हिमालय को सर्वोच्च श्रृंखला बनने में लगे 70 साल
हिमालय का निर्माण करीब साढ़े पांच करोड़ साल पहले भारतीय व यूरेशियाई प्लेट के टकराने से हुआ, लेकिन हिमालय को ऊंचा उठने में 70 साल का वक्त लगा है।
By sunil negiEdited By: Updated: Fri, 03 Jun 2016 11:03 AM (IST)
सुमन सेमवाल, [देहरादून]: यह तथ्य आम है कि हिमालय का निर्माण करीब साढ़े पांच करोड़ साल पहले भारतीय व यूरेशियाई प्लेट के टकराने से हुआ। मगर, बड़ा सवाल यह था कि क्या इस टकराहट के साथ ही हिमालय की ऊंची-ऊंची पर्वत श्रृंखलाएं और विश्व की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट का निर्माण भी हुआ।
इसका जवाब अब दिया है जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के जियोग्राफी विभाग के अध्यक्ष प्रो. सोमनाथ दासगुप्ता ने। उन्होंने अपने अध्ययन के हवाले से कहा कि हिमालय को ऊंचा उठने में 70 साल का लंबा वक्त लगा है। प्रो. गुप्ता ने इस अध्ययन को वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान में चल रही नेशनल जियो-रिसर्च स्कॉलर्स मीट में साझा किया।प्रो. गुप्ता के मुताबिक हिमालय के अनसुलझे रहस्य खोलने के लिए जिरकन व मोनोजाइट खनिज का सहारा लिया। खनिज के ये नमूने उच्च (ग्रेट) हिमालय से लिए गए। इसके बाद खनिज की यूरेनियम डेटिंग कराई गई। इससे पता चला कि इन खनिज की उम्र करीब 4.8 करोड़ साल है।
यानी उसी दौरान हिमालय की इन सबसे ऊंची श्रृंखलाओं का निर्माण हुआ। इस वर्ष को हिमालय की उत्पत्ति के वर्ष से घटाया गया। इस तरह आकलन किया गया कि हिमालय के मूल निर्माण के करीब 70 साल तक पर्वत श्रृंखलाएं तीव्र गति से ऊंची उठती रहीं। प्रो. सोमनाथ दासगुप्ता ने बताया कि कुछ अन्य वैज्ञानिक विश्लेषणों के माध्यम से यह भी पता चला कि उत्पत्ति के समय हिमालय की ऊंचाई 15 मिलीमीटर प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रही थी, जो आज घटकर दो मिलीमीटर प्रतिवर्ष के करीब रह गई है।
50 डिग्री सेल्सियस सालाना कम हुआ तापमान
प्रो. सोमनाथ दासगुप्ता के अनुसार हिमालय की सर्वोच्च पर्वत श्रृंखलाओं के निर्माण के समय धरती का तापमान 1000 डिग्री सेल्सियस से अधिक था। हालांकि निर्माण के बाद यह तापमान तेजी से कम होने लगा। अध्ययन के अनुसार तापमान में प्रतिवर्ष 50 डिग्री सेल्सियस की कमी आने लगी। पढ़ें:-कमजोर नहीं, मजबूत हैं निम्न हिमालय की चट्टानें
50 डिग्री सेल्सियस सालाना कम हुआ तापमान
प्रो. सोमनाथ दासगुप्ता के अनुसार हिमालय की सर्वोच्च पर्वत श्रृंखलाओं के निर्माण के समय धरती का तापमान 1000 डिग्री सेल्सियस से अधिक था। हालांकि निर्माण के बाद यह तापमान तेजी से कम होने लगा। अध्ययन के अनुसार तापमान में प्रतिवर्ष 50 डिग्री सेल्सियस की कमी आने लगी। पढ़ें:-कमजोर नहीं, मजबूत हैं निम्न हिमालय की चट्टानें
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