सूर्यास्त होने पर नहीं दी जा सकी शक्तिमान को अंतिम सलामी.., पढ़ें
उत्तराखंड की सियासत में भूचाल लाने वाला पुलिस का घोड़ा शक्तिमान अब इस दुनिया में नहीं रहा। बीती शाम 4.35 बजे उपचार के दौरान हार्ट फेल होने से शक्तिमान की मौत हो गई। देर शाम पोस्टमार्टम के बाद शक्तिमान का सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
देहरादून। उत्तराखंड की सियासत में भूचाल लाने वाला पुलिस का घोड़ा शक्तिमान अब इस दुनिया में नहीं रहा। बीती शाम 4.35 बजे उपचार के दौरान हार्ट फेल होने से शक्तिमान की मौत हो गई। देर शाम पोस्टमार्टम के बाद शक्तिमान का सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। हालांकि, पहले शक्तिमान को सलामी देने का निर्णय हुआ था, लेकिन सूर्यास्त के कारण फैसला बदला गया।
बता दें कि गत 14 मार्च को भाजपा के विधानसभा कूच के दौरान शक्तिमान की टांग टूट गई थी। इसे बाद इन्फेक्शन के चलते काटना पड़ा। इस मामले में मसूरी विधायक गणोश जोशी समेत तीन भाजपा नेताओं पर मुकदमा दर्ज है। इन दिनों सभी आरोपी जमानत पर रिहा हैं।
कृत्रिम टांग लगाने के बाद से शक्तिमान की रोजाना पट्टी बदली जाती थी। बुधवार शाम सवा चार बजे अमेरिका से आईं डॉ. जैनी मैरी वॉन, मुंबई से आए डॉ. फिरोज खंबाटा समेत चिकित्सकों के पांच सदस्यीय दल ने उसकी पट्टी खोली। यह जानने के लिए कि जख्म कितना भर चुका है, इसके लिए छोटा सा ऑपरेशन किया जाना था।
जैसे ही शक्तिमान को अचेतक दिया गया, वह एक बार छटपटाया और फिर नहीं उठा। चिकित्सकों ने जांच की तो शक्तिमान की शक्तिमान की मौत हो चुकी थी। चिकित्सकों के अनुसार उसका हार्ट फेल हुआ।
शक्तिमान की मौत की खबर पर निवर्तमान मुख्यमंत्री हरीश रावत श्रद्धांजलि अर्पित करने पुलिस लाइन पहुंचे। उन्होंने कहा कि शक्तिमान की मौत नहीं, बल्कि वह शहीद हुआ है।
सरकार ने सच्चे सिपाही को बचाने का पूरा प्रयास किया। हम चाहते थे कि शक्तिमान आगामी स्वतंत्रता दिवस परेड में मौजूद रहे, लेकिन दुर्भाग्यवश उसे बचाया नहीं जा सका।
शक्तिमान का परिचय
नाम: शक्तिमान
रंग: स्नो व्हाइट
नस्ल: काठियावाड़ी देशी
उम्र: 14 साल
कद-काठी: पांच फीट आठ इंच (लंबाई)
पुलिस में भर्ती: 18 मार्च 2006
पूर्व मालिक का नाम: शिवचरण राणा खेड़ा कलां गांव दिल्ली
राइडर: कांस्टेबल रविंद्र 2011 से
महारत: टेंट पैकिंग गेम
शक्तिमान अब तक गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस परेड के अलावा राज्य स्थापना दिवस की रैतिक परेडों में अपने करतबों से खासी उपलब्धि हासिल कर चुका था। पिछले राज्य स्थापना दिवस की परेड में शक्तिमान द्वितीय कमांड कर चुका है।
फूट-फूट कर रोनी लगीं जैनी
जैसे ही शक्तिमान की सांसें थमीं, वैसे ही अमेरिका से आईं डॉ. जैनी मैरी वॉन की आंखों से अश्रुधारा बहने लगी। वह फूट-फूट कर रो रहीं थीं। शक्तिमान की देखभाल के लिए पिछले करीब एक हफ्ते से जैनी यहीं मौजूद थीं। वहीं, सभी पुलिस अधिकारी और कर्मी बेहद दुखी थे। एसएसपी डॉ. सदानंद दाते भी फफक पड़े। सभी ने नम आंखों से शक्तिमान को अंतिम विदाई दी।
अमेरिका से मंगाई थी कृत्रिम टांग
18 मार्च को मुंबई से डॉ. खंबाटा और अमेरिका से डॉ. जैनी को बुलाया गया था। ईलाज के दौरान शक्तिमान का पैर काटकर कृत्रिम पैर लगाना पड़ा था। लेकिन, यह ऑपरेशन कामयाब नहीं हो पाया। इसके बाद अमेरिका से करीब दो लाख रुपये की कृत्रिम टांग मंगाई गई। 12 अप्रैल को चिकित्सकों ने ऑपरेशन कर यह टांग शक्तिमान को लगाई थी। इसके तीन दिन बाद शक्तिमान चंद कदम चला भी था।
शक्तिमान की मौत के लिए जिम्मेदार व्यक्ति हो गिरफ्तार: मेनका
