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पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पंचेश्वर बांध पर सरकार को लिया आड़े हाथ

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पंचेश्वर बांध को लेकर प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्होंने कहा कि बांध प्रभावितों की समस्याओं को सुनने के लिए वह क्षेत्र का दौरा करेंगे।

By BhanuEdited By: Updated: Sat, 30 Sep 2017 10:47 PM (IST)
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पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पंचेश्वर बांध पर सरकार को लिया आड़े हाथ

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: पंचेश्वर बांध परियोजना को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने नया मोर्चा खोला है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना में टिहरी बांध से अधिक गांवों का विस्थापन होना है, लेकिन सरकार इस दिशा में कतई गंभीर नजर नहीं आती। उन्होंने बताया कि वह एक पांच अक्टूबर तक पंचेश्वर बांध परियोजना की जद में आने वाले गांवों का दौरा कर लोगों की समस्याएं सुनने के साथ ही सुझाव लेंगे।

भारत और नेपाल के संयुक्त उपक्रम पंचेश्वर बांध परियोजना से करीब पांच हजार मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य है। 315 मीटर की ऊंचाई पर बनने वाले इस बांध के विस्थापन की जद में उत्तराखंड के लगभग 122 गांवों के आने की संभावना है। देश की बिजली की जरूरत पूरी करने के मद्देनजर केंद्र सरकार भी इसमें खास दिलचस्पी ले रही है। 

इस सबके बीच कांग्रेस और खासकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत इस परियोजना को लेकर मोर्चा खोलने जा रहे हैं। दिल्ली में स्वास्थ्य लाभ करने के बाद रावत ने एक बार फिर उत्तराखंड का रुख किया है। वह लगभग एक सप्ताह पंचेश्वर बांध क्षेत्र का दौरा करेंगे। 

पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि परियोजना को लेकर मौजूदा स्थिति पर सरकार ने गहनता से अध्ययन की जरूरत नहीं समझी है। इसकी डीपीआर और रिवाइज डीपीआर की पूरी जानकारी उनके पास है, जो बताती है कि परियोजना में पुनर्वास एक बड़ा सवाल है। 

इसमें टिहरी बांध परियोजना से कहीं अधिक गांवों का पुनर्वास होना है। यदि इनके लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो यह राज्य के लिए एक बड़ा घाव बन सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने न तो कैबिनेट में इस परियोजना को लेकर चर्चा और न केंद्र व राज्य के बीच कोई तालमेल ही नजर आ रहा।

भाजपा नेता सत्ता मद में चूर: सुरेंद्र

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के मुख्य प्रवक्ता सुरेंद्र कुमार ने आरोप लगाया कि भाजपा नेता सत्ता के मद में चूर होकर अदालत का काम भी स्वयं करने लगे हैं। 

एक बयान में सुरेंद्र कुमार ने कहा कि भाजपा के एक नेता द्वारा रुद्रपुर कोतवाली में जो कुछ किया गया, वह उनकी सोच को जाहिर करता है। लगता है भाजपा नेताओं को अपने पुलिस प्रशासन व अदालतों पर विश्वास नहीं रहा है। इसलिए खुद ही मुंसिफ, खुद ही काज़ी और खुद ही सिपाही बन गए हैं। 

रुद्रपुर की घटना में कोतवाली की पुलिस मूकदर्शक बनकर तमाशा देखती रही। उन्होंने मुख्यमंत्री व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के साथ ही इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देने की मांग भी की है।

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