उत्तराखंड: पीडीएफ और आर्य के तेवरों से गहराया संकट
उत्तराखंड की हरीश रावत सरकार एक दफा फिर मुश्किलों में घिर गई है। मुश्किल इसलिए ज्यादा बड़ी है क्योंकि अबकी चुनौती दोतरफा है।
By sunil negiEdited By: Updated: Tue, 31 May 2016 06:00 AM (IST)
विकास धूलिया, [देहरादून]: उत्तराखंड की हरीश रावत सरकार एक दफा फिर मुश्किलों में घिर गई है। मुश्किल इसलिए ज्यादा बड़ी है क्योंकि अबकी चुनौती दोतरफा है। सरकार को समर्थन दे रहा छह गैर कांग्रेसी विधायकों का मोर्चा प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंट पहले ही राज्यसभा सीट के चुनाव में कांग्रेस के सामने अपने प्रत्याशी की घोषणा कर चुका है और अब पार्टी के भीतर से वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी प्रदीप टम्टा के नाम पर अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है।
पढ़ें-उत्तराखंडः मंत्री पद के तलबगारों को अभी करना होगा इंतजार रविवार को मुख्यमंत्री हरीश रावत ने दोनों मोर्चों की कमान खुद अपने हाथों में ले ली। एक ओर पीडीएफ की मान मनुहार को उन्हें बातचीत को बुलाया तो दूसरी तरफ, दोपहर में आनन-फानन हल्द्वानी हेलीकॉप्टर भेज यशपाल आर्य को देहरादून लाकर उनके शिकवे दूर करने की कोशिश की। देर रात पीडीएफ से मुख्यमंत्री की बातचीत में गतिरोध दूर नहीं हो पाया। पीडीएफ प्रत्याशी दिनेश धनै ने कहा कि वह चुनाव लडऩे के अपने स्टैंड पर अडिग हैं। हालांकि, प्रदीप टम्टा ने आलाकमान के समक्ष अपनी जगह किसी अन्य को मौका देने का विकल्प पेश कर पार्टी को राजनैतिक संकट से उबारने की पहल कर दी।
लगता है उत्तराखंड की हरीश रावत सरकार को राज्यसभा चुनाव में एक दफा फिर एक महीने के भीतर फ्लोर टेस्ट सरीखी परिस्थितियों से गुजरना पड़ेगा। जिस प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंट के बूते रावत ने गुजरी 10 मई को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट पास किया, उसी पीडीएफ ने राज्यसभा सीट के चुनाव में कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी प्रदीप टम्टा के खिलाफ रावत कैबिनेट के सदस्य दिनेश धनै को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। पढ़ें:-उत्तराखंड: विधायक भीमलाल पर फिर लटकी तलवार
लगता है उत्तराखंड की हरीश रावत सरकार को राज्यसभा चुनाव में एक दफा फिर एक महीने के भीतर फ्लोर टेस्ट सरीखी परिस्थितियों से गुजरना पड़ेगा। जिस प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंट के बूते रावत ने गुजरी 10 मई को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट पास किया, उसी पीडीएफ ने राज्यसभा सीट के चुनाव में कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी प्रदीप टम्टा के खिलाफ रावत कैबिनेट के सदस्य दिनेश धनै को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। पढ़ें:-उत्तराखंड: विधायक भीमलाल पर फिर लटकी तलवार