केंद्रीय मंत्री और पशु अधिकारों की पैरोकार मेनका गांधी ने पुलिस के घोड़े शक्तिमान की मौत के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को गिरफ्तार करने की बात करते हुए बुधवार को मांग की कि अब पशुओं को पुलिस बलों का हिस्सा नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मैं शक्तिमान की मौत से बहुत दुखी हूं। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। घोड़ों को अब हमारे पुलिस बल का हिस्सा नहीं होना चाहिए।’ पुलिस और भाजपा प्रदर्शनकारियों के बीच 14 मार्च को हुई झड़प के दौरान बुरी तरह पीटे जाने के बाद शक्तिमान ने अपना एक पांव खो दिया था। 13 वर्षीय घोड़े को कृत्रिम टांग लगायी गयी और तब से वह पुलिस लाइन में ही था। शक्तिमान एक प्रशिक्षित घोड़ा था और वर्षों से उत्तराखंड पुलिस का हिस्सा था।
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कब क्या हुआ
14 मार्च: भाजपा के प्रदर्शन के दौरान शक्तिमान का पैर टूटा।
14 मार्च: भाजपा विधायक गणेश जोशी समेत कई नेताओं पर मुकदमा।
15 मार्च: पंतनगर विवि के चिकित्सकों ने ऑपरेशन किया। हड्डियों में लगाई प्लेट।
17 मार्च: शक्तिमान सिलिंग मशीन से गिरा, पैर में दोबारा चोट लगी।
18 मार्च: चिकित्सकों ने शक्तिमान के घायल पैर में संक्रमण बताया।
18 मार्च: रात में अमेरिका और मुंबई से आए चिकित्सकों ने संक्रमित पैर काटा। अस्थाई कृत्रिम पैर लगाया।
31 मार्च: शक्तिमान के लिए अमेरिका के वर्जिनिया में कृत्रिम पैर तैयार हुआ।
06 अप्रैल: अमेरिकन डॉ. जैनी ने फेसबुक पर अमेरिका से पैर लाने की अपील की।
09अप्रैल: अमेरिका के न्यूयार्क निवासी मोहन जॉन टिमोठी कृत्रिम पैर लेकर पुलिस लाइन देहरादून पहुंचे।
11 अप्रैल: शक्तिमान को कृत्रिम पैर लगाया गया।
12 अप्रैल: शक्तिमान पर फिल्माई गई डॉक्यूमेंटरी फिल्म टीवी पर प्रदर्शित हुई।
15 अप्रैल: एक माह बाद शक्तिमान करीब सात कदम चला।
20 अप्रैल: शक्तिमान की पुलिस लाइन अस्तबल परिसर में मौत।
अच्छा होता कि शक्तिमान बच जाता: मसूरी विधायक गणेश जोशी
जो हुआ दुर्भाग्यपूर्ण है। अच्छा होता कि शक्तिमान बच जाता। शक्तिमान पुलिस का सिपाही था। मुझे सूत्रों से ही पता लगा कि शक्तिमान इस दुनिया में नहीं रहा। इसलिए मैने तत्काल पुलिस लाइन पहुंचकर शक्तिमान को श्रद्धासुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
मैं शक्तिमान को ताउम्र नहीं भूल पाउंगा। : कांस्टेबल रविंद्र (2011 से शक्तिमान का राइडर)
मैं पिछले पांच सालों से शक्तिमान की सवारी कर रहा था। हर परेड के दौरान शक्तिमान में अजब स्फूर्ति देखने को मिलती थी। टेंट पैकिंग के गेम में तो उसका कोई जवाब नहीं था। 36 दिन से शक्तिमान की हालत खराब जरूर थी लेकिन, मुझे देखते ही वह अपने में साहस महसूस करता था। खाना भी अब वह सिर्फ मुझे देखकर ही खा रहा था। अंतिम क्षण में भी मैं उसके पास था उसकी आंखों पर मेरे हाथ थे। आज शक्तिमान चला गया, मुझे ऐसा लग रहा है कि मैने मेरा सगा संबंधी खो दिया।
शक्तिमान पहले से ही सबकी आंखों का तारा था : श्याम सिंह, इंचार्ज (घुड़सवार पुलिस)
पुलिस लाइन अस्तबल में घोड़े और भी बहुत हैं लेकिन, शक्तिमान पहले से ही सबकी आंखों का तारा था। 14 वर्ष की उम्र में शक्तिमान में वह समझदारी और साहस था, शायद ही किसी में हो। राणा प्रताप के घोड़े चेतक को सिर्फ किताबों-कविताओं में पढ़ा सुना है लेकिन, वर्तमान में शक्तिमान की चतुराई भी चेतक से कम न थीं। चोट लगने के बाद से मैं हर रोज यह जानकर ही खाना खाता था कि शक्तिमान ने खाना खा लिया या नहीं।
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