गंगा का अहम जल स्रोत डुकरानी ग्लेशियर खतरे में, पिघलने की दर 14 फीसद बढ़ी
गंगा नदी के जल का एक अहम स्रोत डुकरानी ग्लेशियर की सेहत खतरे में है। बीते 24 सालों में इसके पीछे खिसकने की दर में 14 फीसद बढ़ गई है।
सुमन सेमवाल, देहरादून। गंगा नदी के जल का एक अहम स्रोत डुकरानी ग्लेशियर की सेहत खतरे में है। बीते 24 सालों में इसके पीछे खिसकने की दर में 14 फीसद बढ़ गई है। वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के इस शोध को नेशनल जियो-रिसर्च स्कॉलर्स मीट में प्रस्तुत किया गया।
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वाडिया इंस्टीट्यूट के ग्लेशियोलॉजी सेंटर के शोधार्थी डॉ. भानू प्रताप ने शोधपत्र प्रस्तुत करते हुए बताया कि वर्ष 1992 से वर्ष 2000 के बीच डुकरानी ग्लेशियर के पीछे खिसकने की दर 18 मीटर प्रतिवर्ष थी। इसके बाद वर्ष 2007 तक ग्लेशियर की सेहत में कुछ सुधार हुआ और इसके पीछे खिसकने की दर 16 मीटर प्रतिवर्ष पर आ गई।
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हालांकि वर्ष 2007 से वर्ष 2013 के बीच ग्लेशियर के पीछे खिसकने की दर में अचानक अप्रत्याशित वृद्धि हो गई। फिलहाल ग्लेशियर 21 मीटर सालाना की दर से पीछे खिसक रहा है। इस प्रकार ग्लेशियर के पिघलने की रफ्तार पहले की अपेक्षा 14 फीसद बढ़ गई।
उन्होंने बताया कि ग्लेशियर में जमा बर्फ की बात करें तो वर्ष 1992 में यह 0.27 क्यूबिक किलोमीटर थी, इसमें से करीब 10 फीसद की कमी आई है। इसका आशय यह है कि ग्लेशियर पर जितनी बर्फ हर साल पड़ रही है, उससे अधिक बर्फ पिघल रही है। यह स्थिति किसी भी ग्लेशियर की सेहत के लिए उचित नहीं है।
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तो 261 साल में पिघल सकता है डुकरानी ग्लेशियर
यदि डुकरानी ग्लेशियर इसी दर से पीछे खिसकता रहा तो इसे पूरा समाप्त होने में 261 साल लग जाएंगे। जिस तरह हिमालय का इतिहास करोड़ों सालों का है और मानव जाति भी लाखों साल पहले अस्तित्व में आ चुकी थी, उसे देखते हुए यह अवधि अधिक दूर नजर नहीं आती। हालांकि जलवायु में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं और उसी के अनुरूप ग्लेशियरों की सेहत बनती-घटती रहती है।
हिमालय के सिर्फ 15 ग्लेशियरों पर अध्ययन
वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के शोधार्थी डॉ. भानू प्रताप ने रिसर्च स्कॉलर्स मीट में हिमालय के 15 ग्लेशियरों पर किए जा रहे विभिन्न एजेंसियों के शोध पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि हिमालय में 9575 ग्लेशियरों की मौजूदगी के बावजूद कुछ ग्लेशियरों पर ही अध्ययन चल रहा है। अध्ययन का दायरा बढ़ाए जाने पर भी उन्होंने जोर दिया।
इन ग्लेशियरों पर किया गया अध्ययन
डुकरानी, गारा, दूनागिरी, चौराबाड़ी, गोर गरंग, छोटा शिगरी, नेहनार, हमताह, कोलाहोई-दो, शिशरम, तिपरा बैंक, चंगमे खंगपू, नरडू, रुलुंग व शौने गरंग।
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