हरीश रावत बोले, राज्य के वित्तीय प्रबंधन में सरकार फेल
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत शुक्रवार को फिर सरकार पर हमलावर दिखे। उन्होंने राज्य के वित्तीय प्रबंधन को फेल करार दिया।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: प्रदेश सरकार के तीन मंत्रियों पर जमीनों के धंधे में लिप्त होने का आरोप मढ़ चुके पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत शुक्रवार को फिर सरकार पर हमलावर दिखे। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के मंत्रियों के नामों का खुलासा करने को कहे जाने संबंधी बयान पर पलटवार करते हुए हरीश रावत ने कहा कि जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाले इतने भोले नहीं हैं। सरकार को खुद ही इन नामों का खुलासा करना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि एनएच मुआवजा घोटाले में एसआइटी जांच भाजपा सरकार के भीतर जा रही है। इस वजह से सरकार आगे बढ़ने से परहेज कर रही है। उन्होंने राज्य के वित्तीय प्रबंधन को फेल करार दिया।
प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में पत्रकारों से रूबरू पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जमीनों के धंधे को लेकर तीन मंत्रियों के अलावा एक अन्य मंत्री की ओर भी इशारा किया, हालांकि नामों का खुलासा किए जाने से उन्होंने गुरेज किया।
उन्होंने कहा कि एक मंत्री के परिवाराध्यक्ष जमीनों के कारोबार में लिप्त हैं। उन्होंने जो बात कही है, उसका जवाब सरकार को देना चाहिए। ऐसे नाम खुद ही चीख-चीखकर सबकुछ बयां कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की वित्तीय प्रबंधन बदहाल हो गया है। यह समझ से परे है कि विकास कार्य ठप क्यों हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि राज्य में विकास कार्यों की छुट्टी हो गई है। उनकी सरकार ने जीएसटी से पडऩे वाले प्रभाव का आंकलन करने के बाद राज्य के राजस्व में आंतरिक स्रोतों से 18 फीसद वृद्धि की थी। ऐसा करने वाला उत्तराखंड देश का दूसरा राज्य था।
सीआइएसएफ के खर्च पर दें जवाब
हरीश रावत ने केंद्र की मोदी सरकार पर महंगाई थोपने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में महंगाई स्वाभाविक नहीं है। पेट्रोल और रसोई गैस पर अधिक कीमत वसूल की जा रही है। हरियाणा और चंडीगढ़ से शराब अवैध रूप से उत्तराखंड के दूरदराज के हिस्सों में पहुंच रही है।
उन्होंने शराब की अवैध बिक्री को सरकार का संरक्षण मिलने का अंदेशा भी जताया। पूर्व मुख्यमंत्री ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने वाले 13-14 नेताओं को दी जा रही सीआइएसएफ सुरक्षा के खर्च पर भी सवाल दागे। उन्होंने कहा कि यह खर्च केंद्र या राज्य में से कौन उठा रहा है, इसका जनता को पता चलना चाहिए।
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