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रुड़की में 92 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी डा. सिन्हा का निधन

शुक्रवार को शिक्षानगरी के चंद्रपुरी निवासी 92 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डॉ. सत्यवती सिन्हा का निधन हो गया। दोपहर साढ़े तीन बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Fri, 14 Jul 2017 08:59 PM (IST)
रुड़की में 92 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी डा. सिन्हा का निधन
रुड़की, [जेएनएन]: शुक्रवार को शिक्षानगरी के चंद्रपुरी निवासी 92 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डॉ. सत्यवती सिन्हा का निधन हो गया। दोपहर साढ़े तीन बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन से शहर में शोक की लहर दौड़ गई है। शनिवार को उनका अंतिम संस्कार रुड़की के सती मोहल्ला स्थित श्‍मशान घाट में किया जाएगा। 

देश की स्वतंत्रता के लिए तन-मन-धन से अपना योगदान देने वाली डा. सत्यवती सिन्हा अब इस दुनिया में नहीं रही। वह शहर की अंतिम स्वंतत्रता संग्राम सेनानी थी। पिछले एक साल से वह अपनी स्मरण शक्ति खो चुकी थी, जबकि गत एक सप्ताह से उनका स्वास्थ्य अधिक बिगड़ गया था। वह अपनी बेटी किरण कौशिक के साथ चंद्रपुरी में रहती थी। वह अपने पीछे तीन बेटियों और एक बेटे को छोड़ गई हैं। 

मूलरूप से बरेली निवासी डा. सिन्हा का जन्म 23 जून 1926 को हुआ था। उन्होंने अपने जीवन के दो साल जेल में काटे थे। उधर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के करो या मरो आंदोलन में कूदकर भी ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ उन्होंने कई जुलूस निकाले थे। जब इनकी उम्र मात्र 16 साल की थी उस वक्त इनका विवाह जगदीश नारायण सिन्हा से हुआ था। स्वतंत्रता सेनानी एवं उत्तर प्रदेश सरकार में शिक्षा मंत्री रहे उनके पति स्वर्गीय जगदीश नारायण सिन्हा से ही उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने की प्रेरणा मिली थी। 

डा. सत्यवती का मायका पक्ष हो या ससुराल दोनों ने ही स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उनके ताऊ जहां नमक छोड़ो आंदोलन से जुड़े रहे, वहीं दादा-दादी भी  स्वतंत्रता सेनानी थे। उनकी बेटी किरण कौशिक के अनुसार स्मरण शक्ति खोने के बाद अक्सर उनकी माताजी परिवार के सदस्यों को पहचान नहीं पाती थी, लेकिन किसी भी बच्चे के सामने आते ही वे देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत गीत आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिंदुस्तान की और झंडा ऊंचा रहे हमारा गीत गुनगुनाना नहीं भूलती थी। 

उन्होंने बताया कि माताजी के अंतिम संस्कार से पहले शनिवार को बीटी गंज में शोक सभा का आयोजन किया जाएगा। जहां पर वे प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी और 15 अगस्त को तिरंगा फहराया करती थी। उधर, नगर विधायक प्रदीप बत्रा ने कहा कि डा. सत्यवती सिन्हा के निधन से शहर ने एक बहुमूल्य रत्न खो दिया है। उन्होंने डॉ. सिन्हा के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया।

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