उत्तराखंडः दस जनपथ ने टाला सरकार का संकट
राज्यसभा की एक सीट के चुनाव को लेकर उत्तराखंड की हरीश रावत सरकार के समक्ष आया संकट दस जनपथ के हस्तक्षेप के बाद टल गया है। सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद आर्य के तेवर ढीले पड़ गए।
विकास धूलिया, देहरादून। राज्यसभा की एक सीट के चुनाव को लेकर उत्तराखंड की हरीश रावत सरकार के समक्ष आया संकट दस जनपथ के हस्तक्षेप के बाद टल गया है। अल्मोड़ा के पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा को प्रत्याशी बनाए जाने से खफा वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य की सोमवार को नई दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से लगभग बीस मिनट बात हुई। इसके बाद आर्य के तेवर नरम पड़ते दिखाई दिए। उधर, प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंट से घोषित प्रत्याशी कैबिनेट मंत्री दिनेश धनै हालांकि चुनाव लड़ने के अपने फैसले पर अड़े हुए हैं।
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वहीं, पीडीएफ प्रमुख मंत्री प्रसाद नैथानी ने साफ कर दिया है कि पीडीएफ किसी भी स्थिति में भाजपा का समर्थन नहीं लेगा और न ही सूबे को एक बार फिर राजनैतिक अस्थिरता की ओर धकेलेगा। इस स्थिति में अब संकेत साफ हैं कि कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप टम्टा की राज्यसभा पहुंचने की राह आसान हो गई है।
राज्यसभा की आगामी चार जुलाई को रिक्त होने जा रही एक सीट के चुनाव के लिए प्रत्याशी चयन को लेकर कांग्रेस के भीतर से उठा तूफान थम गया है। पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा को प्रत्याशी घोषित किए जाने से नाराज कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य आलाकमान के बुलावे पर सोमवार को मुख्यमंत्री हरीश रावत, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और कैबिनेट मंत्री प्रीतम सिंह व सुरेंद्र सिंह नेगी के साथ नई दिल्ली पहुंचे।
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इन नेताओं की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनैतिक सलाहकार अहमद पटेल से मुलाकात हुई, जबकि प्रदेश प्रभारी अंबिका सोनी से फोन पर बातचीत। इस दौरान मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केंद्रीय नेताओं को सूबे के ताजा राजनैतिक हालात की जानकारी दी। प्रत्याशी चयन से खफा यशपाल आर्य को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मुलाकात के लिए बुलाया।
सूत्रों के मुताबिक आर्य की सोनिया के साथ लगभग बीस मिनट अकेले में बात हुई। आर्य ने इस दौरान पार्टी अध्यक्ष के समक्ष अपनी बात विस्तार से रखी। सोनिया से मुलाकात के बाद आर्य का रुख नरम पड़ गया।
सूत्रों का कहना है कि यशपाल आर्य की नाराजगी दूर हो जाने के बाद अब यह तय हो गया है कि प्रदीप टम्टा ही कांग्रेस के राज्यसभा प्रत्याशी होंगे। हालांकि सोमवार देर शाम देहरादून लौटने पर मुख्यमंत्री हरीश रावत इस संबंध में टिप्पणी से बचे। मीडिया के सवालों के जवाब में उन्होंने महज इतना ही कहा कि प्रत्याशी के संबंध में राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्णय की जानकारी प्रदेश अध्यक्ष देंगे। इससे साफ हो गया कि चौबीस घंटे पहले तक कांग्रेस सरकार जिस अंदरूनी संकट से जूझ रही थी, उससे सरकार को निजात मिल गई है।
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पार्टी के आंतरिक मोर्चे पर तो मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कामयाबी हासिल कर ली मगर सहयोगी पीडीएफ को मनाने में अभी भी उन्हें पूरी तरह सफलता नहीं मिली है। सोमवार शाम बैठक के बाद पीडीएफ द्वारा राज्यसभा के लिए घोषित प्रत्याशी कैबिनेट मंत्री दिनेश धनै अपने स्टैंड पर अडिग नजर आए।
उन्होंने साफ लफ्जों में कह दिया कि वह चुनाव मैदान से नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि पीडीएफ के दो सदस्यों मंत्री प्रसाद नैथानी व हरीश चंद्र दुर्गापाल ने राज्यसभा चुनाव लडऩे पर असहमति व्यक्त की है, जबकि बाकी तीन सदस्य चुनाव लडऩे पर सहमत हैं। पीडीएफ किसी को नेता बनाने के लिए नहीं बनाया गया। वह चुनाव लडऩे के अपने स्टैंड पर कायम हैं और मंगलवार को नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। कांग्रेस समर्थन देगी तो ठीक, अन्यथा अन्य विधायकों से समर्थन मांगा जाएगा।
उधर, पीडीएफ प्रमुख मंत्री प्रसाद नैथानी ने कहा कि अभी वह इस संबंध में मुख्यमंत्री से बात करेंगे लेकिन पीडीएफ किसी भी कीमत पर राज्य में राजनैतिक अस्थिरता नहीं चाहता। दिनेश धनै को कहा गया है कि पीडीएफ किसी भी स्थिति में भाजपा का समर्थन नहीं लेगा। भाजपा तो ताक में बैठी है मगर हम ऐसे होने नहीं देंगे।
उधर, गत रात मुख्यमंत्री हरीश रावत ने डिनर पर विधायक दल की बैठक बुलाई। इसमें पीडीएफ के विधायक भी शामिल हुए। समझा जा रहा है कि इस दौरान पीडीएफ के मसले को भी सुलझाने के फार्मूले पर चर्चा हुई।
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