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हरकी पैड़ी में गंगा नहीं, गंगनहर हैः शंकराचार्य

द्वारिका एवं ज्योतिष शारदा पीठ के पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपा नंद सरस्वती ने हरिद्वार को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि हरकी पैड़ी पर गंगा नहीं गंगनहर है। असली गंगा नील धारा से होकर गुजरती है।

By BhanuEdited By: Updated: Thu, 14 Apr 2016 07:30 AM (IST)
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हरिद्वार। ज्योतिष एवं द्वारका शारदा पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती व कांचीकाम कोटि गोवर्धन मठ पुरी के पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने बैसाखी पर्व पर मुख्य गंगा नदी नीलधारा में स्नान किया। शंकराचार्य ने 2010 कुंभ में भी नीलधारा में ही गंगा स्नान किया था। बता दें कि आज शंकराचार्य ने हर की पैड़ी में गंगा नहीं बल्कि गंगनहर वाला बयान दिया।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपा नंद सरस्वती ने हरिद्वार को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि हरकी पैड़ी पर गंगा नहीं गंगनहर है। असली गंगा नील धारा से होकर गुजरती है। बैसाखी के पुण्य काल में स्नान के दौरान नीलधारा क्षेत्र में बड़ी संख्या में शंकराचार्य के भक्त मौजूद रहे। वहीं पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने ब्रहमकुंड को लेकर यह कहते हुए कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया कि वह किसी तरह के विवाद में नहीं पड़ना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि देश में जब तक भ्रष्टाचार रहेगा अध्यात्म आगे नहीं बढ़ सकेगा।
शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती ने कहा कि गंगा को अविरल व निर्मल बनाने के लिए हम सभी को प्रयास करने होंगे। हम सभी के प्रयास से ही गंगा को निर्मल व अविरल बनाया जा सकता है। कहा कि केंद्र सरकार ने अपने दो साल के कार्यकाल में गंगा को अविरल व निर्मल बनाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया है।
केंद्र सरकार की ओर से प्रयास किए जाते तो दो साल में गंगा काफी हद तक निर्मल व अविरल हो सकती थी। कांचीकाम कोटि गोवर्धन मठ पुरी के पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि गंगा हम सभी की आस्था का प्रतीक है। गंगा मात्र नदी नहीं है, गंगा में स्नान करने से मनुष्य के जन्म-जन्म के पाप मिट जाते हैं। इस दौरान उनके साथ शंकराचार्य मठ के प्रभारी ब्रह्मचारी रामानंद, श्रीधरानंद ब्रह्मचारी व अन्य संत मौजूद थे।

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