उत्तराखंड के जंगल भरेंगे झोली, मिलेगा 185 गांवों को रोजगार
उत्तराखंड के जंगलों की सुरक्षा के साथ ही ग्रामीणों को इनसे रोजगारपरक कार्यक्रम से जोड़ा जाएगा। इस योजना से करीब 185 गांवों के लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध होंगे।
देहरादून, [केदार दत्त]: उत्तराखंड के जंगल अब ग्रामीणों की झोली भरेंगे और वह भी वनों से बिना किसी छेड़छाड़ के। उत्तराखंड इको टूरिज्म विकास निगम की कोशिशें रंग लाईं तो प्रकृति आधारित पर्यटन के तहत उसके पांच सर्किट में पड़ने वाले 37 स्थलों के नजदीकी 185 गांवों में इको डेवलपमेंट कमेटियां (ईडीसी) गठित की जाएंगी। इन कमेटियों के जरिये लोगों को जंगल से जोड़कर रोजगारपरक कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे। साथ ही वन एवं वन्यजीव संरक्षण में उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
प्राकृतिक संपदा से भरपूर उत्तराखंड में प्रकृति आधारित पर्यटन की व्यापक संभावनाओं के मद्देनजर ही राज्य में वन विभाग के अधीन इको टूरिज्म विकास निगम का गठन किया गया है। इसके जरिए अब ग्रामीण आर्थिकी को संवारने की तैयारी है, ताकि गांवों से निरंतर हो रहे पलायन पर कुछ हद तक अंकुश लग सके। इस कड़ी में निगम ने प्रथम चरण में राज्य में पांच इको टूरिज्म सर्किट विकसित करने पर फोकस किया है।
निगम के प्रबंध निदेशक अनूप मलिक के मुताबिक इन सभी सर्किट में पड़ने वाले प्रत्येक मुख्य स्थल से लगे पांच गांवों में इको डेवलपमेंट कमेटियां गठित की जाएंगी। प्रत्येक ईडीसी के माध्यम से क्षेत्र के युवाओं को गाइड, कुकिंग आदि का प्रशिक्षण देने के साथ ही लोगों को होम स्टे के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इससे उनके लिए रोजगार के दरवाजे खुलेंगे। यही नहीं, गांवों में ठहरने वाले सैलानियों को यहां लोक विरासत से भी रूबरू कराया जाएगा।
इको टूरिज्म सर्किट के मुख्य स्थल
देहरादून-ऋषिकेश: थानो, चौरासीकुटी, संजय झील, रानीचौरी, धनोल्टी व देवलसारी
कोटद्वार: रसियाबड़, चिडिय़ापुर, लालढांग, कण्वाश्रम, सेंधीखाल, सनेह, ताड़केश्वर व कोल्हूचौड़
रामनगर-नैनीताल: सीताबनी, चूनाखान, पवलगढ़, किलबरी, विनायक, सौनी व कौसानी
यमुना-टौंस वैली: झाझरा, तिमली, आसन बैराज, चकराता, कनासर, बुधेर, सांद्रा, जरमोला व कैंपटी फाल
नंधौर-चंपावत: चोरगलिया, बूम, चंपावत, धूनाघाट, भिंगराड़ा, पहाड़पानी व महेशखान
वन विश्राम गृह भी जुड़ेंगे
निगम के एमडी बताते हैं कि पांच इको टूरिज्म सर्किट में 35 वन विश्राम गृह भी चिह्नित किए गए हैं। इन्हें भी गंतव्य स्थलों के रूप में विकसित कर सुविकसित पर्यटन पैकेज के साथ जोड़ा जाएगा। ईडीसी के जरिए भी सैलानी वन विश्राम भवनों में जा सकेंगे।
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