उत्तराखंड में हर माह 20 हेक्टेयर खेत तबाह कर रहे वन्यजीव
हर माह 20 हेक्टेयर क्षेत्रफल में खेती तबाह। कहीं जंगली सुअर और बंदरों के झुंड फसलें चौपट कर रहे तो कहीं हाथी। ऐसे में किसान अपने खेतों को देख माथा पीटने को मजबूर हैं।
देहरादून, [केदार दत्त]: हर माह 20 हेक्टेयर क्षेत्रफल में खेती तबाह। कहीं जंगली सुअर और बंदरों के झुंड फसलें चौपट कर रहे तो कहीं हाथी। ऐसे में किसान अपने खेतों को देख माथा पीटने को मजबूर। उस पर जान का खतरा सो अलग। यह है उत्तराखंड में वन्यजीवों से फसलों को पहुंचाए जा रहे नुकसान की तस्वीर। इसे वन विभाग के आंकड़े खुद तस्दीक कर रहे हैं।
समझा जा सकता है कि 71 फीसद वन भूभाग वाले सूबे में वन्यजीव किस प्रकार मुसीबत का सबब बने हैं। बावजूद इसके लगातार गहराती इस समस्या के समाधान की दिशा में प्रभावी पहल का इंतजार है।
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जैव विविधता के लिए मशहूर उत्तराखंड में वन्यजीव विविधता यहां के निवासियों के लिए दिक्कत की वजह बनती जा रही है। यूं कहें कि अब तो पानी सिर से ऊपर निकलने लगा है।
पहाड़ हो या फिर मैदानी क्षेत्र दोनों जगह वन्यजीवों ने जान सांसत में डाली हुई है। बाघ, गुलदार कब कहां आ धमक हमला कर दें कहा नहीं जा सकता। रही-सही कसर पूरी कर दी बंदर, सुअर व हाथियों के झुंड ने, जो खेतों में घुसकर फसलें तबाह कर दे रहे। यानी न घर आंगन सुरक्षित है और न खेत-खलिहान।
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पिछले चार साल के विभागीय आंकड़ों पर ही गौर करें तो 967.2 हेक्टेयर क्षेत्र में खड़ी फसलें वन्यजीवों ने चौपट कर डाली हैं। इस लिहाज से देखें तो हर साल औसतन 241.8 हेक्टेयर और प्रति माह 20.15 हेक्टेयर खेती वन्यजीव तबाह कर रहे हैं। फिर ऐसे मामलों की संख्या कहीं अधिक है, जो विभाग तक पहुंच ही नहीं पाते। आलम यह है कि कुछ इलाकों में खेतों से अगली फसल को बीज तक नसीब नहीं हो पा रहा है।
हालांकि, फसलों को पहुंचाए जा रहे भारी नुकसान के मद्देनजर बीती तीन फरवरी को उत्तराखंड में जंगली सुअर को पीड़क जंतु घोषित कर खेत में घुसने पर इन्हें मारने की छूट अवश्य दी गई, लेकिन इसे लेकर भी संशय बना है। वहीं, बंदरों और हाथियों को जंगल में रोकने की मुहिम भी परवान नहीं चढ़ पाई है। परिणामस्वरूप खेती से लोगों का मोह भंग हो रहा तो पहाड़ से लगातार हो रहे पलायन के पीछे वन्यजीवों का खौफ भी है।
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उत्तराखंड के प्रमुख वन संरक्षक (नियोजन एवं वित्तीय प्रबंधन) जयराज के मुताबिक वन्यजीवों से फसलों को पहुंचाए जा रहे नुकसान को लेकर महकमा गंभीर है। जगह-जगह वन सीमा पर सुअर और हाथी रोधी दीवार तैयार करने को कदम उठाए जा रहे हैं। यही नहीं, बंदरों के बंध्यीकरण के साथ ही इन्हें पकड़कर जंगल में छोडऩे का कार्य भी चल रहा है। विभाग की कोशिश है कि वन्यजीव जंगल की देहरी पार न करें, इसके लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं।
फसल क्षति
वर्ष------------------------क्षति (हेक्टेयर में)
2015-16------307.39
2014-15------167.51
2013-14------145.11
2012-13------347.19
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