उत्तराखंडः जंगल की आग से 7 मौत, 16 सौ हेक्टेयर वन राख, 15 सौ गांव को खतरा, सेना पहुंची
उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग सितम ढा रही है। न घर-आंगन महफूज, न खेत- खलिहान और न सड़कें व पैदल मार्ग। आग से अब तक सात लोगों की मौत हो गई है, जबकि सूबे के 16 सौ हेक्टेयर जंगल राख हो गए हैं।
देहरादून। दिनों दिन बढ़ते दावानल से उत्तराखंड दहशत में है। जंगलों में फैलती आग अब बेकाबू होती जा रही है। आसमान छू रही लपटों के कारण घर-आंगन और खेत खलिहान से लेकर सफर तक सुरक्षित नहीं है। हालात की भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज रुद्रप्रयाग शहर के पास भड़की आग को काबू करने के लिए सेना बुलानी पड़ी। पांच घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। राज्यपॉल डॉ. केके पाल के निर्देश पर अग्नि आपदा से निपटने के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों को उतारा गया है। एनडीआरएफ की एक-एक टीम अल्मोड़ा, चमोली के गौचर और पौड़ी, जबकि एसडीआरएफ को नैनीताल में तैनात किया गया है। इसके अलावा नैनीताल में बीती शाम वनाग्नि ने एक और जिंदगी लील ली। इसी के साथ मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर सात हो गया है, जबकि अब तक झुलसे लोगों की संख्या 14 है।
बीते रोज गढ़वाल मंडल मुख्यालय पौड़ी से पांच किमी दूर पौड़ी-कांसखेत-सतपुली मार्ग पर टेका के पास वनाग्नि की चपेट में सात लोग झुलस गए। ये सभी एक टैक्सी से कोटद्वार समेत अन्य स्थानों के लिए जा रहे थे। जंगल में भीषण आग देख चालक ने वाहन रोका तो ये सवारियां नीचे उतरीं और आग की चपेट में आ गईं।
इनमें तीन महिलाएं शामिल हैं और एक की हालत गंभीर बताई जा रही है। इसके साथ ही राज्य में वनाग्नि से झुलसे लोगों की संख्या बढ़कर 14 हो गई है। वहीं, कल्जीखाल के सुतार गांव में एक घर जंगल की आग की भेंट चढ़ गया। शुक्र यह कि तब घर में कोई नहीं था। इसके अलावा बीरोंखाल व डुंडा विकासखंडों में एक-एक गोशाला राख हो गईं, जबकि दो मवेशी झुलस गए।
विकराल होती वनाग्नि अब राज्यवासियों पर भारी पड़ रही है। अब तक वनाग्नि की 789 घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें 1600.64 हेक्टेयर जंगल खाक हो चुका है। साथ ही तबाह हो चुकी है वहां मौजूद वन संपदा। जंगल की यह आग अब घरों की देहरी के साथ ही खेत-खलिहानों और सड़कों व पैदल मार्गों पर भी मुसीबत खड़ी कर रही है।
इस बीच गुरुवार को पौड़ी-कांसखेत-सतपुली मार्ग पर जंगल की आग ने सात लोगों को अपनी चपेट में ले लिया।
मंडल मुख्यालय पौड़ी से सवारियां लेकर कोटद्वार जा रही टैक्सी जैसे ही टेका के पास पहुंची, जंगल में भीषण आग को देख चालक ने टैक्सी को रोका। तभी आग की लपटें सड़क तक आ गईं।
उत्तराखंड में 16 सौ हेक्टेयर वन राख, 15 सौ गांव को खतरा, देखें तस्वीरें..
घबराहट में टैक्सी में बैठे सात लोग जैसे ही नीचे उतरे, वे आग की चपेट में आकर झुलस गए। सभी को पौड़ी जिला अस्पताल ले जाया गया। सिमतोली (पौड़ी) निवासी गंगोत्री देवी की गंभीर हालत को देखते हुए उसे श्रीनगर रेफर कर दिया गया।
आग से झुलसे अन्य लोगों भरत सिंह, कुसुमलता व विभा रतूड़ी (कोटद्वार) वीरेंद्र सिंह (गौचर), अजय (मिंथी), लक्ष्मण सिंह (घाट) का जिला अस्पताल में उपचार चल रहा है। गंगोत्री देवी 80 फीसद झुलसी है, जबकि अन्य लोग 30 फीसद तक।
पौडी जिले में ही कल्जीखाल प्रखंड के सुतार गांव में जंगल की आग ने गोदांबरी देवी के घर को अपनी चपेट में ले लिया। गनीमत रही कि जिस वक्त हादसा हुआ तब घर में कोई नहीं था। ग्रामीणों और फायर बिग्रेड ने किसी तरह आग पर काबू पाया। नायब तहसीलदार आशीष घिल्डियाल के अनुसार आग से एक कमरा, किचन के साथ ही घर में रखा सामान राख हो गया।
इस संबंध में राज्यपाल केके पाल ने वन विभाग के अधिकारियों को प्रभावी कदम उठाने को कहा। साथ ही जंगल की आग को रोकने के लिए आम आदमी को आगे आने की अपील भी की।
वनाग्नि पर काबू पाने को सेना की मदद
उत्तराखंड मे जंगल की आग ने उड़ाई प्रशासन की नींद उड़ा दी है। बेकाबू आग पर काबू पाने को रुद्रप्रयाग जिले में सेना को मोर्चे पर लगाया गया। कुमायूं रेजिमेंट के 40 जवान आग बुझाने में जुट गए हैं। वहीं ऋषिकेश मे पुलिस ने मोर्चा संभाला है।
भयावह तस्वीर
- 07 लोगों की इस साल अब तक वनाग्नि में हो चुकी मौत
- 14 लोग विभिन्न स्थानों पर आग बुझाने व वनाग्नि की चपेट में आकर झुलसे
- 07 मवेशियों की हो चुकी है मौत
- 789 वनाग्नि की घटनाएं अब तक हो चुकी
- 1600.64 हेक्टेयर जंगल खाक
- 448 घटनाएं गढ़वाल क्षेत्र में
- 218 कुमाऊं क्षेत्र में हुई घटनाएं
- 123 वन्यजीव परिरक्षण क्षेत्र में हो चुकी घटनाएं