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उत्‍तराखंड में सरकारी कार्मिकों की छुट्टियां रद

प्रदेश में अतिवृष्टि की आशंका को देखते हुए सभी सरकारी अफसरों व कर्मचारियों के अवकाश पर अगले तीन माह तक रोक लगा दी है। साथ ही, एसडीआरएफ की दो नई कंपनी गठित करने का निर्णय लिया है।

By sunil negiEdited By: Updated: Mon, 04 Jul 2016 01:49 PM (IST)
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देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रदेश में अतिवृष्टि की आशंका को देखते हुए सभी सरकारी अफसरों व कर्मचारियों के अवकाश पर अगले तीन माह तक रोक लगा दी है। पूर्व में स्वीकृत छुट्टियां रद कर दी गई हैं और ट्रेनिंग पर गए कार्मिकों को भी वापस बुला लिया गया है। सरकार ने मानसून सीजन के लिए केंद्र से दो हेलीकाप्टर की मांग की है। इनमें से एक गोचर व एक हल्द्वानी में तैनात रहेगा। पिथौरागढ़ व चमोली जिलों को पांच-पांच करोड़, अन्य पहाड़ी जिलों को तीन-तीन करोड़ व मैदानी जिलों को एक-एक करोड़ की अतिरिक्त धनराशि की स्वीकृति दी गई है। साथ ही, एसडीआरएफ की दो नई कंपनी गठित करने का भी निर्णय लिया गया है।
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने रविवार को सचिवालय में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए भूस्खलन व अतिवृष्टि से हुए नुकसान तथा राहत-बचाव कार्यों की समीक्षा के दौरान उक्त निर्देश दिए। उन्होंने जिलों में तैनात अफसरों को आकस्मिक अवकाश स्वीकृत करने का अधिकार जिलाधिकारियों को देते हुए जिलों से अफसरों के तबादलों के लिए भी डीएम की एनओसी जरूरी करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि फसलों, कृषि भूमि व मवेशियों के नुकसान की साप्ताहिक तौर पर रिपोर्ट बनाई जाए। आपदा से नुकसान का आकलन व प्रभावितों को मुआवजा वितरण के काम जल्द शुरू करते हुए इसमें अनुभवी लोगों का सहयोग लिया जाए।
गत एक वर्ष में सेवानिवृत्त हुए या होने जा रहे तहसीलदारों, नायब तहसीलदारों व पेशकारों को मंजूर व रिक्त पदों के सापेक्ष पुनर्नियुक्ति दी जाए। इन्हें मजिस्ट्रेटी व वित्तीय अधिकार नहीं होंगे। जहां एसडीएम की कमी है, वहां तहसीलदारों व अन्य अफसरों को चार्ज दिया जाए। इस आपदा में अवरुद्ध सड़कों को खोलने के रिस्पांस टाईम पर नाराजगी जताते मुख्यमंत्री ने कहा कि लोक निर्माण विभाग को हर जिले में वैली ब्रिज, रोप ब्रिज व चार-पांच रोबोट जेसीबी रखने चाहिए, ताकि चार घंटे में ही सड़कें खुल सकें। संसदीय सचिव व विधायक प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करें।

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उन्होंने प्रदेश में एसडीआरएफ की दो नई कंपनियां गठित करने के निर्देश दिए। इनमें होमगार्ड व पीआरडी के जवानों को संबद्ध किया जाएगा। साथ ही, एसडीआरएफ में 100 पैरामेडिक भी नियुक्त किए जाएंगे। ग्राम प्रहरियों का आपदा सहायक के तौर पर उपयोग किया जाएगा, ताकि सूचनाएं जल्द मिल सकें। मुख्यमंत्री ने सभी डीएम को मलबे में दबने या नदियों में मवेशियों के बहने से दूषित हुए पेयजल स्रोतों के ट्रीटमेंट के निर्देश दिए। ऊर्जा निगम को एसडीओ स्तर पर मोबाइल जेनरेटर की व्यवस्था के निर्देश दिए।


उन्होंने कहा कि बिजली, पानी, सड़क की अपडेट स्थिति विभागीय वेबसाइट पर अपलोड की जाए। उक्त विभाग सितंबर तक हेल्पलाईन भी संचालित करें। घायलों को जरूरत पडऩे पर देहरादून व हल्द्वानी में भर्ती कराएं। रास्ते बंद होने पर यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर ठहराकर भोजन, पानी व आवास की व्यवस्था की जाए। डीएम यात्रा मार्गों पर रूट मजिस्ट्रेट बनाकर उनकी सूचना राज्य कंट्रोल रूम को दें। कैलास मानसरोवर यात्रियों को पुलिस का एस्कोर्ट सुनिश्चित किया जाए। डीएम व सीडीओ में से एक अफसर जिला मुख्यालय पर रहे।

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आपदा में मृत लोगों के अंतिम संस्कार के लिए डीएम को दस-दस हजार रुपये की स्वीकृति दी जाए। वन विभाग निशुल्क लकड़ी उपलब्ध कराएं। मवेशियों के मुआवजे के मानक शिथिल किए जाएं। आपदा प्रभावित इलाकों में एक माह का अतिरिक्त राशन उपलब्ध कराया जाए। चारधाम यात्रा पर आने वाले यात्रियों पर नजर रखने के लिए थानाध्यक्ष व नायाब तहसीलदार स्तर के अधिकारियों को रूट मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात किया जाए।
बैठक में मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, डीजीपी एमए गणपति, अपर मुख्य सचिव रणबीर सिंह, प्रमुख सचिव ओमप्रकाश, एडीजी अशोक कुमार, सचिव शैलेश बगोली, विनोद शर्मा, दिलीप जावलकर, आइजी संजय गुंज्याल आदि मौजूद थे।

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