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अब एक ही जगह होंगे देवभूमि उत्तराखंड के संपूर्ण दर्शन, जानिए कैसे

उत्तराखंड सरकार जल्द ही प्रदेश में चौकी धानी की तर्ज पर हैरिटेज विलेज स्थापित करने जा रही है। जिससे सैलानियों को एक ही जगह पर उत्तराखंंड की सभ्यता-संस्कृति के दीदार होंगे।

By raksha.panthariEdited By: Updated: Sat, 14 Oct 2017 10:40 PM (IST)
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अब एक ही जगह होंगे देवभूमि उत्तराखंड के संपूर्ण दर्शन, जानिए कैसे

देहरादून, [केदार दत्त]: कोशिशें रंग लाई तो राजस्थान की 'चौकी धानी' की तर्ज पर उत्तराखंड में बनने वाले 'हैरिटेज विलेज' में भी देवभूमि की सांस्कृतिक विरासत नुमायां होगी। मंशा यह है कि राजस्थान में जिस प्रकार चौकी धानी देश-दुनिया के सैलानियों के आकर्षण का केंद्र है, ठीक उसी तरह के प्रयास यहां भी हों। खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ऐसी पहल के इच्छुक हैं। इस सबके मद्देनजर देहरादून समेत प्रदेश में अन्य स्थानों पर भी पर्याप्त भूमि की उपलब्धता देखी जा रही है। 

पिंक सिटी जयपुर से कुछ ही फासले पर करीब 12 एकड़ में फैली है 'चौकी धानी'। यह एक प्रकार का हैरिटेज पार्क है, जिसमें राजस्थान की सभ्यता, संस्कृति, खान-पान आदि का सैलानी एक ही जगह आनंद उठा सकते हैं। इस लिहाज से देखें तो उत्तराखंड भी सांस्कृतिक विरासत भी कम समृद्ध नहीं है। बावजूद इसके, ऐसी ठोस पहल राज्य में नहीं हो पाई, जिसमें चौकी धानी की तरह उत्तराखंड की संपूर्ण सांस्कृतिक थाती नुमायां हो। अब राज्य सरकार इस दिशा में गंभीर हुई है। 

हिमालय दिवस के मौके पर नौ सितंबर को खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य में गढ़वाल, कुमाऊं और जौनसार की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से सैलानियों को रूबरू कराने के मद्देनजर 'हैरिटेज विलेज' की स्थापना पर जोर दिया था। इस बीच मुख्यमंत्री को हाल में आम लोगों की ओर से सुझाव भेजे गए, जिनमें कहा गया कि चौकीधानी की तर्ज पर ही हैरिटेज विलेज बनना चाहिए। यह भी सुझाव जनता की ओर से उन्हें भेजा गया कि हैरिटेज विलेज में स्थानीय युवाओं को ही रोजगार उपलब्ध कराया जाए। 

इस सबको देखते हुए सरकार कवायद में जुटी है। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के मुताबिक देवभूमि की सांस्कृतिक विरासत देश-दुनिया तक पहुंचे, इसके लिए प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हैरिटेज विलेज के सुझाव को लेकर मंथन चल रहा है। इसे देहरादून अथवा राज्य में किसी भी स्थल पर स्थापित किया जा सकता है। बशर्ते, पर्याप्त भूमि की उपलब्धता हो जाए। 

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