दरअसल, पीडीएफ फ्लोर टेस्ट में कांग्रेस को समर्थन की एवज में गठबंधन धर्म के तहत राज्यसभा सीट मांग रहा था लेकिन इसे नजरअंदाज करते हुए कांग्रेस आलाकमान ने शनिवार को अल्मोड़ा के पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। कांग्रेस के इस रुख का नतीजा यह हुआ कि पीडीएफ ने तुरंत आपात बैठक कर कैबिनेट मंत्री दिनेश धनै को राज्यसभा सीट के लिए अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। पीडीएफ के स्टैंड से सकते में आई सरकार ने पैच अप की कोशिशें शनिवार रात से ही आरंभ कर दी। स्वयं मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पहल कर रविवार रात पीडीएफ को चाय पर आमंत्रित कर गतिरोध सुलझाने की दिशा में कदम बढ़ाए। लगभग डेढ़ घंटे चली बैठक में गतिरोध खत्म नहीं हो पाया। कैबिनेट मंत्री, मंत्री प्रसाद नैथानी, दिनेश धनै व हरीश चंद्र दुर्गापाल की मौजूदगी में पीडीएफ ने वार्ता विफल होने के बाद राज्यसभा चुनाव लडऩे के फैसले पर जमे रहने की बात कही। धनै ने तो यहां तक कह दिया कि वह भाजपा से भी समर्थन लेने से गुरेज नहीं करेंगे।
इधर पीडीएफ के सख्त तेवर तो उधर कांग्रेस के भीतर का असंतोष भी प्रदीप टम्टा को प्रत्याशी बनाए जाने से सतह पर आ गया। वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने टम्टा के नाम पर ऐतराज जता दिया। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि आर्य ने मुख्यमंत्री और केंद्रीय नेतृत्व को पार्टी छोडऩे तक की धमकी दे डाली। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस आलाकमान ने आर्य को राज्यसभा सीट के लिए आश्वस्त किया था लेकिन मौका आने पर टिकट दे दिया कुमाऊं में कांग्रेस की राजनीति के एक अन्य दलित चेहरे प्रदीप टम्टा को।
इधर पीडीएफ के सख्त तेवर तो उधर कांग्रेस के भीतर का असंतोष भी प्रदीप टम्टा को प्रत्याशी बनाए जाने से सतह पर आ गया। वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने टम्टा के नाम पर ऐतराज जता दिया। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि आर्य ने मुख्यमंत्री और केंद्रीय नेतृत्व को पार्टी छोडऩे तक की धमकी दे डाली। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस आलाकमान ने आर्य को राज्यसभा सीट के लिए आश्वस्त किया था लेकिन मौका आने पर टिकट दे दिया कुमाऊं में कांग्रेस की राजनीति के एक अन्य दलित चेहरे प्रदीप टम्टा को।
पढ़ें:-उत्तराखंड के सीएम हरीश रावत के जवाब से सीबीआइ संतुष्ट नहीं दो बार प्रदेश अध्यक्ष रहे यशपाल आर्य वर्तमान में सूबे में कांग्रेस के सबसे बड़े दलित नेता माने जाते हैं। सूत्रों के मुताबिक आर्य इस बात से खफा हैं कि पहले कांग्रेस महिला विधायक सरिता आर्य को महिला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनाकर उन्हें झटका दिया गया और अब प्रदीप टम्टा को उन पर तरजीह देकर कांग्रेस के दलित चेहरे के रूप में उनके समकक्ष खड़ा करने की कोशिश की गई। लिहाजा, यशपाल आर्य ने दो टूक अपनी नाराजगी जाहिर कर दी।
