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उत्‍तराखंड: चुनाव में पार्टी के चेहरे पर नहीं खोले पत्ते

अमित शाह ने कुंभनगरी हरिद्वार में आगामी विधानसभा चुनाव का शंखनाद तो कर दिया, मगर चुनाव में पार्टी का चेहरा कौन होगा, इसको लेकर भाजपा हाईकमान ने पत्ते खोलने से पूरी तरह परहेज किया।

By sunil negiEdited By: Updated: Sun, 26 Jun 2016 10:31 AM (IST)
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हरिद्वार, [राज्य ब्यूरो]: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कुंभनगरी हरिद्वार में आगामी विधानसभा चुनाव का शंखनाद तो कर दिया, मगर चुनाव में पार्टी का चेहरा कौन होगा, इसको लेकर भाजपा हाईकमान ने पत्ते खोलने से पूरी तरह परहेज किया। यह दीगर बात है कि मिशन-2017 में चुनाव अभियान की कमान हथियाने को लेकर प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में अंदरखाने वर्चस्व की जंग भी तेज होने के आसार हैं। इस मामले में तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों खंडूड़ी, कोश्यारी व निशंक के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री सतपाल महाराज को प्रमुख दावेदार के तौर पर देखा जा रहा है।

हरिद्वार में हुई शंखनाद महारैली में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने जिस तरह पूर्ववर्ती यूपीए सरकार व राज्य की मौजूदा कांग्रेस सरकार पर भ्रष्टाचार को लेकर तीखा हमला बोला, उससे इतना तो साफ हो गया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा भ्रष्टाचार को ही प्रमुख मुद्दा बनाने जा रही है। साथ ही, मोदी सरकार के दो वर्ष के कार्यकाल में शुरू की गई जनकल्याणकारी योजनाओं के जरिए भी मतदाताओं के बीच मजबूत पैठ बनाने की कोशिश की जाएगी। हालांकि, उत्तराखंड में मिशन-2017 की कमान किसे सौंपी जाएगी, इस पर राष्ट्रीय अध्यक्ष शाह पूरी तरह खामोश रहे।

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शंखनाद महारैली के मुख्य मंच पर वरिष्ठ नेताओं के सिटिंग अरेंजमेंट में भी पार्टी ने सिर्फ और सिर्फ प्रोटोकॉल का ही ध्यान रखा। राष्ट्रीय नेताओं शिवप्रकाश व श्याम जाजू के साथ चार पूर्व मुख्यमंत्रियों खंडूड़ी, कोश्यारी, निशंक व बहुगुणा को जहां राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ अग्रिम पंक्ति में बिठाकर बराबर तवज्जो दी गई, तो क्षेत्रीय सांसद होने के नाते डॉ. निशंक व प्रदेश अध्यक्ष के नाते अजय भट्ट को राष्ट्रीय अध्यक्ष के अगल-बगल जगह दी गई। इनके अलावा, मंच पर अग्रिम पंक्ति में जगह पाने वालों में पूर्व केंद्रीय मंत्री सतपाल महाराज भी शामिल थे। साफ है कि भाजपा हाईकमान फिलहाल कोई भी ऐसा संकेत देने से बचना चाहता है, जिससे किसी एक नेता को खास तवज्जो देने से पार्टी में गुटबाजी व अंतर्कलह जैसे हालात बन जाए।

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हालांकि, पार्टी हाईकमान की यह चिंता चुनाव अभियान की कमान हथियाने को लेकर प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के बीच अंदरखाने वर्चस्व की लड़ाई शुरू होने की चुगली भी कर गई। पिछले दिनों, प्रदेश में राजनीतिक अनिश्चितता के दौरान भाजपा प्रदेश में अपनी सरकार बनाने को लेकर खासी सक्रिय रही। इस दौरान, बहुमत जुटाने का जिम्मा कभी पूर्व मुख्यमंत्री कोश्यारी को सौंपा गया, तो कभी पूर्व केंद्रीय मंत्री सतपाल महाराज को मोर्चे पर लगाया गया। जाहिर है पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते खंडूड़ी, कोश्यारी व निशंक को 2017 में भाजपा के चेहरे के तौर पर प्रमुख दावेदार माना जा रहा है, मगर अब इस फेहरिस्त में सतपाल महाराज के नाम का एक नया नाम भी जुड़ गया है।

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