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जिस संजीवनी बूटी ने लक्ष्मण के प्राण बचाए थे, उसे खोजेगी रावत सरकार

उत्तराखंड की रावत सरकार उच्च हिमालयी क्षेत्र में संजीवनी बूटी तलाश करेगी। इसके लिए आयुर्वेद विशेषज्ञ द्रोणागिरी पर्वत की ओर रवाना होंगे।

By sunil negiEdited By: Updated: Sun, 31 Jul 2016 07:00 AM (IST)
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देहरादून, [सुभाष भट्ट]: उत्तराखंड में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की अधूरी कोशिश के बाद अब मौजूदा कांग्रेस सरकार उच्च हिमालयी क्षेत्र में संजीवनी बूटी तलाशने जा रही है। जी हां, जीवनरक्षक औषधीय गुणों से भरपूर वही संजीवनी बूटी, जिसके उपयोग से त्रेतायुग में सुषैन वैद्य ने मृतशैय्या पर पड़े दशरथ पुत्र लक्ष्मण के प्राण बचाए थे। आयुष मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी के निर्देश पर आयुष विभाग ने इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के लिए पांच सदस्यीय कमेटी के गठन का प्रस्ताव शासन को भेजा है। इस प्रस्ताव पर शासन की मुहर लगते ही कमेटी में शामिल आयुर्वेद विशेषज्ञ संजीवनी बूटी की तलाश में द्रोणागिरी पर्वत की ओर रवाना होंगे।

कुछ समय पूर्व दिल्ली में सभी राज्यों के आयुष मंत्रियों के सेमिनार में उत्तराखंड के आयुष मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद येसो नाइक के समक्ष यह प्रस्ताव रखा था। उन्होंने उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित द्रोणागिरी पर्वत पर संजीवनी बूटी की तलाश के अभियान को आगे बढ़ाने के लिए वित्तीय मदद की मांग की थी। केंद्र से कोई जवाब नहीं मिलने पर अब राज्य सरकार ने अपने बूते ही इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने का फैसला किया है।

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रामायण में हनुमान द्वारा संजीवनी बूटी की पहचान न होने पर जिस द्रोणागिरी का बड़ा हिस्सा उखाड़कर लंका ले जाने का वर्णन है, वह उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है।
इससे पूर्व वर्ष 2008 में योगगुरु रामदेव के शिष्य बालकृष्ण ने भी द्रोणागिरी पर्वत में संजीवनी तलाश का अभियान चलाया था। साथ ही, जीवनरक्षक व चमत्कारिक गुणों से भरपूर संजीवनी बूटी तलाशने का दावा भी किया था।
बाबा रामदेव की दिव्य योग फार्मेसी में इस बूटी पर कई शोध भी किए। वर्ष 2009 में प्रदेश की तत्कालीन भाजपा सरकार ने भी संजीवनी बूटी की तलाश के लिए एक कमेटी गठित की थी, मगर कमेटी के गठन के बाद यह कोशिश आगे नहीं बढ़ पाई। अब राज्य की मौजूदा कांग्रेस सरकार ने इसका बीड़ा उठाया है। आयुष विभाग की ओर से इसके लिए पांच सदस्यीय कमेटी के गठन का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।

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सूत्रों के अनुसार इस प्रस्तावित कमेटी में निदेशक आयुष प्रो. एके त्रिपाठी सहित जड़ी-बूटी क्षेत्र के विशेषज्ञ डॉ. मायाराम उनियाल, डॉ. विनोद प्रकाश उपाध्याय, डॉ. दिनेश सेमवाल व प्रो. डीसी सिंह को शामिल करने का सुझाव दिया गया है। शासन से अनुमोदन मिलने पर कमेटी के सदस्यों अगस्त माह में द्रोणागिरी पर्वत में संजीवनी बूटी की तलाश का अभियान शुरू कर सकते हैं। द्रोणागिरी से लौटने के बाद कमेटी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। गौरतलब है कि वन विभाग द्वारा हिमालयी क्षेत्र में औषधीय गुणों वाली 100 से अधिक प्रजाति की वनस्पतियों को सूचीबद्ध किया गया है।

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'उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में औषधीय गुणों से भरपूर कई जड़ी-बूटियां उपलब्ध हैं। जड़ी-बूटियों की मांग अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी से बढ़ रही है। राज्य सरकार द्रोणागिरी पर्वत पर त्रेतायुगीन संजीवनी बूटी तलाशने के लिए जल्द एक विशेषज्ञ दल भेजने जा रही है।'
-सुरेंद्र सिंह नेगी, मंत्री चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं आयुष, उत्तराखंड

'संजीवनी बूटी खोजने के अभियान के लिए पांच सदस्यीय कमेटी के गठन का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। शासन के अनुमोदन के बाद कमेटी इस अभियान पर जल्द कार्य प्रारंभ करेगी।'
-प्रो. अरुण कुमार त्रिपाठी, निदेशक, आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाएं (आयुष)

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