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उत्‍तराखंड: अब कम्युनिटी रेडियो से आपदा प्रबंधन

उत्‍तराखंड में आपदा प्रबंधन के लिए राज्‍य सरकार ने कम्‍युनिटी रेडियो को इस्‍तेमाल करने की योजना बनाई है। योजना पर क्रियांवयन भी शुरू कर हो गया है।

By gaurav kalaEdited By: Updated: Mon, 22 Aug 2016 06:30 AM (IST)
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देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन तंत्र को मजबूत बनाने में जल्द ही कम्युनिटी रेडियो भी महत्वपूर्ण भूमिका में नजर आएंगे। राज्य सरकार अब इसके लिए बैंगलुरु की संस्था 'पिपुल्स पावर कलेक्टिव' के साथ करार करने जा रही है। यह संस्था प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में कम्युनिटी रेडियो की स्थापना में मदद करेगी।
साथ ही, विभिन्न क्षेत्रों में पहले से संचालित कम्युनिटी रेडियो को भी मजबूत करेगी, ताकि दैवीय आपदा की घटनाओं से लेकर मौसम के पूर्वानुमान की सूचना का व्यापक स्तर तक प्रसारण हो सके।

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दैवीय आपदा की घटनाओं के बाद राहत व बचाव अभियान की सफलता घटना के बारे में त्वरित सूचना मिलने पर काफी कुछ निर्भर करती है। भौगोलिक विषमता वाले उत्तराखंड में राज्य के आपदा प्रबंधन तंत्र को अक्सर इस समस्या का सामना करना पड़ता है। मसलन, जून 2013 में केदार घाटी में आपदा से हुई भीषण तबाही की सूचना भी सरकारी तंत्र को काफी देर बाद मिल पाई। लिहाजा, राज्य सरकार आपदा की सूचनाओं के व्यापक स्तर पर प्रसारण के लिए अब कम्युनिटी रेडियो का बेहतर उपयोग करने जा रही है।

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मौसम के पूर्वानुमान के आधार पर लोगों को समय रहते संभावित आपदा से सतर्क करने में भी कम्युनिटी रेडियो खासी अहम भूमिका निभा सकते हैं। बैंगलुरु की संस्था पिपुल्स पावर कलेक्टिव ने राज्य सरकार के समक्ष इस दिशा में काम करने की इच्छा प्रकट की है।

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यह संस्था अपने खर्चे पर ही प्रदेश के दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में कम्युनिटी रेडियो की स्थापना को बढ़ावा देगी। साथ ही, पहले से संचालित कम्युनिटी रेडियो की मजबूती के लिए क्षमता विकास के भी कार्यक्रम चलाएगी। राज्य सरकार इसके लिए उक्त संस्था को सहयोग करेगी।

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उत्तराखंड में वर्तमान में लगभग सात कम्युनिटी रेडियो का संचालन हो रहा है। टिहरी जिले के चंबा में 'हेंवलवाणी', अल्मोड़ा जिले में 'कुमाऊंवाणी' और रुद्रप्रयाग जिले में 'मंदाकिनी की आवाज' जैसे कम्युनिटी रेडियो इनमें शामिल हैं। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा इनमें से कई कम्युनिटी रेडियो से मिलकर शुरुआत भी कर दी है।
मौसम के पूर्वानुमान की सूचनाओं का गढ़वाली व कुमाऊंनी जैसी क्षेत्रीय भाषाओं में प्रसारण भी किया जा रहा है। साथ ही, आपदा प्रबंध विभाग के व्हट्सएप ग्रुप में भी इन कम्युनिटी रेडियो को जोड़ा गया है।

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