सूत्रों के मुताबिक रविवार दोपहर बाद गृह मंत्री प्रीतम सिंह के साथ हल्द्वानी से देहरादून पहुंचे यशपाल आर्य की मुख्यमंत्री हरीश रावत से लंबी चर्चा हुई। सूत्रों ने बताया कि आर्य ने कई मामलों में खुद की उपेक्षा से गहरी नाराजगी जताई। मुख्यमंत्री ने उन्हें यह कहकर मनाने की कोशिश की कि उन्हें यह कतई इल्म नहीं था कि वह राज्यसभा सीट के दावेदार हैं। सूत्रों ने बताया कि अब आलाकमान ने आर्य की मान मनौवल के लिए उन्हें दिल्ली बुलाया है और आर्य दोपहर में केंद्रीय नेताओं से मुलाकात करेंगे। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि आर्य मंगलवार शाम तक कोई भी निर्णय ले सकते हैं। दूसरी तरफ, देर शाम राज्यसभा सीट के लिए कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी प्रदीप टम्टा भी देहरादून पहुंच गए। 'जागरण' से बातचीत में टम्टा ने कहा कि उन्होंने प्रदेश प्रभारी अंबिका सोनी के जरिए राष्ट्रीय अध्यक्ष को एक पत्र फैक्स किया है, जिसमें उन्होंने स्वयं को कांग्रेस का सिपाही बताते हुए कहा है कि पार्टी ने उन्हें विधानसभा से लेकर लोकसभा तक पहुंचाया है। अब अगर मौजूदा परिस्थितियों में आलाकमान उचित समझे तो उनके टिकट पर पुनर्विचार कर सकता है। देर रात टम्टा ने मुख्यमंत्री से भेंट की। पढ़ें:-प्रदीप टम्टा के दांव से हरीश रावत ने साधे कई निशाने साफ है कि प्रदीप टम्टा ने कांग्रेस और मुख्यमंत्री हरीश रावत को इस नए संकट से निकालने के लिए पहल कर दी है। इस स्थिति में समझा जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान उनके स्थान पर किसी अन्य को राज्यसभा जाने का मौका दे सकता है। यह कोई अन्य यशपाल आर्य, किशोर उपाध्याय या पीडीएफ प्रत्याशी दिनेश धनै होंगे, यह अगले दो दिनों में साफ हो जाएगा, क्योंकि 31 मई राज्यसभा सीट के नामांकन की अंतिम तिथि है।
'राजनीति में मुश्किलें आती रहती हैं। इन मुश्किलों से पार पाना ही राजनीति का हुनर है। कांग्रेस की परंपरानुसार राज्यसभा का उम्मीदवार हाईकमान तय करता है। राज्य में पीडीएफ और कांग्रेस की संयुक्त सरकार है। साढ़े चार साल तक हम साथ चले। अब छह महीने के लिए संबंध खराब नहीं करेंगे। अगर कहीं पीडीएफ के साथ कम्युनिकेशन गैप रह गया तो उसे भरा जाएगा। मिल बैठकर समस्या का समाधान कर लेंगे।'
-हरीश रावत, मुख्यमंत्री उत्तराखंड।
'मैं कांग्रेस का सिपाही हूं और आलाकमान के हर फैसले का सम्मान करता आया हूं। कांग्रेस नेतृत्व का फैसला पहले भी माना है और भविष्य में भी मानूंगा। हां, कुछ मुद्दों पर मुझे अपना पक्ष रखना था तो मैंने अपनी बात मुख्यमंत्री हरीश रावत और आलाकमान तक पहुंचा दी है। इससे ज्यादा मुझे कुछ नहीं कहना है।'
-यशपाल आर्य, कैबिनेट मंत्री, उत्तराखंड।
'पीडीएफ ने राज्यसभा चुनाव के लिए मुझे प्रत्याशी बनाया है और पीडीएफ अपने स्टैंड पर कायम है। मुख्यमंत्री से हमारी बात हुई है। विकास कार्य स्वीकृत करना व सुधार लाना अलग विषय है। राज्यसभा चुनाव अलग मामला है। पीडीएफ प्रमुख कांग्रेस से समर्थन लेने की बात करेंगे। कांग्रेस समर्थन देती है तो ठीक, वरना हमें अन्य लोगों से बात करनी पड़ेगी। भाजपा से समर्थन मांगने से भी हमें कोई परहेज नहीं है।Ó
