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लोगों के लिए काल बन रहे सड़क हादसे, हर तीसरे दिन एक मौत

राजधानी देहरादून में सड़क हादसे लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। ताज़ा आंकड़ों पर गौर करें तो यहां हर तीसरे दिन सड़क दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत होती है।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Mon, 20 Nov 2017 11:00 PM (IST)
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लोगों के लिए काल बन रहे सड़क हादसे, हर तीसरे दिन एक मौत

देहरादून, [संतोष तिवारी]: देहरादून जिले में गुजरे दस माह में 18 हत्याएं हुईं, जबकि सड़क हादसों में सौ से अधिक लोगों की जान गई। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सड़क हादसे लोगों की जिंदगी पर किस कदर भारी पड़ रहे हैं। बावजूद इसके तंत्र इन हादसों के कारणों की पड़ताल करने के बजाय महज कागज काले करने में लगा है। 

किसी भी परिवार को आर्थिक, सामाजिक और मानसिक रूप से वर्षों पीछे धकेल देने वाले सड़क हादसों की स्थिति देहरादून में बेहद चिंताजनक है। आंकड़ों में इसकी भयावह तस्वीर नजर आने के बाद भी हर हादसे के बाद सिर्फ खामोशी होती है। हद तो यह कि अधिकांश हादसों का जिम्मेदार मृतक या फिर दुर्घटना का कारण बनने वाले वाहन और उसके चालक के मत्थे मढ़ दिया जाता। जबकि, हकीकत यह है कि अधिकतर हादसे रोड डिजाइनिंग में खामी, सड़कों पर गड्ढों के होने, खतरनाक मोड़ पर संकेतक न होने, सामान्य से तेज रफ्तार और यातायात नियमों की अनदेखी जैसे कारणों से होते हैं। जिन पर यदि तंत्र की तंद्रा टूटे तो स्थिति नियंत्रण में आ सकती है। 

लेकिन, यहां हर जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेता है। आंकड़ों पर गौर करें तो पाएंगे कि जनवरी से लेकर अक्टूबर के अंत तक जिले में कुल 245 सड़क हादसे हुए। इसमें 102 लोगों की जान गई और 220 के करीब लोग घायल हुए। जबकि, 76 के करीब जीवन भर के दिव्यांग हो गए। 

राज्य की तस्वीर और चिंताजनक 

सड़क हादसे केवल दून ही नहीं, राज्य भर में लोगों को मौत की नींद सुला रहे हैं। अपर पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार की मानें तो इस साल उत्तराखंड में सड़क हादसों में 950 की मौत हुई, जबकि 1600 के करीब लोग घायल हुए। इसमें सर्वाधिक सड़क हादसे देहरादून, ऊधमसिंहनगर, नैनीताल और हरिद्वार में हुए। 

यह है देश की तस्वीर 

देश में हर साल पांच लाख के करीब सड़क हादसे होते हैं। इसमें डेढ़ लाख के करीब मौत होती हैं और 30 हजार से अधिक लोग अंग-भंग होने के कारण आजीवन दिव्यांगता का दर्द सहने को विवश होते हैं। 

नहीं है यातायात नियमों की परवाह 

सड़क पर यातायात नियमों के प्रति बेपरवाही भी मौत के मुंह में जाने का अहम कारण बन रही है। यातायात पुलिस के पिछले 10 माह की कार्रवाई पर नजर डालें तो यातायात नियमों की अनदेखी पर 1.19 लाख लोगों के चालान हुए। यह आंकड़ा अकेले देहरादून जिले का है, कमोबेश यही स्थिति राज्य के अन्य जनपदों में भी है। 

दून में सड़क हादसे 

वर्ष                      हादसे     मृतक   घायल 

2017(अब तक)     245      102    220 

2016                  293       131   213 

2015                  343       143   303 

एसएसपी निवेदिता कुकरेती का कहना है कि सड़क हादसों को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। स्कूल-कॉलेजों में छात्र-छात्राओं को खुद यातायात नियमों का पालन करने और अभिभावकों से भी नियमों का पालन कराने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। यही वजह है कि पिछले साल के मुकाबले इस हादसों में कमी आई है। 

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