रक्षाबंधनः तीन साल बाद बना है ऐसा योग, जानिए किस वक्त बांध सकते हैं राखी
इस बार रक्षाबंधन बेहद खास होने वाला है। ऐसा मूहर्त तीन साल बाद निकला है। जानिए, इस बार बहने किस-किस वक्त पर अपने भाई को राखी बांध सकती हैं।
हरिद्वार, [जेएनएन]: भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन पर्व इस बार खास मौके पर है। तीन साल बाद ऐसा योग बना है जिससे भाई और बहन दोनों के लिए यह दिन महत्वपूर्ण और लकी साबित होगा। जानिए, इस खबर में कि ऐसा क्या खास रहेगा इस दिन।
इस बार श्रावण शुक्ल पूर्णिमा पर रक्षाबंधन का पर्व भद्रा मुक्त रहेगा। क्योंकि भद्रा काल सूर्योदय होने से पहले ही समाप्त हो जाएगा। इस कारण लोग चाहें तो सुबह के मुहूर्त में रक्षाबंधन कर सकते हैं या दोपहर व शाम को बन रहे शुभ मुहूर्त में भी राखी बांध सकते हैं।
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इससे पूर्व वर्ष 2013 में भी इस तरह के योग बने थे। अब तीन वर्ष के बाद फिर राखी पर भद्रा का साया न होने से बहने पूरे दिन भाईयों की कलाई पर राखी बांध सकेंगी।
ज्योतिषाचार्य पंडित शक्तिधर शास्त्री ने बताया कि भद्रा का साया राखी पर नहीं होने से दिनभर शुभ मुहूर्त में राखी बांधी जाएगी। इस बार दिन में भद्रा नहीं है। सूर्योदय से पहले सुबह 3:51 बजे पर ही भद्रा समाप्त हो जाएगी। सूर्योदय से लेकर दोपहर 2.56 बजे तक रक्षासूत्र बांधने का शुभ मुहूर्त है, लेकिन इस बार बहनें अपने भाइयों को पूरे दिन में कभी भी राखी बांध सकेंगी।
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इंद्र की पत्नी शचि से शुरू हुआ था रक्षाबंधन
रक्षा बंधन का त्योहार भाई-बहन मनाते हैं पर क्या आप जानते हैं कि यह त्योहार भाई-बहन ने नहीं बल्कि पति-पत्नी ने शुरू किया था और तभी संसार में रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाने लगा।
पुराणों के अनुसार एक बार दानवों ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया। देवता दानवों से हारने लगे। देवराज इंद्र की पत्नी शचि देवताओं की हो रही हार से घबरा गई और इंद्र के प्राणों की रक्षा के लिए तप करना शुरू कर दिया, तप से उन्हें एक रक्षासूत्र प्राप्त हुआ। शचि ने इस रक्षासूत्र को श्रावण पूर्णिमा के दिन इंद्र की कलाई पर बांध दिया, जिससे देवताओं की शक्ति बढ़ गयी और दानवों पर जीत प्राप्त की।
किसके बांधनी चाहिए राखी
श्रावण पूर्णिमा के दिन रक्षासूत्र बांधने से इस दिन रक्षा बंधन का त्यौहार मनाया जाने लगा। पुराणों के अनुसार आप जिसकी भी रक्षा एवं उन्नति की इच्छा रखते हैं उसे रक्षा सूत्र यानि राखी बांध सकते हैं, चाहें वह किसी भी रिश्ते में हो।
राखी के साथ क्या है जरूरी
रक्षाबंधन का त्यौहार बिना राखी के पूरा नहीं होता, लेकिन राखी तभी प्रभावशाली बनती है जब उसे मंत्रों के साथ रक्षासूत्र बांधा जाए। ज्योतिषाचार्य पंडित शक्तिधर शास्त्री ने बताया कि रक्षा बंधन पर येन बद्धो बली राजा, दानवेन्द्रो महाबलः, तेन त्वां प्रतिबध्नामि, रक्षे, मा चल, मा चल, मंत्र के साथ राखी बांधनी चाहिए।
इस मंत्र का अर्थ है कि जिस प्रकार राजा बलि ने रक्षासूत्र से बंधकर विचलित हुए बिना अपना सब कुछ दान कर दिया। उसी प्रकार हे रक्षा, आज मैं तुम्हें बांधता हूं, तू भी अपने उद्देश्य से विचलित न हो और दृढ़ बना रहे।
ये हैं रक्षाबंधन के शुभ मुहूर्त
सुबह 06 से 07.30 बजे तक- शुभ
सुबह 10.30 से दोपहर 12 बजे तक- चर
दोपहर 12 से 01.30 बजे तक- लाभ
दोपहर 01.30 से 03 बजे तक- अमृत
शाम 04.30 से 06 बजे तक- शुभ
शाम 06 से 07.30 बजे तक- अमृत
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