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तहसीलदार को घूस देकर हड़पा करोड़ों का आश्रम, पुलिस ने हरियाणा निवासी भू-माफिया को किया गिरफ्तार

हरियाणा के भूमाफियाओं ने राजस्व विभाग के अफसरों से सांठगांठ कर हरिद्वार स्थित एक आश्रम अपने नाम करा लिया। यही नहीं, इसके बाद आश्रम का दो करोड़ दस लाख रुपये में सौदा भी कर दिया।

By sunil negiEdited By: Updated: Sat, 09 Apr 2016 08:46 AM (IST)
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देहरादून। हरियाणा के भूमाफियाओं ने राजस्व विभाग के अफसरों से सांठगांठ कर हरिद्वार स्थित एक आश्रम अपने नाम करा लिया। यही नहीं, इसके बाद आश्रम का दो करोड़ दस लाख रुपये में सौदा भी कर दिया। भूमि संबंधी मामलों के लिए गठित एसआइटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने हरिद्वार कोतवाली में मुकदमा दर्ज कर एक भूमाफिया को गिरफ्तार कर लिया। एसआइटी प्रभारी एवं आइजी संजय कुमार गुंज्याल ने बताया कि प्रकरण में तहसीलदार सदर के साथ लेन-देन की बात भी सामने आई है। इन आरोपों की जांच के लिए गढ़वाल मंडल के आयुक्त और राजस्व विभाग को पत्र भेजा जा रहा है।
एसआइटी प्रभारी ने बताया कि करीब डेढ़ माह पहले महाशक्ति चेरिटेबल ट्रस्ट भूपतवाला हरिद्वार के प्रबंधक विजय कुमार ने शिकायत की थी कि उनके आश्रम को कुछ भूमाफिया ने फर्जी वसीयत के आधार पर हथिया लिया है। तहसीलदार हरिद्वार कार्यालय में भी उनकी सुनवाई नहीं हो रही। एसआइटी ने जांच शुरू की तो पता चला कि सुदेश बहन निवासी कनखल (हरिद्वार) ने वर्ष 2004 में भूपतवाला में ढाई बीघा भूमि पर आश्रम बनवाया था। वे अविवाहित थीं, इसलिए इसकी देखरेख को उन्होंने अपने रिश्तेदारों को ट्रस्टी बना दिया। 22 मई, 2013 को सुदेश बहन ने आश्रम की वसीयत अपने पांच रिश्तेदारों के नाम कर दी, 30 अक्टूबर 2013 को उनकी मृत्यु हो गई।
आइजी ने बताया कि सुदेश बहन की मृत्यु के बाद राधेश्याम गोयल (निवासी सिलानी गेट, झज्जर, हरियाणा) ने अपने समधी जयप्रकाश गर्ग निवासी हिसार व अन्य तीन रिश्तेदारों के साथ फर्जी वसीयत के आधार पर ट्रस्ट को अपने नाम करा लिया। जांच पूरी होने पर पुलिस ने राधेश्याम गोयल को गिरफ्तार कर लिया। उसने पूछताछ में इस काम की एवज में रहमान नामक दलाल के माध्यम से तहसीलदार दिनेश मोहन उनियाल को दो लाख रुपये देने का भी आरोप लगाया। गोयल ने झज्जर हरियाणा निवासी राकेश कुमार से आश्रम का 2.10 करोड़ रुपये में सौदा कर उसने 30 लाख रुपये बयाना भी ले लिया।
वसीयत के दिन अस्पताल में थीं सुदेश बहन
आरोपी ने 29 सितंबर, 2013 को सुदेश बहन द्वारा वसीयत किया जाना दर्शाया है। जबकि, जांच में पता चला कि उस दिन सुदेश बहन कनखल स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती थीं। वे लकवाग्रस्त थीं और बोल पाने में भी असमर्थ थीं। माफिया ने उनका झज्जर का जो पता दर्शाया, वह जांच में फर्जी पाया गया। सुदेश बहन के हस्ताक्षरों का मिलान भी नहीं हुआ।

इस संबंध में तहसीलदार सदर दिनेश मोहन उनियाल ने कहा कि इस तरह के आरोप निराधार हैं। किसी भी प्रकरण में दो पक्ष होते हैं, इनमें में से जिसके पक्ष में फैसला नहीं होता, वो इस तरह के अनर्गल आरोप लगाते हैं। इस प्रकरण में भी यही प्रतीत हो रहा है।

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