उत्तराखंड पर 18 मई को दिल्ली में मंथन
उत्तराखंड में सियासी संकट के घटनाक्रम व आगामी विधानसभा चुनाव के मुद्दे पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने 18 मई को दिल्ली में प्रदेश के कोर ग्रुप व कुछ मुख्य नेताओं की बैठक बुलाई है।
देहरादून। उत्तराखंड में सियासी संकट के घटनाक्रम व आगामी विधानसभा चुनाव के मुद्दे पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने 18 मई को दिल्ली में प्रदेश के कोर ग्रुप व कुछ मुख्य नेताओं की बैठक बुलाई है। इस बैठक में कांगे्रस के नौ बागी पूर्व विधायकों को पार्टी में शामिल करने के मामले पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि इस बैठक के बाद नौ बागी नेताओं को विधिवत पार्टी में शामिल करने पर निर्णय हो सकता है। उधर, दिल्ली में नौ बागी पूर्व विधायकों ने भी अपनी भावी रणनीति को लेकर चर्चा की।
उत्तराखंड में राजनीतिक अनिश्चितता के घटनाक्रम के दौरान भाजपा लगातार राज्य में अपनी सरकार बनाने की संभावनाएं भी तलाशती रहीं। भाजपा की इस उम्मीद की प्रमुख वजह कांग्रेस के नौ विधायकों की अपनी सरकार के खिलाफ की गई बगावत थी। यह दीगर बात है कि नौ विधायकों को दल बदल कानून के तहत सदस्यता से हाथ धोना पड़ा। इसके बाद दस मई को होने वाले फ्लोर टेस्ट को लेकर भी भाजपा लगातार बहुमत हासिल करने के दावे करती रही, मगर फ्लोर टेस्ट के दिन भी भाजपा के दावे ढेर हो गए।
सूत्रों के मुताबिक भाजपा हाईकमान ने इस पूरे घटनाक्रम में पार्टी स्तर पर हुई चूक को लेकर मंथन शुरू कर दिया। 18 मई को राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा प्रदेश भाजपा के कोर ग्रुप व कुछ प्रमुख नेताओं की बैठक बुलाए जाने को भी इससे जोड़कर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि इस प्रस्तावित बैठक में प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भी चर्चा होने की उम्मीद है। साथ ही, नौ बागी पूर्व विधायकों को भाजपा में शामिल करने के बारे में प्रदेश के नेताओं से औपचारिक राय ली जा सकती है।
हालांकि, बीते रोज उक्त नौ बागी नेताओं की राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ लंबी मुलाकात हुई थी। सूत्रों के अनुसार 18 मई की बैठक के बाद उनकी ज्वाइनिंग का वक्त भी तय किया जा सकता है। उधर, शनिवार को दिल्ली में नौ बागी नेताओं ने भी बैठक कर अपनी भावी रणनीति को लेकर गहन मंथन किया। पूर्व विधायक उमेश शर्मा काऊ ने बताया कि फिलहाल वे आगे की रणनीति तय कर रहे हैं। भाजपा में शामिल हों या फिर अलग दल का गठन किया जाए, इस पर चर्चा जारी है। हालांकि, यह तय है कि वे सभी नौ नेता एकराय होकर ही भविष्य के बारे में फैसला लेंगे।
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