नैनीताल में 2200 मीटर की ऊंचाई पर पहली बार नजर आए बाघ
उत्तराखंड में वन्य जीव विविधता के लिहाज से एक चौंकाने वाली, लेकिन सुखद खबर सामने आई है। पहली बार शिवालिक पर्वतमाला में बाघ ने मौजूदगी दर्ज कराई है।
हल्द्वानी, [गौरव पांडेय]: उत्तराखंड में वन्य जीव विविधता के लिहाज से एक चौंकाने वाली, लेकिन सुखद खबर सामने आई है। पहली बार शिवालिक पर्वतमाला में बाघ ने मौजूदगी दर्ज कराई है। नैनीताल की 2200 मीटर ऊंची पहाडिय़ों में वन विभाग के कैमरा ट्रैप में कई बाघ कैद हुए हैं।
वन्य जीव विशेषज्ञ अब तक यहीं मानते रहे हैं कि बाघ तराई के जंगलों में ही पाए जाते हैं। बाघ की वासस्थली अधिकतम एक हजार से बारह सौ मीटर की ऊंचाई पर ही हैं, लेकिन अब कैमरा ट्रैप के बाद यह मिथक टूट गया है।
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नैनीताल में कैमल्स बैक, टिफिन टॉप, महेश खान, कुंजा खड़क, बलिया नाला, कृष्णापुर में कैमरों में कई बाघ कैद हुए हैं। इनमें नर-मादा के अलावा शावक भी हैं। इससे तय है कि नैनीताल की पहाड़ियां बंगाल टाइगर की नई वासस्थली बन रही हैं। वह यहां प्रजनन भी कर रहे हैं।
यह पहला मौका है जब शिवालिक की ऊंची पर्वतमाला पर एक साथ इतनी तादाद में टाइगर मिले हों। यह वन्य जीव विशेषज्ञों के लिए एक चौंकाने वाली खबर है।
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तराई के जंगलों के इतर शिवालिक पर्वतमालाओं में बाघ की मौजूदगी को वन्य जैवविविधता के लिहाज से सुखद संकेत माना जा रहा है। जंगल की खाद श्रंखला में बंगाल टाइगर सबसे ऊपर है। इनकी मौजूदगी से तय है कि वन्य जीवों की अन्य प्रजातियां भी समृद्ध हैं।
उत्तराखंड के वन संरक्षक डॉ. पराग मधुकर धकाते के मुताबिक नैनीताल में 2200 मीटर की ऊंचाई पर कैमरा ट्रैप में बंगाल टाइगर मिले हैं। इनमें नर-मादा और शावक भी हैं। शिवालिक पर्वतमाला में बाघ की मौजूदगी वन्य जैवविविधिता के लिहाज से सुखद संकेत है।
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