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लंढौरा प्रकरण: धार्मिक पुस्तकें फेंकने की अफवाह निकली झूठ

लंढौरा मामले में पुलिस ने खुलासा किया है कि जिस वक्त दुकान खाली करायी जा रही थी उस वक्त वहां धार्मिक पुस्तकें थी ही नहीं।

By sunil negiEdited By: Updated: Sun, 05 Jun 2016 06:00 AM (IST)
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मंगलौर, जेएनएन (हरिद्वार)। लंढौरा मामले में पुलिस ने खुलासा किया है कि जिस वक्त दुकान खाली करायी जा रही थी उस वक्त वहां धार्मिक पुस्तकें थी ही नहीं। पुलिस अधीक्षक (देहात) परमेंद्र डोभाल का दावा है कि किरायेदार के तौर पर दुकान चला रहे महबूब ने अपने एक रिश्तेदार के साथ मिलकर धार्मिक पुस्तकें फेंके जाने की अफवाह फैलाई थी। हालांकि, महबूब की गिरफ्तारी के सवाल पर उन्होंने कहा कि पुलिस जांच कर रही है कि इस अफवाह के पीछे महबूब की मंशा दुकान को अपने कब्जे में रखना था या कुछ और। पुलिस ने धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में पूर्व विधायक कुंवर प्रणव के ताऊ कृष्ण कुमार के दो साथियों इमरान व इस्लाम को गिरफ्तार कर लिया है। ये दोनों ममरे भाई हैं। लंढौरा मामले में अब तक 15 लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है।

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आज मंगलौर कोतवाली में एसपी (देहात) ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि इमरान और इस्लाम से पूछताछ में घटना से जुड़े कई अहम पहलू सामने आए हैं। पूछताछ में इन दोनों ने बताया कि दो साल पहले महबूब ने कृष्ण कुमार से दुकान किराये पर ली। आठ माह पहले महबूब ने ढंढेरा निवासी इस्लाम के साथ मिलकर कारोबार शुरू किया था, लेकिन डेढ़ माह पहले दोनों ने अलग होने का फैसला किया। पुलिस के अनुसार दोनों के बीच तय हुआ कि एक जून को महबूब दुकान खाली कर इस्लाम को सौंप देगा।

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एक जून को जब इस्लाम और इमरान दुकान का कब्जा लेने पहुंचे तो महबूब दुकान के बाहर चारपाई पर बैठा था। चारपाई पर कुछ पुरानी किताबें और अन्य सामान रखा था। दोनों ने उसे चारपाई हटाने को कहा तो उसने इन्कार कर दिया। इस पर इमरान और इस्लाम दुकान के मालिक कृष्ण कुमार को बुला लाए। आरोप है कि कृष्ण कुमार ने जब महबूब को सामान हटाने को कहा तो उसने अपने रिश्तेदारों को बुला लिया और धार्मिक पुस्तकें फेंकने के झूठे आरोप लगाने शुरू कर दिए। मामला बढ़ता देख इमरान और इस्लाम वहां से चले गए। एसपी देहात ने बताया कि मामले की जांच सभी पहलूओं से की जा रही है। पुलिस महबूब के रिश्तेदारों की भूमिका पर भी फोकस कर रही है।


पूर्व विधायक चैंपियन के ताऊ जमानत पर रिहा

दो जून को गिरफ्तार कुंवर प्रणव चैंपियन के ताऊ कृष्ण कुमार को अदालत ने जमानत पर रिहा कर दिया है। शासकीय अधिवक्ता प्रवीण कुमार तोमर ने बताया कि इसके अलावा कृष्ण कुमार पर दर्ज मुकदमे से जानलेवा हमले का आरोप भी हटा लिया गया है। उन्होंने कहा कि कृष्ण कुमार की उम्र 80 वर्ष से अधिक है, ऐसे में वह किसी भी जानलेवा हमला कैसे कर सकते हैं।

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8.90 लाख की क्षति का आकलन
प्रशासनिक टीम ने बवाल के दौरान संपत्ति को हुए नुकसान का आकलन कर रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेज दी है। आगजनी और तोड़फोड़ में प्रशासन ने 8 लाख 90 हजार रुपये का नुकसान दर्शाया है। लंढौरा पुलिस चौकी पर गाड़ियों में तोड़फोड़ और आगजनी से चार लाख 10 हजार रुपये का नुकसान हुआ है, जबकि कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन के आवास पर चार लाख 80 हजार रुपये का नुकसान हुआ है।

महल की सांस्कृतिक विरासत लूट ले गये बलवाई
दैनिक जागरण से बातचीत में कुंवर प्रणव सिंह ने कहा कि बवालियों ने रंग महल पर हमला कर यहां की सांस्कृतिक धरोहर को लूट लिया। महल में चांदी के खंजर के अलावा सोने की तलवार, मूर्ति, चांदी की बरछी और भाले थे, जिसे बलवाई लूट ले गये हैं। गाड़ियों को जलाया गया और महल के दरवाजों को तोड़ा गया। यह करीब एक करोड़ से अधिक का नुकसान है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जिस तरह से महल की विरासत पर हमला करवाया है, उसका खामियाजा उन्हें भुगतना होगा। वह अदालत में जाएंगे। उन्हें न्यायपालिका से ही न्याय की उम्मीद है।

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