देहरादून में ऐतिहासिक झंडा साहिब मेला शुरू, उमड़ा जनसैलाब, पढ़ें खबर
दरबार साहिब में आज आस्था का सैलाब उमड़ा है। वातावरण गुरु महाराज के जयकारों से गूंज रहा है। हजारों श्रद्धालु झंडेजी के सम्मान में शीश नवाए खड़े हैं। हर कोई झंडा साहिब के समक्ष मत्था टेकने और गुरु महाराज के दर्शन को बेताब है।
By BhanuEdited By: Updated: Tue, 29 Mar 2016 06:30 AM (IST)
देहरादून। दरबार साहिब में आज आस्था का सैलाब उमड़ा है। वातावरण गुरु महाराज के जयकारों से गूंज रहा है। हजारों श्रद्धालु झंडेजी के सम्मान में शीश नवाए खड़े हैं। हर कोई झंडा साहिब के समक्ष मत्था टेकने और गुरु महाराज के दर्शन को बेताब है।
पूरे परिसर में तिल रखने की भी जगह नहीं है। दरबार साहिब के गुंबद पर पड़ रही सूर्य की रश्मियां गजब की छटा बिखेर रही हैं। इस विहंगम नजारे के बीच आस्था और विश्वास के प्रकाश पुंज झंडे जी के आरोहण की प्रक्रिया प्रारंभ होते ही श्री गुरु महाराज के जयकारों की ध्वनि तेज हो उठी। शाम ठीक 4:12 बजे दरबार साहिब के श्रीमहंत देवेंद्र दास जी महाराज की अगुआई में झंडे जी का आरोहण हुआ तो श्रद्धालुओं की आंखें खुशी से छलक पड़ीं और सभी ढोल की थाप पर थिरकने लगे। इसी के साथ ही देहरादून की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत झंडा साहिब मेले का शुभारंभ हो गया।
झंडा साहिब मेले में पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल, राजस्थान समेत देश के विभिन्न प्रदेशों के साथ विदेशों से भी हजारों संगतों को आस्था की डोर देहरादून खींचकर लाई है। दरबार साहिब के साथ ही गुरु रामराय एजुकेशन मिशन के तमाम स्कूल और धर्मशालाएं श्रद्धालुओं से पैक हैं।
झंडा साहिब मेले में पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल, राजस्थान समेत देश के विभिन्न प्रदेशों के साथ विदेशों से भी हजारों संगतों को आस्था की डोर देहरादून खींचकर लाई है। दरबार साहिब के साथ ही गुरु रामराय एजुकेशन मिशन के तमाम स्कूल और धर्मशालाएं श्रद्धालुओं से पैक हैं।
सोमवार सुबह सूर्य की पहली किरण धरती पर पड़ी भी नहीं थी कि दरबार साहिब श्रद्धालुओं से खचाखच भर गया। झंडेजी को उतारने के लिए संगतें झंडे जी के नीचे इकट्ठा हो गईं। झंडे जी को उतरते और फिर चढ़ते देखना अपने आप में अद्भुत है। सुबह आठ बजे झंडे जी को उतारने की प्रक्रिया शुरू हुई। पंचामृत से स्नान कराने के बाद 100 फुट ऊंचे झंडेजी पर पहले सादे और शनील के गिलाफ चढ़ाने की प्रक्रिया शुरू हुई। खास बात यह है कि इस दौरान झंडेजी को जमीन पर नहीं रखा जाता। करीब डेढ़ बजे पंजाब के जिला-रोपड़, ग्राम-डकराली निवासी बहादुर सिंह (65 वर्ष) और उनके परिजन दर्शनी गिलाफ को सिर पर सजाकर लाए तो श्रद्धालुओं की आंखें खुशी से छलक उठीं।
दर्शनी गिलाफ को छूने के लिए श्रद्धालुओं की उत्सुकता देखते ही बनती थी। तीन बजकर 51 मिनट पर नए मखमली वस्त्र और सुनहरे गोटों से सुसज्जित झंडे जी के आरोहण की प्रक्रिया शुरू हुई। दरबार साहिब के महंत देवेंद्र दास जी महाराज के दिशा-निर्देशन में झंडेजी के नीचे लगी कैंचियों को थामे श्रद्धालुजन झंडे जी को उठा रहे थे। 4:12 बजे झंडे जी जैसे ही अपने स्थान पर खड़े हुए, पूरा दरबार साहिब श्री गुरु महाराज के जयकारों से गूंज उठा। इसी दरमियान एक बाज ने भी दरबार साहिब की परिक्रमा की। इसके साथ ही खुशियों में सराबोर श्रद्धालु झूमने लगे।
"देहरादून और देवभूमि पर श्री गुरु राम राय की कृपा व आशीर्वाद हमेशा बना है। बीते 349 सालों से झंडे जी मेला गुरु महाराज के जन्मदिन के उपलक्ष्य में आयोजित होता है। यह प्रेम और सद्भाव का पर्व है।"
-देवेंद्र दास महाराज, श्रीमहंत, दरबार साहिब, देहरादून टाइम लाइन
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-देवेंद्र दास महाराज, श्रीमहंत, दरबार साहिब, देहरादून टाइम लाइन
- सुबह आठ बजे झंडेजी को उतारने की रस्म।
- सवा नौ बजे ध्वजदंड से पुराने गिलाफ उतारे गए।
- सुबह 10 बजे से झंडे जी को दूध, दही, घी, गंगाजल और पंचगब्य से स्नान कराया गया।
- सुबह 11.45 बजे सादे गिलाफ चढऩे शुरू हुए।
- दोपहर 12.50 बजे से सनील के गिलाफ चढ़ाए गए।
- दोपहर 2.28 बजे दर्शनी गिलाफ चढ़ाया गया।
- दोपहर 3.40 बजे श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज ने पूजा-अर्चना की
- दोपहर 3.51 बजे झंडेजी के आरोहण की प्रक्रिया शुरू हुई।
- शाम 4.12 बजे झंडे का आरोहण हुआ।