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उत्‍तराखंडा: शक्तिमान चला गया, जारी रहेगी सियासत

देश में ऐसे उदाहरण बिरले ही मिलेंगे कि किसी बेजुबान को लेकर दो बड़ी राष्ट्रीय पार्टियां सियासत के मैदान में आमने-सामने खड़ी हों। खड़ी ही न हों, बल्कि इस कदर हमलावर हों कि इसकी गूंज देश से बाहर विदेश तक भी महसूस की गई हो।

By sunil negiEdited By: Updated: Thu, 21 Apr 2016 09:17 PM (IST)
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विकास धूलिया [देहरादून] : देश में ऐसे उदाहरण बिरले ही मिलेंगे कि किसी बेजुबान को लेकर दो बड़ी राष्ट्रीय पार्टियां सियासत के मैदान में आमने-सामने खड़ी हों। खड़ी ही न हों, बल्कि इस कदर हमलावर हों कि इसकी गूंज देश से बाहर विदेश तक भी महसूस की गई हो। उत्तराखंड पुलिस के अश्व शक्तिमान के साथ ऐसा ही कुछ हुआ। ड्यूटी निभाते हुए चोटिल हुए इस अश्व की 37 दिन बाद मौत हो गई, लेकिन इसके बाद भी उसके नाम पर पिछले सवा महीने से सियासत जारी रही और तय है कि आगे भी जारी रहेगी। कम से कम राज्य के अगले विधानसभा चुनाव में तो शक्तिमान एक चुनावी मुद्दा बनेगा ही।
उत्तराखंड पुलिस का सफेद रंग का अश्व शक्तिमान भारतीय जनता पार्टी के गत 14 मार्च के विधानसभा कूच के दौरान बुरी तरह जख्मी हो गया था। घोड़े को चोटिल करने के आरोप भाजपा विधायक गणेश जोशी पर लगे। जोशी पर मुकदमा दर्ज हुआ और पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

चिकित्सकों को शक्तिमान की जान बचाने के लिए चोटिल टांग तक काटनी पड़ी। एक बेजुबान घोड़े के दर्द ने प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश को व्यथित कर रख दिया। यहां तक कि देश के बाहर कई अन्य देशों के समाचार माध्यमों और सोशल मीडिया में भी शक्तिमान छाया रहा। अब क्योंकि प्रकरण एक सियासी पार्टी से सीधे तौर पर जुड़ा था तो इसका राजनीतिकरण होना ही था और ऐसा ही हुआ भी।
गुजरी 14 मार्च को प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर भ्रष्टाचार समेत तमाम आरोपों को लेकर हजारों कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा का विधानसभा कूच था मगर भाजपा की रैली पर यह घटना भारी पड़ी। नतीजतन, विधानसभा के भीतर और बाहर भाजपा केवल सफाई देती रह गई।

भाजपा के तीखे तेवरों से परेशान कांग्रेस ने मुद्दे को तुरंत लपका और इस प्रकरण के चलते भाजपा पर हमलावर हो गई। घोड़े की इस ढाई चाल का असर प्रदेश की राजनीति पर भी पड़ा। इसका नमूना 18 मार्च के दिन देखने को मिला। विधानसभा के बजट सत्र के अंतिम दिन सरकार के खिलाफ अविश्वास मत की चर्चाएं जोरों पर थी। इसमें पक्ष और विपक्ष का विधायक संख्या बल खासा अहम माना जा रहा था।
18 मार्च की सुबह अचानक ही पुलिस ने शक्तिमान को चोटिल करने के आरोपी भाजपा विधायक गणेश जोशी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। भाजपा ने इस कदम को राजनीति से प्रेरित बताया। हालांकि शाम को विनियोग विधेयक पर मत विभाजन को लेकर हुए हंगामे के बाद प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बन गया। इन सबके बावजूद शक्तिमान सियासत का केंद्र बना रहा।

तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत से लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट और आरोपी विधायक गणेश जोशी तक शक्तिमान का हाल चाल जानते रहे। शक्तिमान के नकली टांग लगाए जाने के बाद समझा जा रहा था कि कुछ समय बाद वह थोड़ा-बहुत ही सही, चल फिर सकेगा लेकिन बुधवार शाम शक्तिमान चल बसा।
शक्तिमान तो चला गया, मगर उसकी मौत के बाद भी उस पर सियासत थमने के कोई संकेत नहीं। आरोप-प्रत्यारोप का दौर नए सिरे से आरंभ हो गया है।

कांग्रेस शक्तिमान की मौत के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराने में जुटी है तो भाजपा ने इसके लिए कांग्रेस को यह कहते हुए निशाने पर लिया कि वह अब भी शक्तिमान के नाम पर राजनीति करने से बाज नहीं आ रही है। इस स्थिति में यह तय है कि शक्तिमान पर सियासत भविष्य में भी नहीं थमने वाली। खासकर, चंद महीनों बाद होने वाले राज्य विधानसभा में शक्तिमान अगर एक दफा फिर सियासी पार्टियों द्वारा मुद्दे की शक्ल में 'जिंदा' कर दिया जाए तो आश्चर्य नहीं।

'शक्तिमान सच्चा सिपाही था, वह आज शहीद हो गया। सरकार ने उसे बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया था। हम चाहते थे कि वह किसी न किसी तरह से आगामी स्वतंत्रता दिवस परेड में शामिल हो, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि आज वह मौत से जंग हार गया। मैं इस सच्चे सिपाही को हृदय से प्रणाम करता हूं।'
-हरीश रावत, निवर्तमान मुख्यमंत्री।

'भाजपा शक्तिमान की मृत्यु से आहत और दुखी है। शक्तिमान आज हमारे बीच नहीं लेकिन जिस तरह कांग्रेस ने घायल शक्तिमान को राजनैतिक हथियार बनाने और भाजपा तथा विधायक गणेश जोशी को बदनाम किया, वह हमेशा निंदनीय रहेगा। शक्तिमान पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।'
-अजय भट्ट, प्रदेश अध्यक्ष भाजपा।

'भाजपा द्वारा किए गए विधानसभा घेराव के दौरान घायल अश्व शक्तिमान का न रहना दुखद है। भविष्य में किसी बेजुबान के साथ इस प्रकार की घटना घटित न हो, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए।'
-किशोर उपाध्यक्ष, अध्यक्ष प्रदेश कांग्रेस कमेटी उत्तराखंड।

'शक्तिमान की मौत के लिए भाजपा दोषी है। भाजपा नेताओं द्वारा एक निर्दाेष घोड़े की हत्या पर उनके खिलाफ हत्या का मुकदमा चलाया जाना चाहिए।'
-धीरेंद्र प्रताप, पूर्व उपाध्यक्ष, उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी सम्मान परिषद।

'बेज़ुबान और निरीह शक्तिमान की मौत के लिए भाजपा जिम्मेदार है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट चाहें तो राष्ट्रपति शासन में इस बेजुबान की मौत के लिए राज्यपाल से वीरता पुरुस्कार की संस्तुति करा सकते है।'
-सुरेंद्र कुमार, निवर्तमान मुख्यमंत्री हरीश रावत के मीडिया सलाहकार।

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