शौर्य दिवसः 'छल' की जमीन पर 'शहादत' का सम्मान
कारगिल के शहीदों के परिजनों के साथ सरकार ने सम्मान के नाम पर मजाक किया। कई परिवारों को जमीन तो आवंटित कर दी गई, लेकिन आज तक जमीन का कब्जा नहीं दिलाया गया।
देहरादून, [जेएनएन]: यह मजाक ही तो है कि कारगिल शहीद के परिजनों को खानापूर्ति के लिए नेहरू ग्राम में जमीन आवंटित कर दी गई, मगर यह तक जानने की कोशिश नहीं की गई कि उस जमीन पर किसी का कब्जा तो नहीं। यह कोई आज की बात नहीं, करीब डेढ़ दशक पहले का मामला है, जब कारगिल शहीद संजय गुरुंग के परिवार को सरकार ने विवादित जमीन आवंटित की। इस जमीन पर आज तक शहीद के परिवार का कब्जा नहीं हो पाया है।
शहीद संजय गुरुंग के भाई सुनील इस बात से खफा नहीं कि उन्हें जमीन नहीं मिल पाई, बल्कि उन्हें पीड़ा इस बात की है कि सरकार ने शहीद के साथ छल किया है। शहीद परिवारों के प्रति सरकार की उदासीनता के और भी मामले हैं।
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उत्तराखंड के 75 शहीदों में से कई परिवारों को आज तक जमीन नहीं मिल पाई है। जबकि, इस बाबत सरकार ने बाकायदा आदेश जारी कराया था। कालीदास रोड निवासी शहीद सुबाब सिंह की पत्नी मुन्नी देवी भी सरकारी उपेक्षा से क्षुब्ध हैं।
उनका कहना है कि सरकार ने उन्हें पांच बीघा जमीन देने की घोषणा की थी। वह मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर कई स्तर पर गुहार लगा चुकी हैं। डेढ़ दशक से एडियां रगड़ रही हैं, लेकिन हासिल कुछ नहीं हुआ।
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इसी तरह शहीद जयदीप सिंह भंडारी के परिवार को भी सरकार ने विवादित जमीन आवंटित कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। बाद में लंबी भागदौड़ के बाद परिवार को उनका वाजिब हक मिला।
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