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शनि शिंगणापुर में महिलाओं को पूजा की अनुमति का संत समाज ने किया स्वागत

शनि शिंगणापुर के मुख्य चबूतरे में महिलाओं को पूजा की अनुमति मिलने के निर्णय का संत समाज ने स्वागत किया। उन्होंने कहा कि ईश्वर की पूजा करने में स्त्री व पुरुषों में भेद नहीं किया जाना चाहिए। संतों ने इसे नारी का सम्मान बताया।

By BhanuEdited By: Updated: Sat, 09 Apr 2016 08:00 AM (IST)

हरिद्वार। शनि शिंगणापुर के मुख्य चबूतरे में महिलाओं को पूजा की अनुमति मिलने के निर्णय का संत समाज ने स्वागत किया। उन्होंने कहा कि ईश्वर की पूजा करने में स्त्री व पुरुषों में भेद नहीं किया जाना चाहिए। संतों ने इसे नारी का सम्मान बताया।

स्त्री पुरुष में भेद गलतः बाबा रामदेव
योगगुरु बाबा रामदेव ने कहा कि स्त्री और पुरुष दोनों ही ईश्वर की समान संतान है। ईश्वर ने इन दोनों में कभी भेद नहीं किया। जब ईश्वर ने इनमें कोई भेद नहीं किया तो ईश्वर की पूजा करने में स्त्री और पुरुषों में भी भेद नहीं होना चाहिए।

स्वागत योग्य कदमः आचार्य बालकृष्ण
बाबा रामदेव के सहयोगी आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि स्त्री और पुरुषों को मंदिरों में समान प्रवेश का अधिकार होना चाहिए। यह स्वागत योग्य कदम है।

महिलाओं को अनुमति मिलना सुखदः स्वामी अवधेशानंद
आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने कहा है कि भारतीय संस्कृति में स्त्री को मातृशक्ति और आद्यशक्ति स्वरुपा माना गया है। स्त्री शक्ति के दैवीय स्वरुपों की स्तुति की जाती है। नवरात्र में शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं को अनुमति मिलना सुखद है।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हमें भारतीय सांस्कृतिक एवं धार्मिक परंपराओं, गरिमाओं और मंदिरों की प्राचीन पूजा पद्धतियों का भी सम्मान करना चाहिए।

स्वागतयोग्य कदमः डॉ. प्रणव पंडया
गायत्री तीर्थ शांतिकुंज प्रमुख डॉ. प्रणव पंडया ने कहा कि शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का निर्णय स्वागत योग्य है। जिस देश में स्त्री को देवी के रूप में पूजा जाता हो वहां मंदिर में स्त्री को प्रवेश व पूजा की अनुमति न होना दुखद था। यह नारी के सम्मान का निर्णय है।
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