-दिनेश धनै, पीडीएफ प्रत्याशी व कैबिनेट मंत्री, उत्तराखंड।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।सूत्रों के मुताबिक रविवार दोपहर बाद गृह मंत्री प्रीतम सिंह के साथ हल्द्वानी से देहरादून पहुंचे यशपाल आर्य की मुख्यमंत्री हरीश रावत से लंबी चर्चा हुई। सूत्रों ने बताया कि आर्य ने कई मामलों में खुद की उपेक्षा से गहरी नाराजगी जताई। मुख्यमंत्री ने उन्हें यह कहकर मनाने की कोशिश की कि उन्हें यह कतई इल्म नहीं था कि वह राज्यसभा सीट के दावेदार हैं। सूत्रों ने बताया कि अब आलाकमान ने आर्य की मान मनौवल के लिए उन्हें दिल्ली बुलाया है और आर्य दोपहर में केंद्रीय नेताओं से मुलाकात करेंगे। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि आर्य मंगलवार शाम तक कोई भी निर्णय ले सकते हैं। दूसरी तरफ, देर शाम राज्यसभा सीट के लिए कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी प्रदीप टम्टा भी देहरादून पहुंच गए। 'जागरण' से बातचीत में टम्टा ने कहा कि उन्होंने प्रदेश प्रभारी अंबिका सोनी के जरिए राष्ट्रीय अध्यक्ष को एक पत्र फैक्स किया है, जिसमें उन्होंने स्वयं को कांग्रेस का सिपाही बताते हुए कहा है कि पार्टी ने उन्हें विधानसभा से लेकर लोकसभा तक पहुंचाया है। अब अगर मौजूदा परिस्थितियों में आलाकमान उचित समझे तो उनके टिकट पर पुनर्विचार कर सकता है। देर रात टम्टा ने मुख्यमंत्री से भेंट की। पढ़ें:-प्रदीप टम्टा के दांव से हरीश रावत ने साधे कई निशाने साफ है कि प्रदीप टम्टा ने कांग्रेस और मुख्यमंत्री हरीश रावत को इस नए संकट से निकालने के लिए पहल कर दी है। इस स्थिति में समझा जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान उनके स्थान पर किसी अन्य को राज्यसभा जाने का मौका दे सकता है। यह कोई अन्य यशपाल आर्य, किशोर उपाध्याय या पीडीएफ प्रत्याशी दिनेश धनै होंगे, यह अगले दो दिनों में साफ हो जाएगा, क्योंकि 31 मई राज्यसभा सीट के नामांकन की अंतिम तिथि है।
'राजनीति में मुश्किलें आती रहती हैं। इन मुश्किलों से पार पाना ही राजनीति का हुनर है। कांग्रेस की परंपरानुसार राज्यसभा का उम्मीदवार हाईकमान तय करता है। राज्य में पीडीएफ और कांग्रेस की संयुक्त सरकार है। साढ़े चार साल तक हम साथ चले। अब छह महीने के लिए संबंध खराब नहीं करेंगे। अगर कहीं पीडीएफ के साथ कम्युनिकेशन गैप रह गया तो उसे भरा जाएगा। मिल बैठकर समस्या का समाधान कर लेंगे।'
-हरीश रावत, मुख्यमंत्री उत्तराखंड।
'मैं कांग्रेस का सिपाही हूं और आलाकमान के हर फैसले का सम्मान करता आया हूं। कांग्रेस नेतृत्व का फैसला पहले भी माना है और भविष्य में भी मानूंगा। हां, कुछ मुद्दों पर मुझे अपना पक्ष रखना था तो मैंने अपनी बात मुख्यमंत्री हरीश रावत और आलाकमान तक पहुंचा दी है। इससे ज्यादा मुझे कुछ नहीं कहना है।'
-यशपाल आर्य, कैबिनेट मंत्री, उत्तराखंड।
'पीडीएफ ने राज्यसभा चुनाव के लिए मुझे प्रत्याशी बनाया है और पीडीएफ अपने स्टैंड पर कायम है। मुख्यमंत्री से हमारी बात हुई है। विकास कार्य स्वीकृत करना व सुधार लाना अलग विषय है। राज्यसभा चुनाव अलग मामला है। पीडीएफ प्रमुख कांग्रेस से समर्थन लेने की बात करेंगे। कांग्रेस समर्थन देती है तो ठीक, वरना हमें अन्य लोगों से बात करनी पड़ेगी। भाजपा से समर्थन मांगने से भी हमें कोई परहेज नहीं है।Ó
-दिनेश धनै, पीडीएफ प्रत्याशी व कैबिनेट मंत्री, उत्तराखंड।