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त्यागी के इस्तीफे के बाद दून मेट्रो प्रोजेक्ट को लग सकता झटका

उत्तराखंड मेट्रो रेल कार्पोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक जितेंद्र त्यागी के इस्तीफे के बाद दून-हरिद्वार-ऋषिकेश मेट्रो रेल प्लान में देरी होगी।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Sat, 09 Sep 2017 10:48 PM (IST)
त्यागी के इस्तीफे के बाद दून मेट्रो प्रोजेक्ट को लग सकता झटका
देहरादून, [जेएनएन]: उत्तराखंड मेट्रो रेल कार्पोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक जितेंद्र त्यागी के इस्तीफे के बाद दून-हरिद्वार-ऋषिकेश मेट्रो रेल प्लान को झटका लग सकता है। माना जा रहा है कि परियोजना में न सिर्फ देरी होगी बल्कि त्यागी जैसे अनुभवी अफसर का लाभ भी नहीं मिल पाएगा।  

यह त्यागी का ही प्रस्ताव था कि मेट्रो को दून-हरिद्वार-ऋषिकेश के बीच ही नहीं बल्कि दून शहर के भीतर भी दौड़ाया जाए। उन्होंने इसके लिए दो रूट प्रस्तावित किए। एक रूट आइएसबीटी से कंडोली (राजपुर), जबकि दूसरा रूट एफआरआइ (वन अनुसंधान संस्थान) से रायपुर तक बनाया गया। मेट्रो की डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) में भी दोनों रूट शामिल किए गए। 

उन्होंने हरिद्वार रूट पर अधिक लागत और मुख्य मार्ग पर उसके अनुरूप पर्याप्त यात्रियों के अभाव को देखते हुए इसका विस्तार संबंधित शहरों के अंदरूनी हिस्सों में भी करने का निर्णय लिया था। यह उनका ही प्रयास था कि मेट्रो रेल का जो कुल रूट पहले 73 किलोमीटर था, वह बाद में बढ़कर 100 किलोमीटर हो गया।

देहरादून के भीतर के दो रूट के अलावा हरिद्वार में बहादराबाद से हरिद्वार शहर के भीतर का रूट भी इसमें शामिल किया गया है। इसी तरह मेट्रो रेल परियोजना की जो लागत पहले 17 से 20 हजार करोड़ रुपये आंकी गई थी, वह अब बढ़कर 26 से 27 हजार करोड़ रुपये हो गई है। 

चार साल में शुरू होना है संचालन

पद पर रहते हुए त्यागी का दावा था कि वे चार साल के भीतर एलिवेटेड ट्रैक का काम पूरा करके शहर के किसी न किसी हिस्से में मेट्रो का संचालन शुरू कर देंगे। मगर त्यागी के इस्तीफे के बाद यह काम लटक सकता है। क्योंकि, अगर त्यागी को सरकार नहीं मना पाई तो नया अफसर तलाशना होगा। तलाश और नियुक्ति में ही लंबा समय गुजर सकता है। 

शासन की उदासीनता से खिन्न थे त्यागी   

इस्तीफे के पीछे जितेंद्र त्यागी ने भले व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया हो, मगर माना जा रहा है कि इसकी नींव तभी पड़ गई थी, जब शासन ने वित्तीय व प्रशासनिक अधिकारों की उनकी मांग को नजरअंदाज कर दिया। जितेंद्र त्यागी जब फरवरी 2017 में उत्तराखंड मेट्रो रेल कार्पोरेशन के प्रबंधक बने तो वह जोश से लबरेज थे। 

दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन से सेवानिवृत्ति के बाद वह उत्तराखंड को यादगार तोहफा देना चाहते थे, इसकी बड़ी वजह यह भी थी कि वह स्वयं उत्तराखंड के रहने वाले हैं। आते ही उन्होंने परियोजना की डीपीआर बनाने की दिशा में प्रयास तेज कर दिया था। इसके साथ ही वह अन्य काम भी तेजी से आगे बढ़ाना चाहते थे। इसके लिए वह वित्तीय व प्रशासनिक अधिकारों की मांग कर रहे थे। 

उन्होंने तर्क दिया था कि एक्ट में इसका प्रावधान है। इस मांग पर गौर करने के बजाय शासन ने कहा दिया कि प्रकरण को कैबिनेट की बैठक में ले जाया जाएगा। यह काम भी कई महीने अटका रहा। इसके चलते प्रबंध निदेशक जितेंद्र त्यागी अपने कार्यालय में स्टाफ तक भर्ती नहीं कर पाए। उनके कार्यालय में एक पीएस के अलावा कोई अन्य कर्मचारी नजर नहीं आता था। 

ऐसे हालात के चलते वह जुलाई से ही इस्तीफे के संकेत दे रहे थे। अब कैबिनेट की बैठक ने कार्पोरेशन बोर्ड को वित्तीय व प्रशासनिक अधिकार दिए तो वह इस्तीफे का मन बना चुके थे।  

हालांकि, अभी वह एक महीने के नोटिस पीरियड में हैं। सरकार व शासन पर है कि वह त्यागी को किस तरह मना पाते हैं। यदि ऐसा नहीं हुआ तो निश्चित तौर पर देहरादून मेट्रो रेल प्रोजेक्ट की राह मुश्किल हो जाएगी। क्योंकि उनके जैसा अनुभवी व्यक्तित्व तलाश पाना राज्य के लिए फिलहाल आसान नहीं।

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