गढ़ कौथिग में दिखेे कर्इ राज्यों के रंग, हिमाचल की सिरमौरी नाटी ने लूटी वाहवाही
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में इनदिनों गढ़ कौथिग की धूम है। अलग-अलग राज्यों से आ रहे कलाकार भी लोगों का खूब मन भा रहे हैं।
देहरादून, [जेएनएन]: कौथिग 2017 के तीसरे दिन लोक गीत और नृत्यों की धूम रही। उत्तर क्षेत्र के कलाकारों की प्रस्तुति पर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। वहीं उत्तराखंड के 'बेडु पाको बारों मासा' की धुन पर हर कोई थिरकने को मजबूर दिखा। स्कूली छात्र-छात्राओं ने भी मन को छूने वाली प्रस्तुतियां दी।
परेड ग्राउंड में अखिल गढ़वाल सभा के कौथिग में दिनोंदिन लोक संस्कृति का समागम बढ़ रहा है। शुक्रवार सुबह विद्यालयी स्तर पर छात्र-छात्राओं के बीच लोक गीतों पर समूह गान प्रतियोगिताओं के साथ हुआ। कौथिग में उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला की ओर से आए हिमाचल प्रदेश के कलाकारों ने सिरमौरी नाटी और जम्मू-कश्मीर के कलाकारों ने रूप नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति देकर खूब वाहवाही लूटी। हिमाचल के लम्बड़ा डांस को भी दर्शकों ने खूब सराहा।
इस मौके पर रिटायर्ड आइजी एसएस कोठियाल ने कार्यक्रम की तारीफ करते हुए आयोजकों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम हमें अपनी संस्कृति और सभ्यता से जोड़ते हैं। इस दौरान लोक गायिका संगीता ढौंडियाल, लोक गायक अनिल बिष्ट, नीता कुकरेती, अजय जोशी, डा. माधुरी बड़थ्वाल, रेखा धस्माना उनियाल, रोशन धस्माना, रमेंद्र कोटनाला, मदन मोहन डुकलान, वीरेंद्र असवाल, गजेंद्र भंडारी, संतोष गैरोला, कुलानंद घनशाला, अब्बल सिंह नेगी, मंजू नेगी, दामोदर सेमवाल, रीता भंडारी आदि मौजूद रहे।
लोक गीत में ये छात्र रहे अव्वल
जूनियर वर्ग में सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल, डीएवी पब्लिक स्कूल, विवरली पब्लिक स्कूल ने क्रमश: पहला, दूसरा और तीसरा व एसजीआरआर पब्लिक स्कूल को सांत्वना पुरस्कार मिला। सीनियर वर्ग में डीएवी पब्लिक स्कूल प्रथम, एसजीआरआर पटेलनगर द्वितीय, एसजीआरआर रेसकोर्स तृतीय पुरस्कार मिला।
गढ़ भोज और पहाड़ी उत्पाद बिके हाथोंहाथ
परेड ग्राउंड में कौथिग में यूं तो बाजार सजा हुआ है। मगर घूमने आ रहे लोग गढ़ भोज, गढ़वाली व्यंजन, हैंडी क्रॉप्ट और पहाड़ी उत्पादों के स्टॉलों पर रुक रहे हैं। दाल, आटा, चावल, बड़ी, तिल, अचार आदि पहाड़ी उत्पादों को खूब खरीद रहे हैं। यही नजारा गढ़ भोज स्टाल पर भी देखने को मिल रहा है। लोग यहां गढ़वाल भोज के अलावा अरसा आदि का खूब स्वाद चख रहे हैं। कई लोग गढ़वाली व्यंजन को पैक कराकर घर भी ले जा रहे हैं।
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