी है। तदर्थ नियुक्त शिक्षा बंधु को चयन व प्रोन्नत वेतनमान दिए जाने पर मुख्यमंत्री ने नियमानुसार कार्यवाही को कहा है। मुख्यमंत्री ने तदर्थ प्रधानाध्यापकों की सूची जारी करने और शिक्षकों की पदोन्नति शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिए हैं।
सत्र विस्तार की मौजूदा व्यवस्था सहायताप्राप्त अशासकीय विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती के लिए उत्तराखंड शिक्षक सेवा चयन बोर्ड का गठन होगा। शिक्षकों को स्वत: सत्र विस्तार की मांग के स्थान पर सत्र विस्तार की मौजूदा व्यवस्था लागू रखने पर जोर दिया गया है, इसमें सत्र विस्तार के लिए शिक्षकों को सहमति के साथ शारीरिक स्वस्थता का प्रमाणपत्र भी देना होता है। सहायताप्राप्त विद्यालयों में राजकीय की तर्ज पर ही कक्षा में अनुभागों के निर्धारण की व्यवस्था लागू की जाएगी। यह भी पढ़ें: गुरुरामराय मेडिकल कॉलेज ने दी एकलपीठ के इस फैसले को चुनौती
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