उत्तराखंड सरकार मृतकों के आश्रित को देगी सरकारी नौकरी
आपदा में पूर्ण क्षतिग्रस्त मकान का मुआवजा एक लाख से बढ़ाकर दो लाख रुपये किया गया है। साथ ही राज्य सरकार आगामी कैबिनेट में आपदा में मृतकों के आश्रितों को सरकारी नौकरी का प्रस्ताव रखेगी।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: सरकार आपदा में किसी परिवार के मुखिया या कमाने वाले सदस्य की मृत्यु होने पर आश्रित को सरकारी नौकरी देने पर मंथन कर रही है। इस बारे में अगली कैबिनेट में प्रस्ताव आएगा।
इधर, आपदा में पूर्ण क्षतिग्रस्त मकान का मुआवजा एक लाख से बढ़ाकर दो लाख रुपये किया गया है। आंशिक क्षतिग्रस्त भवनों के लिए भी इसी अनुपात में धनराशि बढ़ाई जाएगी। जिलाधिकारियों को आपदा प्रभावितों को कैंपों में ज्यादा दिन ठहराने के बजाए किराए के भवनों में रखने के निर्देश दिए गए हैं। आपदा प्रभावितों को तत्काल अहेतुक मदद के रूप में दी जाने वाली 3800 रुपये की धनराशि को बढ़ाकर 5000 रुपये किया गया है।
बीजापुर स्थित मुख्यमंत्री आवास में आज कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी अंबिका सोनी ने मुख्यमंत्री हरीश रावत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय की मौजूदगी में विभागीय अधिकारियों के साथ प्रदेश में आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्यों का जायजा लिया।
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सीएम राहत कोश से मिलेगी आपदा प्रभावितों को प्रतिपूर्ति
इसके बाद संयुक्त रूप से पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री हरीश रावत और प्रदेश प्रभारी अंबिका सोनी ने आपदा प्रभावितों के हित में लिये गए फैसलों की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने बताया कि क्षतिग्रस्त भवनों की मुआवजा राशि और अहेतुक सहायता में की गई वृद्धि की प्रतिपूर्ति मुख्यमंत्री राहत कोष से की जाएगी। उन्होंने कहा कि आपदा जैसी परिस्थितियों में धन की तत्काल व्यवस्था को आपदा कोष स्थापित किया जाएगा।
पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों को परंपरागत छानियां बनाने के लिए प्रोत्साहन राशि दी जाएगी, ताकि बरसात में वैकल्पिक सुरक्षित आवास की व्यवस्था हो सके। डीडीहाट और नंदप्रयाग-घाट क्षेत्रों के आपदा प्रभावित गांवों में पालतू पशुओं के लिए आश्रय स्थल बनाए जाएंगे।
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एसडीआरएफ की दो अतिरिक्त कंपनी जल्द
हालिया आपदा में प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस-प्रशासन का रिस्पॉंस पहले से बेहतर होने के बावजूद मुख्यमंत्री ने माना कि बड़ी आपदा की संभावनाएं देखते हुए राहत और बचाव की तैयारियां पांच गुना अधिक होनी चाहिए। एसडीआरएफ की दो अतिरिक्त कपंनियों का जल्द गठन होगा। जिलाधिकारियों को संवेदनशील बनने की नसीहत देते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले में आवास के लिए सुरक्षित भूमि चिह्नित की जानी चाहिए।
एसडीआरएफ को जरूरी उपकरण उपकरण देने के साथ वालंटियर्स कोर स्थापित की जानी चाहिए। जिलाधिकारियों के पास विभागाध्यक्षों की शक्तियां भी होनी चाहिए। इससे पहले पिथौरागढ़ और चमोली जिले के गांवों में आई आपदा के बाद राहत व बचाव कार्यों पर आपदा प्रबंधन सचिव शैलेश बगोली ने प्रस्तुतीकरण दिया था।