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अब पर्यावरण प्रहरी की भूमिका निभाएंगी मित्र पुलिस

पुलिसकर्मी लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करते नजर आएं तो चौकियेगा नहीं। कारण, पुलिस के रुतबे को अब पर्यावरण संरक्षण के लिए भी उपयोग में लाया जा रहा है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Wed, 01 Feb 2017 06:35 AM (IST)
अब पर्यावरण प्रहरी की भूमिका निभाएंगी मित्र पुलिस
देहरादून, [जेएनएन]: 71 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में मित्र पुलिस की नई पहल। आने वाले दिनों में पुलिसकर्मी लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करते नजर आएं तो चौकियेगा नहीं। कारण, पुलिस के रुतबे को अब पर्यावरण संरक्षण के लिए भी उपयोग में लाया जा रहा है।

सूबे में यह पहल शुरू होगी देहरादून से। इसमें थाना-चौकी परिसरों में पौधे लगाकर इन्हें मॉडल के रूप में तैयार किया जाएगा। पर्यावरण संरक्षण में उत्कृष्ट योगदान देने वाले पुलिसकर्मी सम्मानित भी होंगे। यही नहीं, जिन छोटे-छोटे मामलों को समझौता कर निबटाया जाता है, उनमें दोनों पक्षों को पौधे देकर उन्हें पर्यावरण संरक्षण से जोड़ा जाएगा।

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इस पहल की नींव सोमवार को तब पड़ी, जब पुलिस महानिदेशक एमए गणपति शोध संस्था हेस्को के मुख्यालय शुक्लापुर के भ्रमण पर गए। वहां पौधरोपण के पश्चात बैठक आयोजित की गई, जिसमें हेस्को के संस्थापक पद्मश्री डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने सकल पर्यावरणीय उत्पाद पर रोशनी डाली। उनका कहना था कि सकल घरेलू उत्पाद की तर्ज पर सकल पर्यावरण उत्पाद को बढ़ावा देना होगा, ताकि हम पारिस्थितिकी को मजबूत कर सकें। पारिस्थितिकीय तंत्र की मजबूती के लिए हर किसी को पहल करनी होगी।

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चर्चा के दरम्यान बिंदु उभरा कि पुलिस को पर्यावरण से कैसे जोड़ा जाए। बात सामने आई कि पुलिस को लोग स्वीकारते भी हैं। फिर चाहे वह भय का भाव हो अथवा सम्मान का। लिहाजा पर्यावरण को बेहतर बनाने में पुलिस महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

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और तो और जनता को जागरूक करने में यातायात पुलिस भी अहम योगदान दे सकती है। बैठक में हेस्को के सहयोग से पुलिस की पर्यावरण प्रहरी की भूमिका का खाका खींचा गया।

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इस अवसर पर पुलिस महानिदेशक ने कहा कि यह प्रयोग सबसे पहले देहरादून में किया जाएगा। फरवरी के तीसरे सप्ताह में इस मसले को लेकर पुलिस लाइन में बैठक कर आगे की रणनीति तय की जाएगी। दून में इस प्रयोग के सफल रहने पर धीरे-धीरे इसे अन्य जिलों में भी चलाया जाएगा। हेस्को के संस्थापक डॉ. जोशी ने उम्मीद जताई कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उत्तराखंड पुलिस की यह पहल भविष्य के लिए नजीर बन सकती है।

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