हाथियों के आतंक से नकरौंदा के दो दर्जन किसानों ने की खेती से तौबा
देहरादून के नकरौंदा क्षेत्र के किसान हाथियों के आतंक से परेशान हैं। बार-बार फसल रौंदने के चलते दो दर्जन किसानों से खेती ही छोड़ दी।
By BhanuEdited By: Updated: Wed, 22 Jun 2016 10:15 AM (IST)
देहरादून, [केदार दत्त] 'हमारा परिवार खेती-बाड़ी से जुड़ा है। 1982 में सेना से रिटायरमेंट लेने के बाद मैंने भी सोचा कि इसमें हाथ बंटाऊ। शुरुआत में सब ठीक चल रहा था, लेकिन अब हालात विकट हो चले हैं। पिछले सात-आठ सालों से हाथियों ने ऐसा उत्पात मचाया हुआ है कि खेती से कुछ भी हासिल नहीं हो रहा। इस बार तो स्थिति यह हो चली है कि अनाज बाजार से लेना पड़ा। इस बारे में शिकायत कर थक चुके हैं, लेकिन जंगलात कुछ करता नहीं और सरकार ने चुप्पी साधी है।'
यह पीड़ा न सिर्फ पूर्व सैनिक मनवीर क्षेत्री, बल्कि नकरौंदा ग्राम पंचायत के उन दो दर्जन कृषक परिवारों की है, जो हाथियों की धमाचौकड़ी के चलते खेती से विमुख हो रहे हैं।
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कृषक शिवराम भद्री बताते हैं कि पिछले साल तो हाथियों ने धान की पौध ही नष्ट कर डाली। इस बार भी करीब चार बीघा क्षेत्र से गेहूं की फसल का दाना तक नसीब नहीं हुआ। फिर वन विभाग से मिलने वाला मुआवजा नाममात्र का होता है और यह भी लंबे समय से नहीं मिला है।
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वह सवाल करते हैं कि ऐसे में आप ही बताइए हम क्या करें। गांव के ही विक्रम खत्री कहते हैं-'पहले हम धान, गन्ना आदि बोते थे, लेकिन हाथी इन्हें तबाह कर दे रहे हैं।
अब तो हम खेतों में मक्का डाल देते हैं, हो गया तो ठीक अन्यथा...। हां, एक बात और पहले जो नाममात्र का मुआवजा आसानी से मिल जाता था, लेकिन अब इसमें इतनी जटिलताएं कर दी गई हैं कि लोग आवेदन करने से भी कतराने लगे हैं। पढ़ें-खेत में काम कर रहे थे किसान, तभी सामने आ गया मगरमच्छ, फिर क्या हुआ जानिए...
सरदार अवतार सिंह कहते हैं कि वन सीमा से सटा होना गांव के किसानों के लिए अभिशाप बन गया है। अपने खेतों की तरफ इशारा करते हुए वह बताते हैं कि अब खेती करना ही बंद कर दिया है।
समझा जा सकता है कि जब राजधानी से महज 14 किमी की दूरी पर स्थित नकरौंदा का ये हाल है तो दूरस्थ इलाकों का हाल क्या होगा। यहां करीब दो दर्जन किसानों ने खेती से तौबा कर ली है। दरअसल, यह गांव देहरादून और मसूरी वन प्रभागों की सीमा से सटा है।
करीब 12 वर्ग किमी क्षेत्रफल वाली 12 हजार की आबादी वाले इस गांव में हाथियों ने अर्से से ग्रामीणों की नाक में दम किया हुआ है। सौंग नदी और लच्छीवाला की सीमा से हाथी गांव में घुसते हैं और फसलें रौंद डालते हैं। यही नहीं, प्रभावित लोगों को 2014 से मुआवजा राशि भी नहीं मिल पाई है।
वह सवाल करते हैं कि ऐसे में आप ही बताइए हम क्या करें। गांव के ही विक्रम खत्री कहते हैं-'पहले हम धान, गन्ना आदि बोते थे, लेकिन हाथी इन्हें तबाह कर दे रहे हैं।
अब तो हम खेतों में मक्का डाल देते हैं, हो गया तो ठीक अन्यथा...। हां, एक बात और पहले जो नाममात्र का मुआवजा आसानी से मिल जाता था, लेकिन अब इसमें इतनी जटिलताएं कर दी गई हैं कि लोग आवेदन करने से भी कतराने लगे हैं। पढ़ें-खेत में काम कर रहे थे किसान, तभी सामने आ गया मगरमच्छ, फिर क्या हुआ जानिए...
