खुखरी की प्रेरणा से छुआ सफलता का आसमां: जनरल बिपिन रावत
आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने कहा कि खुखरी के साथ शुरू हुआ सफर आज भी खुखरी के साथ चल रहा है। खुखरी के 43 साल के सफल सफर पर उन्हें गर्व महसूस हो रहा है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Sun, 10 Sep 2017 08:35 PM (IST)
देहरादून, [जेएनएन]: आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने कहा कि 1969 में स्कूली शिक्षा के दौरान खुखरी के साथ शुरू हुआ सफर आज भी खुखरी के साथ चल रहा है। स्कूल के प्रतीक चिह्न और मोटो पर खरा उतरकर जनरल रावत ने सफलता के झंडे बुलंद किए हैं। उन्होंने कहा कि खुखरी के 43 साल के सफल सफर पर उन्हें गर्व महसूस हो रहा है।
मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल के रहने वाले जनरल बिपिन रावत ने दून में भी शिक्षा ग्रहण की। गढ़ी कैंट स्थित कैंब्रियन हॉल स्कूल में उन्होंने 1969 में कक्षा छह में दाखिला लिया और 1971 तक यहां पढ़ाई जारी रखी। इसके बाद उनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल (रिटा.) एलएस रावत का तबादला शिमला हो गया और जनरल बिपिन रावत भी उनके साथ शिमला चले गए।जनरल रावत ने आगे की पढ़ाई शिमला में ही की। मगर दून में स्कूलिंग के तीन साल उनके जीवन में यादगार बन गए। यह बात स्वयं जनरल ने शनिवार को कैंब्रियन हॉल स्कूल के स्थापना दिवस पर कही। जनरल बिपिन रावत ने कहा कि कैंब्रियन हॉल में ऐडमीशन लिया तो यहां खुखरी स्कूल का चिह्न था। स्कूल का मोटो 'टू ग्रेटर हाइट्स' है।
इसी से प्रेरणा मिली तो जीवन में कुछ अलग करने की ठानी। नतीजतन जनरल रावत दिसंबर 1978 में आइएमए से पास आउट होने के बाद गोरखा राइफल्स में तैनाती मिली। वह कहते हैं कि खुखरी से शुरू हुआ सफर लगातार चल रहा है। मेरे लिए यह गर्व की बात है कि मैं अपने स्कूल के मोटो और चिह्न पर खरा उतरा हूं। जनरल रावत ने खुखरी से मिली प्रेरणा के बल पर आर्मी चीफ तक का सफल सफर तय कर ढेरों उपलब्धि अपने नाम दर्ज कराई हैं। इसलिए स्कूल का चिह्न खुखरी
रिटायर्ड कर्नल शशि शमशेर जेबी राणा नेपाल से दून आए तो कैंब्रियन हॉल की स्थापना की। नेपाल की पहचान खुखरी को उन्होंने स्कूल के चिह्न के रूप में नेपाल से दिखने वाली हिमालय रेंज के बर्फीले पहाड़ों के साथ प्रदर्शित किया। तब से स्कूल का प्रतीक चिह्न खुखरी है।पुराने दोस्तों को देख हुए गदगदआर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने कहा कि कैंब्रियन हॉल में पढ़ाई के दौरान की जो यादें साथ हैं, वह कभी न भूली जाने वाली हैं। पुराने दोस्तों और शिक्षकों को याद करते हुए जनरल के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी। मंच पर बैठे जनरल ने जब दर्शक दीर्घा में अपने सहपाठी देखे तो वह गदगद हो गए। मंद-मंद मुस्कराते हुए जनरल ने मंच से ही इशारों में उनका अभिनंदन भी स्वीकार किया। हालांकि, संबोधन के दौरान जनरल बिपिन रावत ने अपने कुछ दोस्तों का नाम लेते हुए उनके साथ पुरानी यादें ताजा की है। खूब की साइकिल रेस जनरल रावत ने कहा कि दून में रहते हुए उन्होंने यहां की सड़कों पर खूब साइकिल रेस की। दोस्तों के साथ वह अक्सर छुट्टी में साइकिल रेस करते थे। साइकिल चलाने के अलावा वह खेलों में भी खासी रुचि रखते थे। जनरल रावत के गुरु रहे शांति स्वरूप ने कहा कि उस दौरान दून में भीड़-भाड़ नहीं थी। साइकिल भी कुछ लोगों के पास ही हुआ करती थी। ऐसे में सड़कों पर साइकलिंग का दौर देखा गया। मेहनत व अनुशासन बेहद जरूरीकैंब्रियन हॉल में पढ़ने वाले बच्चों को संबोधित करते हुए जनरल रावत ने कहा कि अच्छा स्कूल, शिक्षक और अभिभावकों के अलावा लक्ष्य हासिल करने के लिए मेहनत व अनुशासन भी बेहद जरूरी है।
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