उत्तराखंड की सियासत और कांग्रेस के भीतर एक बार फिर हरदा का सियासी कद बढ़ा
सूबे की सियासत और कांग्रेस के भीतर एक बार फिर मुख्यमंत्री हरीश रावत का कद बढ़ गया।
By sunil negiEdited By: Updated: Sun, 12 Jun 2016 09:44 AM (IST)
देहरादून, [रविंद्र बड़थ्वाल]: सूबे की सियासत और कांग्रेस के भीतर एक बार फिर मुख्यमंत्री हरीश रावत का कद बढ़ गया। राज्यसभा चुनाव में अपने खासमखास प्रदीप टम्टा को जिताकर हरदा ने सियासी जमीन पर मजबूत पकड़ तो साबित की ही, साथ में भाजपा को उसी के दांव से चित भी कर दिया।
पढ़ें:-उत्तराखंड : राज्यसभा चुनाव में प्रदीप टम्टा विजयी जीत को लेकर इसे हरदा की जिद ही माना जाएगा कि चुनाव से ऐन पहले भाजपा के एक विधायक को तोड़कर इस्तीफा तो दिलाया, लेकिन क्रॉस वोटिंग से गुरेज किया। चुनाव में क्रॉस वोटिंग की रणनीति थाम कर सियासी चालें चल रही भाजपा को मनोबल तोड़कर हरदा ने अपने ही अंदाज में जवाब दे डाला। पढ़ें-उत्तराखंडः भीमलाल आर्य व रेखा आर्य पर गिरी दलबदल कानून की गाज, सदस्यता निरस्त
प्रदेश में 55 दिन के सियासी संकट के बाद हुए फ्लोर टेस्ट में तमाम विपरीत परिस्थितियों में बाजी अपने पक्ष में मोड़कर मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपनी कुव्वत का लोहा मनवाया। फ्लोर टेस्ट के बाद राज्यसभा चुनाव का ये दूसरा मौका है, जब हरदा सूबे की सियासत में मजबूत पैठ का अहसास कराने में कामयाब रहे।
प्रदेश में 55 दिन के सियासी संकट के बाद हुए फ्लोर टेस्ट में तमाम विपरीत परिस्थितियों में बाजी अपने पक्ष में मोड़कर मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपनी कुव्वत का लोहा मनवाया। फ्लोर टेस्ट के बाद राज्यसभा चुनाव का ये दूसरा मौका है, जब हरदा सूबे की सियासत में मजबूत पैठ का अहसास कराने में कामयाब रहे।
पढ़ें-उत्तराखंडः मुख्यमंत्री की हवाई यात्रा पर भाजपा का हमला पहले राज्यसभा के लिए कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर प्रदीप टम्टा के नाम पर हाईकमान की मुहर लगाकर मुख्यमंत्री हरीश रावत ने ये साबित किया कि कांग्रेस हाईकमान का भरोसा उन पर बना हुआ है। राज्यसभा की इस सीट पर कांग्रेस के कई दिग्गज केंद्रीय नेताओं की नजरें भी टिकी हुई थीं। लेकिन, हाईकमान ने इस मामले में रावत की पसंद को ही तरजीह दी। हालांकि पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद पार्टी में अंतर्कलह और गुटीय खींचतान सतह पर आ गई थी।
पढ़ें-उत्तराखंडः हरीश रावत और शीर्ष नेताओं पर बरसे किशोर हरदा के करीबियों में शुमार रहे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भी राज्यसभा सीट पर उनकी दावेदारी की उपेक्षा से खफा हो गए। यही नहीं, दलित सियासत के नाम पर टम्टा के रूप में हरदा ने जो दांव खेला, मंत्रिमंडल में उनके वरिष्ठ सहयोगी यशपाल आर्य को भी नागवार गुजरा। लेकिन, मुख्यमंत्री ने जल्द ही उन्हें मना लिया। राज्यसभा सीट के लिए अपना दावा पेश कर पीडीएफ ने भी राज्य सरकार और सत्तारूढ़ कांग्रेस को तेवर दिखाए। चुनाव की रणभेरी बजने तक मुख्यमंत्री ने पीडीएफ को भी साध लिया।
पार्टी के भीतर ही नहीं, बाहर भी हरीश रावत ने मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा की हर चाल की बखूबी काट की। कांग्रेस के अंदरूनी झगड़े का लाभ लेने की मंशा से राज्यसभा जाने की सत्तारूढ़ पार्टी की राह में रोड़े अटकाने की भाजपा की रणनीति को भौंथरा करने में हरदा कामयाब दिखाई दिए। कांग्रेस में क्रॉस वोटिंग के लिए जोड़-तोड़ में लगी भाजपा को हरदा ने एक विधायक तोड़कर करारा झटका दिया। भाजपा के भीमताल से विधायक दान सिंह भंडारी को क्रॉस वोटिंग कराने के बजाए इस्तीफा दिलाया गया। भाजपा के कुनबे में सेंध लगाने के साथ ही क्रॉस वोटिंग से परहेज कर मुख्यमंत्री ने मुख्य विपक्षी दल को आईना दिखा दिया। फ्लोर टेस्ट के बाद राज्यसभा चुनाव के मौके पर भी कांग्रेसी कुनबे में सेंधमारी की कोशिशें हरदा ने परवान नहीं चढऩे दीं। साथ ही यह संदेश भी दिया कि वह प्रत्याशी बनाने के साथ उसे जिताने का माद्दा भी रखते हैं।
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