उत्तराखंड: अब नौ बागियों की भी बेचैनी बढ़ी
उत्तराखंड में सियासी अनिश्चितता के बीच फ्लोर टेस्ट की संभावना को देखते हुए अब कांग्रेस के नौ बागी पूर्व विधायकों की बेचैनी भी बढ़ गई है। पूर्व विधायकों की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि संभावित फ्लोर टेस्ट में उनको वोटिंग का अवसर मिलेगा या नहीं।
By sunil negiEdited By: Updated: Fri, 06 May 2016 12:24 PM (IST)
देहरादून। उत्तराखंड में सियासी अनिश्चितता के बीच फ्लोर टेस्ट की संभावना को देखते हुए अब कांग्रेस के नौ बागी पूर्व विधायकों की बेचैनी भी बढ़ गई है। दलबदल कानून के तहत सदस्यता गंवा चुके बागी पूर्व विधायकों की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि संभावित फ्लोर टेस्ट में उनको वोटिंग का अवसर मिलेगा या नहीं। हालांकि, उनकी सदस्यता समाप्त किए जाने का मामला नैनीताल हाईकोर्ट में लंबित है। हाईकोर्ट ने इस मामले में अब सुनवाई की तिथि सात मई तय की है।
उत्तराखंड के सियासी संकट के मामले में सुप्रीम कोर्ट के ताजा रुख को देखते हुए अब राज्य में फ्लोर टेस्ट की संभावना भी बनती दिख रही है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल ऐसा कोई फैसला नहीं सुनाया है, मगर कोर्ट के रुख को देख कांग्रेस व भाजपा दोनों ही संभावित फ्लोर टेस्ट की रणनीति बनाने में भी जुट गए हैं। कांग्रेस व भाजपा की इस बढ़ती सक्रियता के बीच बागी पूर्व विधायकों की बेचैनी भी बढ़ती दिख रही है। उनकी नजरें अब इस बात पर टिकी हैं कि फ्लोर टेस्ट के सवाल पर केंद्र सरकार शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में क्या जवाब दाखिल करेगी।पढ़ें:-उत्तराखंड: बागी विधायकों की सदस्यता मामले में सुनवाई सात मई को
साथ ही, यदि सर्वोच्च अदालत प्रदेश में अपनी निगरानी में फ्लोर टेस्ट कराती है, तो उसके लिए सदन की स्थिति क्या रहेगी। संभावित फ्लोर टेस्ट में उनको भी वोटिंग का अवसर मिलेगा या नहीं। हालांकि, इन नौ बागी विधायकों की सदस्यता पहले ही दलबदल कानून के तहत स्पीकर निरस्त कर चुके हैं, मगर यह मामला फिलहाल हाईकोर्ट में लंबित है। गुरुवार को इस मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई, मगर कोर्ट ने सात मई को अगली सुनवाई की तिथि तय कर दी। ऐसे में इन नौ बागी पूर्व विधायकों की धड़कनें और तेज होती दिख रही हैं।
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