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उत्‍तराखंड: राज्यसभा चुनाव में बागी बन सकते हैं विघ्न

दिल थामकर बैठिए, प्रदेश में 55 दिन चले सियासी घटनाक्रम में जल्द ही नया और रोचक मोड़ आने जा रहा है। कांग्रेस की बागियों और भाजपा के साथ एक और टकराव तय है। इस बार राज्यसभा चुनाव को लेकर उत्तराखंड जंगे-मैदान बनेगा।

By sunil negiEdited By: Updated: Sat, 14 May 2016 02:04 PM (IST)
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रविंद्र बड़थ्वाल, [देहरादून]: दिल थामकर बैठिए, प्रदेश में 55 दिन चले सियासी घटनाक्रम में जल्द ही नया और रोचक मोड़ आने जा रहा है। कांग्रेस की बागियों और भाजपा के साथ एक और टकराव तय है। इस बार राज्यसभा चुनाव को लेकर उत्तराखंड जंगे-मैदान बनेगा।

चार जुलाई को रिक्त हो रही राज्यसभा सीट को लेकर कांग्रेस की राह भले ही आसान नजर आ रही हो, लेकिन विधानसभा सदस्यता से हाथ धो चुके कांग्रेस के नौ बागी भाजपा के साथ मिलकर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाने की तैयारी में हैं। भले ही उन्हें फिर अदालत का दरवाजा ही क्यों न खटखटाना पड़े।

ऐसे में उत्तराखंड में राज्यसभा सीट के लिए चुनाव तय समय से पीछे खिसकते दिखें तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। उधर, केंद्रीय निर्वाचन आयोग से राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को राज्यसभा चुनाव के बारे में निर्देश पहुंच चुके हैं।

इस बारे में आयोग की ओर से विधानसभा को शनिवार को सूचित किया जा सकता है। चुनाव की अधिसूचना 24 मई को जारी होगी। 11 जून को चुनाव हो सकते हैं।
प्रदेश में बीती 18 मार्च से जारी सियासी उठापटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा व कांग्रेस के बागियों का गठजोड़ एकदूसरे को नीचा दिखाने का मौका नहीं चूक रहे हैं। राष्ट्रपति शासन हटने और कांग्रेस सरकार की बहाली के बाद दोनों के बीच चले लंबे संघर्ष में विराम लगा है। लेकिन, ये क्षणिक साबित होने जा रहा है। वजह राज्यसभा सीट को लेकर दोनों पक्षों के बीच जंग छिडऩी तकरीबन तय है। राज्यसभा में भाजपा सांसद तरुण विजय की सीट आगामी चार जुलाई को रिक्त होने जा रही है। इस सीट के लिए 24 मई को अधिसूचना जारी होगी। केंद्रीय निर्वाचन आयोग से राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश पहुंच चुके हैं। आयोग की ओर से इस बारे में विधानसभा को अभी सूचित नहीं किया गया है। शनिवार को इस बारे में सूचित किए जाने की संभावना है। अधिसूचना जारी होते ही चुनाव का कार्यक्रम घोषित कर दिया जाएगा। माना जा रहा है कि चुनाव 11 जून को होंगे।
फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित कर चुकी कांग्रेस के नजरिए से ये बेहद मुफीद वक्त है। पार्टी से बगावत करने वाले नौ विधायकों की सदस्यता स्पीकर रद कर चुके हैं। हाईकोर्ट से भी उन्हें राहत नहीं मिली, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में उनकी अपील अभी लंबित है। इस पर 12 जुलाई को सुनवाई होनी है। ऐसे में बागियों की ओर से राज्यसभा चुनाव में भागीदारी के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

हालांकि, स्पीकर बागियों की सदस्यता रद करने के साथ ही उनकी सीटों को रिक्त घोषित करते हुए इस बारे में निर्वाचन आयोग को सूचित कर चुके हैं। आयोग की ओर से नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव घोषित नहीं किए गए हैं। अब राज्यसभा चुनाव से पहले उपचुनाव मुमकिन नहीं हैं।

वहीं निर्वाचन आयोग के सूत्रों का कहना है कि अगले विधानसभा चुनाव में एक वर्ष से कम समय शेष रहने की वजह से आयोग उपचुनाव को जरूरी नहीं मानता। ऐसे में नौ बागियों के राज्यसभा चुनाव में भागीदारी का रास्ता बंद होना तय है। सूत्रों की मानें तो बागी इस मामले को अदालत में चुनौती दे सकते हैं।

बागियों को चुनाव में भाग लेने का मौका मिला तो कांग्रेस की परेशानी बढऩा तय है। कांग्रेस के पास अभी 33 विधायकों का बहुमत है, जबकि भाजपा को सिर्फ 27 विधायकों का समर्थन है। चूंकि, बागियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला नहीं दिया है, ऐसे में बागियों की याचिका पर विचार हुआ तो राज्यसभा चुनाव की तारीख में बदलाव मुमकिन है। सूत्रों की मानें तो बागी इस दांव को आजमाने की तैयारी में हैं।

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