जंगलों में लगी आग रोकने के लिए उठाए जा रहे कदम नाकाफी: हरीश रावत
उत्तराखंड के विभिन्न जिलो में लगी आग पर अब सियासत भी गरमाने लगी है। निवर्तमान सीएम हरीश रावत ने वनाग्नि को रोकने की दिशा में बढ़ाए कदम को अभी भी अप्रभावी बताया। उन्होंने राज्पाल को भेजे वनाग्नि बुझाने के सुझाव को लागू नहीं करने पर अप्रत्यक्ष तौर पर नाराजगी भी जताई।
देहरादून। उत्तराखंड के विभिन्न जिलो में लगी आग पर अब सियासत भी गरमाने लगी है। निवर्तमान सीएम हरीश रावत ने वनाग्नि को रोकने की दिशा में बढ़ाए कदम को अभी भी अप्रभावी बताया। साथ ही उन्होंने पर राज्पाल को भेजे वनाग्नि बुझाने के सुझाव को लागू नहीं करने पर अप्रत्यक्ष तौर पर नाराजगी भी जताई।
आज बेशक कार्यक्रम विश्व मई दिवस का था। मगर निवर्तमान सीएम ने इस मौके पर उत्तराखंड के जंगलों में धधक रही आग का मुद्दा उठाकर सियायत को गरमा दिया। कांग्रेस भवन में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि जंगलों में लगी आग को बुझाने में बेशक कुछ प्रयास हुए हैं, मगर वे नाकाफी हैं।
पत्रकारों से मुखातिब हरीश रावत ने बातों ही बातों में राज्यपाल के जंगलों में लगी आग बुझाने के उनके सुझाव को लागू नहीं करने पर नाराजगी भी जताई। उन्होंने बिना जनभागिता के आग पर नियंत्रण पाने में संदेह जताया। उन्होंने कहा कि जब तक इन प्रयासों को व्यापक तौर पर नहीं फैलाया जाता तब तक वनों, वन्य जीव, जैविक विवधता व उन पर आश्रित जीवन को बचाना संम्भव नही हैत्र
इस दौरान किए जा रहे प्रयासों को नाकाफी बताते हुए उन्होंने अपने सुझाव भी दिए। उन्होंने कहा कि राज्य को अग्नि आपदा पीडि़त घोषित किया जाना चाहिए। आपदा प्रबंधन टुकडि़यों का गठन कर प्रत्येक वन वीट में तैनाती की जानी चाहिए। साथ ही आग बुझाने मे लगे ग्रामवासियों व अन्य कर्मियों को सामूहिक रुप से बीमाकृत कर उन्हें राज्यकर्मी के तौर पर नुकसान की स्थिति में मुआवजा के लिए पात्र बनाया जाए।
हरीश रावत ने कहा कि आग बुझाने हेतु प्रत्येक गांव में अग्निशमन टुकडि़यों का गठन कर उन्हें मनरेगा कर्मियों से डेढ़ गुना भुगतान किया जाए। जल स्रोतों की सुरक्षा के लिए आपातकालीन योजना बनाकर उसें जल्द क्रियान्वित करना होगा। इससें पानी और उनके स्रोतों की सुरक्षा को प्राथमिकता से शामिल करना होगा। चीड़ की पत्तियों व अन्य झड़न सामाग्री का उठान कार्य युद्ध स्तर पर प्रारम्भ किया जाए।
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