उत्तराखंड की सरहद पर तैनात होगी माउंटेन रेजीमेंट
दून पहुंचे थल सेनाध्यक्ष ने कहा कि उत्तराखंड की सरहद, देश की किसी भी अन्य सीमा से कम या ज्यादा संवेदनशील नहीं है। अब यहां माउंटेन रेजीमेंट स्थापित करने पर काम चल रहा है।
देहरादून, [जेएनएन]: भारतीय सीमाओं में चीन की लगातार घुसपैठ की खबरों के बीच अब सेना भी उत्तराखंड में सैन्य क्षमता बढ़ाने की तैयारी कर रही है। इसके तहत सेना सूबे में आधारभूत ढांचे को मजबूत करने के साथ ही यहां अनमैन्ड एरियल व्हीकल (यूएवी) तैनात करने की तैयारी कर रही है। साथ ही हैवी फायरिंग रेंज बनाने को भूमि भी तलाशी जा रही है। अब सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने राज्य में माउंटेन रेजीमेंट की स्थापना की बात कही है।
दून पहुंचे थल सेनाध्यक्ष ने कहा कि उत्तराखंड की सरहद, देश की किसी भी अन्य सीमा से कम या ज्यादा संवेदनशील नहीं है। हमारे पास यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त ताकत है कि यहां कोई घुसपैठ न हो। हम राज्य में माउंटेन रेजीमेंट स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं और इसके लिए काम चल रहा है।
बता दें कि पर्वतीय क्षेत्र में कारगर तरीके से मार करने में विशेषज्ञ 'माउंटेन रजीमेंट' की खासियत शत्रु पर सीधे प्रहार की होती है। इसके जवान अत्याधुनिक हथियारों से लैस होते हैं। इसमें उन्हीं जवानों को लिया जाता है जो लंबे वक्त तक पहाड़ी और बर्फीले इलाकों में रहने के आदी होते हैं।
इनको खास तरह की ट्रेनिंग दी जाती है। ये चीते की तरह फुर्तीले और सबसे कम वक्त में सबसे तेज तरीके से किसी भी आपरेशन को अंजाम देने में सक्षम होते हैं।
उत्तराखंड की चीन और नेपाल से सटी लगभग 600 किलोमीटर लंबी सीमा सामरिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि पिछले 17 सालों में कई बार चीन ने उत्तराखंड की सीमा में घुसपैठ की है। इसके साथ ही नेपाल से लगते इलाकों में भारी मात्रा में मानव तस्करी से लेकर नशे का कारोबार और माओवादियों की पैठ लगातार बढ़ती जा रही है।
चीन ने अपनी सीमा पर अत्याधुनिक सुविधाओं का ढांचा खड़ा कर दिया है और उत्तराखंड आज भी हिमालय की सुरक्षा दीवार को मजबूत करने की कोशिशों में ही जुटा है।
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