सरदार अवतार सिंह कहते हैं कि वन सीमा से सटा होना गांव के किसानों के लिए अभिशाप बन गया है। अपने खेतों की तरफ इशारा करते हुए वह बताते हैं कि अब खेती करना ही बंद कर दिया है।
समझा जा सकता है कि जब राजधानी से महज 14 किमी की दूरी पर स्थित नकरौंदा का ये हाल है तो दूरस्थ इलाकों का हाल क्या होगा। यहां करीब दो दर्जन किसानों ने खेती से तौबा कर ली है। दरअसल, यह गांव देहरादून और मसूरी वन प्रभागों की सीमा से सटा है।
करीब 12 वर्ग किमी क्षेत्रफल वाली 12 हजार की आबादी वाले इस गांव में हाथियों ने अर्से से ग्रामीणों की नाक में दम किया हुआ है। सौंग नदी और लच्छीवाला की सीमा से हाथी गांव में घुसते हैं और फसलें रौंद डालते हैं। यही नहीं, प्रभावित लोगों को 2014 से मुआवजा राशि भी नहीं मिल पाई है।
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सांसद प्रतिनिधि जितेंद्र सिंह बताते हैं कि पूर्व में वन सीमा पर खाई खुदान का कार्य हुआ, लेकिन यह बारिश से भर चुका है। वन सीमा पर सौर ऊर्जा बाड़ लगाने की बात भी हुई, मगर मसौदा लटका हुआ है।
देहरादून के प्रभागीय वनाधिकारी पीके पात्रो के मुताबिक नकरौंदा में हाथियों की समस्या को देखते हुए वन सीमा पर सौर ऊर्जा बाड़ का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। बजट मिलते ही यह कार्य शुरू करा दिया जाएगा। इसके अलावा हाथियों पर निगरानी को वन सीमा पर वॉच टावर स्थापित किया जा रहा है, जिसमें कार्मिकों की तैनाती रहेगी। ताकि, हाथियों को गांव की ओर रुख करने पर उन्हें खदेड़ा जा सके।
यह है स्थिति
हाथी प्रभावित इलाके :-वार्ड एक, दो, तीन, चार, पांच, छह, आठ, 12 व 13।
प्रभावित किसान :- 2015 में 120 और इस जनवरी से अब तक 56।
खेती छोड़ी :- वार्ड तीन व पांच के करीब 24 किसानों ने समेटी खेती
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आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।सांसद प्रतिनिधि जितेंद्र सिंह बताते हैं कि पूर्व में वन सीमा पर खाई खुदान का कार्य हुआ, लेकिन यह बारिश से भर चुका है। वन सीमा पर सौर ऊर्जा बाड़ लगाने की बात भी हुई, मगर मसौदा लटका हुआ है।
देहरादून के प्रभागीय वनाधिकारी पीके पात्रो के मुताबिक नकरौंदा में हाथियों की समस्या को देखते हुए वन सीमा पर सौर ऊर्जा बाड़ का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। बजट मिलते ही यह कार्य शुरू करा दिया जाएगा। इसके अलावा हाथियों पर निगरानी को वन सीमा पर वॉच टावर स्थापित किया जा रहा है, जिसमें कार्मिकों की तैनाती रहेगी। ताकि, हाथियों को गांव की ओर रुख करने पर उन्हें खदेड़ा जा सके।
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