उत्तराखंडः हरक सिंह के समर्थक मान रहे कि उनके खिलाफ रची गई साजिश
पूर्व मंत्री और भाजपा नेता हरक सिंह रावत एक बार फिर दुष्कर्म मामले में आरोपों में घिर गए हैं। उनके समर्थक इसे राजनीतिक साजिश का हिस्सा मान रहे हैं।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: पूर्व मंत्री और भाजपा नेता हरक सिंह रावत एक बार फिर दुष्कर्म मामले में आरोपों में घिर गए हैं। आरोप लगाने वाली युवती पहले भी उन पर आरोप लगा चुकी है, लेकिन तब जांच में हरक दोषी नहीं माने गए थे। कांग्रेस में बगावत, राज्य सरकार पर संकट समेत तकरीबन चार माह के सियासी उठापटक की धुरी रहे पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत के एकाएक इन आरोपों की चपेट में आने से समर्थक उनकी राजनीतिक घेराबंदी की कोशिश और विरोधियों की साजिश मान रहे हैं।
प्रदेश की सियासत में दबंग नेता की छवि रखने वाले हरक सिंह रावत के लिए इन दिनों एक के बाद एक मुश्किल बढ़ रही है। देहरादून जिले में जमीन के एक मामले में उनके खिलाफ जांच चल रही है, ऐसे में दिल्ली में दुष्कर्म के मामले में हरक सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया है। पहले भी उन पर ऐसे ही आरोप लगे थे, लेकिन सीबीआइ जांच और अदालत, दोनों से उन्हें क्लीन चिट मिली थी।
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दिल्ली में एक बार फिर मुकदमा दर्ज होने से पूर्व मंत्री और भाजपा नेता हरक सिंह खफा हैं। दिल्ली में मौजूद हरक सिंह का शनिवार को देहरादून लौटने का कार्यक्रम था, लेकिन इस घटना के चलते फिलहाल उनकी दून वापसी टल गई है। वहीं दून में उनके खासमखास लोगों ने दिल्ली का रुख कर लिया है।
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हरक सिंह समय-समय पर विभिन्न आरोपों से घिरते रहे हैं, लेकिन इस नए मामले को प्रदेश के सियासी घटनाक्रम से जोड़कर देखा जा रहा है। दरअसल, पिछले दिनों सूबे का सियासी घटनाचक्र जितनी तेजी से घूमा, उनके विरोधी उसके पीछे हरक सिंह को ही सूत्रधार मानते हैं।
बीती 18 मार्च को विधानसभा में कांग्रेस के नौ विधायकों की बगावत ने मौजूदा हरीश रावत सरकार को संकट में ला दिया था। बात सिर्फ सरकार पर संकट तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग में फंसने पर भी उनके धुर विरोधी हरक सिंह ही संदेह के घेरे में आए।
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स्टिंग सामने आने के बाद प्रदेश सरकार पर बर्खास्तगी की तलवार लटकी और राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। बाद में स्टिंग मामले में मुख्यमंत्री हरीश रावत पर सीबीआई जांच का शिकंजा कसने में पूर्व मंत्री की भूमिका महत्वपूर्ण रही। उनके पत्र के आधार पर ही राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के खिलाफ सीबीआइ जांच की सिफारिश की।
सीबीआइ जांच का घेरा अब मुख्यमंत्री हरीश रावत पर कस चुका है। यही वजह है कि हरक सिंह कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री हरीश रावत दोनों के निशाने पर हैं। सहसपुर में जमीन के मामले में उनके खिलाफ जांच शुरू हो चुकी है। अब दुष्कर्म का मामला सामने आने के बाद हरक को अब दो मोर्चों पर एक साथ जूझना पड़ेगा।
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हरक के जनसंपर्क अधिकारी विजय चौहान का कहना है कि उनके राजनीतिक विरोधी हर हथकंडा अपना रहे हैं। उनका आरोप है कि ऐसी कोशिशें पहली भी हुईं, लेकिन विरोधी नाकाम रहे। उधर, संपर्क करने पर भाजपा नेता हरक सिंह ने मुकदमा दर्ज होने के मामले की जानकारी होने से इन्कार किया। उन्होंने कहा कि वह जानकारी मिलने पर ही कुछ कहेंगे।
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