उत्तराखंड में डाक्टरों की मनमर्जी की छुट्टी पर लगेगा अंकुश
उत्तराखंड में स्वास्थ्य विभाग डाक्टरों की छुट्टी को मुख्य चिकित्सा अधिकारियों की बजाय जिलाधिकारी स्तर से स्वीकृत कराने की नई स्थायी व्यवस्था करने जा रहा है।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: स्वास्थ्य विभाग में डाक्टरों की मनमर्जी की छुट्टी पर जहां अंकुश लगने जा रहा है, वहीं दुर्गम क्षेत्रों से सुगम में स्थानांतरित होने वाले डाक्टर बगैर प्रतिस्थानी के रिलीव नहीं हो सकेंगे। मुख्यमंत्री के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने अवकाश स्वीकृति व स्थानांतरण प्रक्रिया में जिलाधिकारियों की भूमिका तय करने का प्रस्ताव तैयार किए हैं। उक्त दोनों प्रस्तावों को मुख्यमंत्री का अनुमोदन मिलने के बाद जल्द ही नई व्यवस्था लागू होने की उम्मीद है।
दो दिन पूर्व ही मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रदेश में दैवीय आपदा की आशंकाओं को देखते हुए सभी महकमों के अधिकारियों के आकस्मिक अवकाश जिलाधिकारियों से स्वीकृत कराने के निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री ने यह व्यवस्था आगामी तीन माह के लिए लागू करने के निर्देश दिए थे। हालांकि इस क्रम में स्वास्थ्य विभाग डाक्टरों की छुट्टी को मुख्य चिकित्सा अधिकारियों की बजाय जिलाधिकारी स्तर से स्वीकृत कराने की नई स्थायी व्यवस्था करने जा रहा है। प्रस्तावित व्यवस्था के अनुरूप डाक्टरों अपनी छुट्टी की अर्जी अब सीएमओ की बजाय डीएम से स्वीकृत करानी पड़ेगी।
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पर्वतीय जिलों में डाक्टरों की मनमर्जी की छुट्टियों पर अंकुश लगाने के लिए यह नई व्यवस्था लागू करने की तैयारी है। यह नई व्यवस्था सभी पर्वतीय जिलों समेत मैदानी जिलों के पर्वतीय क्षेत्रों में भी लागू करने का प्रस्ताव है। इसी तरह डाक्टरों के स्थानांतरण प्रक्रिया में भी जिलाधिकारी की भूमिका तय करने की तैयारी है। प्रस्तावित व्यवस्था के अनुसार पर्वतीय क्षेत्र में किसी भी डाक्टर का ट्रांसफर उसका प्रतिस्थानी उपलब्ध होने पर ही किया जाएगा। प्रमुख सचिव स्वास्थ्य ओमप्रकाश ने बताया कि मुख्यमंत्री का अनुमोदन मिलने पर जल्द ही उक्त नई व्यवस्थाएं लागू की जाएंगी।