Move to Jagran APP

गौला की खाली गोद में तलाशेंगे हक-हकूक

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : खनन सीजन बीत जाने के बाद जंगलात को अब उन गांवों के सैकड़ों लोगों के हक-ह

By JagranEdited By: Updated: Tue, 09 May 2017 01:00 AM (IST)
गौला की खाली गोद में तलाशेंगे हक-हकूक

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : खनन सीजन बीत जाने के बाद जंगलात को अब उन गांवों के सैकड़ों लोगों के हक-हकूक की याद आई है, जिन्हें आशियाना बनाने के लिए मुफ्त में रेत-बजरी ले जाने की रियायत दी जाती है। खनन सीजन के आखिर में वन महकमा ग्रामीणों को उपखनिज ले जाने के लिए आनन-फानन में परमिट जारी कर रहा है। इससे व्यवस्था पर ही प्रश्नचिह्न लगता है।

गौला से 31 मई तक उपखनिज ले जाने के लिए चुगान चलता है। हर दिन करीब सात हजार वाहनों के जरिये शीशमहल से गौजाजाली तक बड़े पैमाने पर उपखनिज ले जाया जाता है। इस खनन सीजन में भी गौला से 54 लाख घनमीटर खनन की मंजूरी दी गई, लेकिन तराई पूर्वी वन प्रभाग ने उन हजारों ग्रामीणों के उस हक-हकूक पर कुंडली मार ली, जिसके जरिये 90 गांवों के लोगों को परमिट देकर मुफ्त में चुगान करने की छूट दी जाती, जिनके नाम वन विभाग के गजट में शामिल है। पूरे सीजन के दौरान अपने हक-हकूक को पाने के लिए भटकते रहे ग्रामीणों की याद वन अधिकारियों को तब आई है, जब खनन सीजन विदाई लेने को है और नदी का उपखनिज तकरीबन सिमट चुका है। खुद वन अधिकारियों का कहना है कि गौला से अब तक 38 लाख घनमीटर रेत-बजरी का चुगान हो चुका है। ऐसे में जब नदी की गोद खाली हो चुकी है तो वन विभाग अब ग्रामीणों को हक-हकूक के तहत मुफ्त में चुगान के लिए परमिट जारी कर रहा हैे।

-------------------

चार गाड़ी रेत-बजरी ले जाने की मिलती है छूट

बमौरी, बिठौरिया, मुखानी, दमुवाढूंगा, गौजाजाली, तुलाराम, हरीपुर, धौलाखेड़ा, हाथीखाल, बेरीपड़ाव, मोटा हल्दू, देवरामपुर, कुंवरपुर सहित 90 गांवों के लोगों को वन विभाग परमिट देता है। एक परमिट पर चार बार गाड़िया खनन के लिए ले जाने की छूट मिलती है। एक बार में अधिकतम 140 क्विंटल उपखनिज भरा जा सकता है। वन विभाग ने इसी हफ्ते आनन-फानन में 70 लोगों को परमिट दे दिए है। तमाम लोगों के आवेदन विचाराधीन हैं।

------------------------

1500 के परिमट से 3000 की मिल रही बजरी

वन विभाग के एकाएक परमिट देने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई तो तमाम ग्रामीण उपखनिज का अपना कोटा पूरा करने के लिए परमिट की कालाबाजारी भी कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि एक गाड़ी से 140 क्विंटल रेत-बजरी पर करीब 3000 रुपये की रॉयल्टी की छूट मिलती है। जबकि तमाम लोग खुद उपखनिज न लेकर अपने परमिट को 1500 रुपये तक बेच दे रहे हैं।

----------------------

पहली ही बार में फेल हो गया गाड़ी नंबर का फार्मूला

वन विभाग ने हक-हकूक के परमिट पर अवैध तरीके से उपखनिज ले जाने पर रोक लगाने के लिए पहली बार नियम बनाया था कि ग्रामीण उन वाहनों का नंबर भी दर्ज कराएंगे, जिनसे वे चुगान का माल ले जाएंगे लेकिन ज्यादातर लोगों ने इसे माना ही नहीं। वन विभाग की इसे लेकर लचीला बना हुआ है।

---------------------------

जनता के दबाव के कारण हक-हुकूक के परमिट जारी किए जा रहे हैं। खनन के लिए ग्रामीणों के वाहनों पर भी निगाह रखी जाएगी, ताकि नदी के प्रतिबंधित क्षेत्र में खनन को रोका जा सके।

- नीतिशमणि त्रिपाठी, डीएफओ, तराई पूर्वी वन प्रभाग

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।