यमुना वैली की पांच परियोजनाओं में है हिमाचल की हिस्सेदारी
यमुना वैली की पांच परियोजनाओं से उत्पादित बिजली पर हिमाचल लगातार उत्तराखंड को उसके हक से महरूम करने में लगा है। सरप्लस स्टेट बनने के बावजूद हिमाचल हुए करार का पालन नहीं कर रहा।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 08 May 2017 05:04 AM (IST)
देहरादून, [अंकुर त्यागी]: यमुना वैली की पांच परियोजनाओं से उत्पादित बिजली पर हिमाचल लगातार उत्तराखंड को उसके हक से महरूम करने में लगा है। इन परियोजनाओं पर हुए करार के मुताबिक सरप्लस स्टेट बनने पर हिमाचल को इन परियोजनाओं से दी जाने वाली बिजली का उपयोग उत्तराखंड करेगा। स्थिति यह है कि सरप्लस स्टेट बनने के बावजूद हिमाचल इस करार का पालन नहीं कर रहा है।
सरकार की ओर से किए गए तमाम पत्राचार का हिमाचल ने कोई जवाब नहीं दिया है। अब प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद एक बार फिर उम्मीद की किरण जगी है। हाल ही में उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष सुभाष कुमार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात कर इस मसले पर स्थिति स्पष्ट कर चुके हैं।ढकरानी और ढालीपुर जल विद्युत परियोजना बनने के दौरान 1972 में उत्तराखंड (तब उत्तर प्रदेश) और हिमाचल के बीच अनुबंध हुआ, जिसमें तय हुआ कि 20 फीसद बिजली हिमाचल को मिलेगी। इसके बाद यमुना वैली में छिबरो, खोदरी और कुल्हाल परियोजना बनी। इसमें कुल्हाल से उत्पादित बिजली में 25 फीसद और अन्य में 20 फीसद हिस्सेदारी हिमाचल की तय हुई। दरअसल, ये परियोजना यमुना और टौंस नदी पर बनी हैं, जो दोनों राज्यों की सीमा को बांटती है। इसके पानी पर हिमाचल का भी अधिकार है, इसलिए हिस्सेदारी दी गई।
अनुबंध में लिखा था कि जब हिमाचल बिजली की उपलब्धता में सरप्लस स्थिति में होगा तो हिमाचल के हिस्से की बिजली का इस्तेमाल उत्तराखंड (तब उत्तर प्रदेश) करेगा। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार पिछले करीब पांच साल से हिमाचल बिजली के मामले में सरप्लस है। इस आधार पर शासन ने कसरत शुरू की। हिमाचल को पत्र लिखे, वहां के अधिकारियों से वार्ता भी की गई, लेकिन मसला हल नहीं हुआ और ठंडे बस्ते में भी चला गया। पांच साल में 2220 एमयू बिजली
इन पांच परियोजनाओं से पिछले पांच साल में 9041 मिलियन यूनिट (एमयू) बिजली का उत्पादन हुआ। हिमाचल का हिस्सा इसमें 2220 एमयू रहा। अनुबंध के आधार पर अगर यह उत्तराखंड को मिलती तो कुल बिजली उपलब्धता के आधार पर हम सरप्लस स्टेट होते। सरकार को बताई स्थिति उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष सुभाष कुमार ने बताया कि मुख्य सचिव रहते वक्त इस मामले को प्रमुखता से उठाया था। अब फिर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की और उन्हें इस प्रकरण की विस्तार से जानकारी दी। किसाऊ दोनों राज्यों की संयुक्त परियोजना है। अगर गंभीरता से प्रयास हुए तो उत्तराखंड को यह बिजली मिल सकती है। सुभाष कुमार ने इस बाबत केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण को भी पत्र लिखा है। परियोजनाएं------क्षमता (मेगावाट में)
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- खोदरी-----------120
- ढकरानी---------33.75
- ढालीपुर-----------51
- कुल्हाल-----------30
- बिजली मांग-9209 मिलियन यूनिट
- उपलब्धता-9504 मिलियन यूनिट
- सरप्लस बिजली-295 मिलियन यूनिट
- बिजली मांग-13574 मिलियन यूनिट
- उपलब्धता-13239 मिलियन यूनिट
- बिजली की कमी-336 मिलियन यूनिट