उत्तराखंडः कार्बेट टाइगर रिजर्व में बढ़ रही बाघों की संख्या
बाघ संरक्षण में अहम भूमिका निभा रहे उत्तराखंड से इस साल भी अच्छी खबर आने की उम्मीद है। विश्व प्रसिद्ध कार्बेट टाइगर रिजर्व में एक माह तक चली टाइगर मॉनीटरिंग में यह बात सामने आई।
देहरादून, [केदार दत्त]: बाघ संरक्षण में अहम भूमिका निभा रहे उत्तराखंड से इस साल भी अच्छी खबर आने की उम्मीद है। विश्व प्रसिद्ध कार्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) में एक माह तक चली टाइगर मॉनीटरिंग के दरम्यान जिस हिसाब से पूरे क्षेत्र में बाघों की मौजूदगी मिली, उससे अनुमान है कि इनकी संख्या में अच्छा-खासा इजाफा हुआ है।
हालांकि, मॉनीटरिंग के दौरान 388 कैमरा ट्रैप में कैद हुई बाघों की तस्वीरों के साथ ही अन्य पहलुओं का परीक्षण का कार्य अब शुरू होगा और इसके बाद ही बाघों के ताजा आंकड़े सामने आ पाएंगे।
दरअसल, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के दिशा-निर्देशन में बाघों की प्रमुख सैरगाह कार्बेट टाइगर रिजर्व में फरवरी के प्रथम सप्ताह से शुरू हुई टाइगर मॉनीरिंग का कार्य पूरा कर लिया गया है।
821.99 वर्ग किमी के कोर और 466.21 वर्ग किमी के बफर एरिया वाले इस रिजर्व में इस दरम्यान बाघों के वासस्थल, इनके मूवमेंट व गणना के लिहाज से मॉनीटरिंग की गई। रिजर्व के निदेशक धीरज पांडे बताते हैं कि इसके लिए पूरे क्षेत्र को चार हिस्सों में बांटा गया। सभी जगह बाघों का जबर्दस्त मूवमेंट देखने को मिला।
पांडे के मुताबिक जैसी तस्वीर नजर आई, उससे साफ है कि रिजर्व में बाघों की संख्या में खूब बढ़ोत्तरी हुई है। 2014 में हुई गणना में सीटीआर में बाघों की संख्या 220 आई थी। उन्होंने कहा कि मॉनीटङ्क्षरग के दौरान कैमरा ट्रैप में मिली तस्वीरों व अन्य पहलुओं का परीक्षण शुरू किया जाएगा। यह थोड़ी लंबी प्रक्रिया है। इसके बाद ही बाघों की संख्या सामने आ पाएगी।
राजाजी में भी चल रही मॉनीटरिंग
एशियाई हाथियों के लिए मशहूर राजाजी टाइगर रिजर्व में भी टाइगर मॉनीटरिंग चल रही है। रिजर्व के निदेशक सनातन सोनकर के अनुसार बाघों की बहुलता वाले चीला, गौहरी व रवासन क्षेत्रों में यह कार्य पूरा कर लिया गया है। वर्तमान में मोतीचूर, कांसरो, बेरीवाड़ा, धौलखंड व हरिद्वार क्षेत्र में कार्य चल रहा है। अभी तक इस रिजर्व में बाघों की संख्या 20 से 24 के बीच है, लेकिन इस बार वृद्धि हो सकती है।
...सिरमौर बन पाएगा उत्तराखंड
बाघ संरक्षण के मामले में उत्तराखंड अभी देश में दूसरे स्थान पर है। 2014 की बाघ गणना के 2015 में घोषित नतीजों में कर्नाटक में सबसे अधिक 406 बाघ थे, जबकि दूसरे स्थान पर रहे उत्तराखंड में 340। इस बार जैसे संकेत मिल रहे हैं, उससे संभव है कि यह सूबा कर्नाटक से आगे निकल जाए।
कार्बेट टाइगर रिजर्व
क्षेत्र---------------------क्षेत्रफल (वर्ग किमी में)
कार्बेट नेशनल पार्क-------520.82
सोनानदी अभयारण्य------301.17
बफर------------------------466.32
बाघ संरक्षण में टॉप फाइव राज्य
राज्य---------------------------गणना वर्ष
-----------------2015---------2010------2006
कर्नाटक--------406------------300---------290
उत्तराखंड------340------------227--------178
मध्य प्रदेश-----308-----------257---------300
तमिलनाडू------229------------163----------76
महाराष्ट्र--------190-----------169----------103
यह भी पढ़ें: अब राजाजी पार्क में बढ़ेगा बाघ की दहाड़ का दायरा
यह भी पढ़ें: आदमखौर की मौत से नहीं टला खतरा, दो बाघ अभी भी मौजूद